विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये भी यह मंच उपयोगी : ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं की प्रभावकारी आवाज — प्रधानमंत्री मोदी अध्यक्ष

0

विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये भी यह मंच उपयोगी : ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं की प्रभावकारी आवाज — प्रधानमंत्री मोदी अध्यक्ष

भुवन वर्मा बिलासपुर 9 सितंबर 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की है। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक प्रभावकारी आवाज हैं। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये भी यह मंच उपयोगी रहा है।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वर्चुअल तरीके से आयोजित तेरहवें ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुये कही। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स की पंद्रहवीं वर्षगांठ पर इस समिट की अध्यक्षता करना मेरे और भारत के लिये खुशी की बात है। आज की इस बैठक के लिये हमारे पास विस्तृत एजेंडा है , यह बैठक ब्रिक्स को और उपयोगी बनाने में दिशा देगी। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान भारत को सभी सदस्यों से पूरा सहयोग मिला है। मैं इसके लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष कोविड की स्थिति के बावजूद 150 से अधिक ब्रिको बैठकें और कार्यक्रम आयोजित किये गये , जिनमें 20 से अधिक मंत्री स्तर के थे। पीएम मोदी ने कहा हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले पंद्रह वर्षों में और परिणामदायी हो। भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिये जो थीम चुना है , वह यही प्राथमिकता दर्शाता है- ब्रिक्स @15: निरंतरता , समेकन और आम सहमति की खातिर अंतर-ब्रिक्स सहयोग। उन्होंने कहा यह भी पहली बार हुआ कि ब्रिक्स ने “मल्टीलिटरल सिस्टम्स की मजबूती और सुधार” पर एक साझा पोजिशन ली। हमने ब्रिक्स “काउंटर टेरिरज्म एक्शन प्लान” भी अडॉप्ट किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में पहले “ब्रिक्स डिजिटल हेल्थ सम्मेलन” का आयोजन हुआ। तकनीक की मदद से हेल्थ एक्सेस बढ़ाने के लिये यह एक इनोवेटिव कदम है , नवंबर में हमारे जल संसाधन मंत्री ब्रिक्स फॉर्मेट में पहली बार मिलेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार इस शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन , दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो भी शामिल रहे। इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के ताजा हालात के साथ साथ कई अन्य मुद्दों पर भी व्यापक रूप से चर्चा हुआ। बताते चलें यह दूसरा मौका है जब प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। इसके पहले वर्ष 2016 में उन्होंने गोवा में सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। ब्रिक्स (ब्राजील , रूस , भारत , चीन और दक्षिण अफ्रीका) में दुनियां के पांच सबसे बड़े विकासशील देश है जो वैश्विक आबादी के 41 प्रतिशत , वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले पंद्रह वर्षों में और परिणामदायी हो। भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिये जो थीम चुनी है , वह यही प्राथमिकता दर्शाती है- ब्रिक्स@15: इंट्रा-ब्रिक्स कोऑपरेशन फॉर कंटीन्यूटी , कॉन्सॉलिडेशन एंड कंसेन्सस। ये फोर सी हमारी ब्रिक्स साझेदारी के बुनियादी सिद्धांत है। इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान के मसले को उठाते हुये कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना और उसके सहयोगियों की वापसी ने एक नया संकट पैदा कर दिया है , और यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगा। यह अच्छे कारण के लिये है कि हमारे देशों ने इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया है। अफगानिस्तान को अपने पड़ोसी देशों के लिये खतरा नहीं बनना चाहिये , आतंकवाद और ड्रग तस्करी का स्रोत ना बने। सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में हमारे पांच देशों ने खुलेपन , समावेशिता और समानता की भावना में रणनीतिक संचार और राजनीतिक विश्वास बढ़ाया , एक-दूसरे की सामाजिक व्यवस्था का सम्मान किया , राष्ट्रों के लिये एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिये विकास और मार्ग खोजे। तेरहवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हमने व्यावहारिकता , नवाचार और समान सहयोग की भावना से सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में ठोस प्रगति की है। हमने बहुपक्षवाद का समर्थन किया है और समानता , न्याय और पारस्परिक सहायता की भावना से वैश्विक शासन में भाग लिया है। इस वर्ष की शुरुआत के बाद से हमारे पांच देशों ने ब्रिक्स सहयोग की गति को बनाये रखा है और कई क्षेत्रों में नई प्रगति हासिल की है। जब तक हम अपने दिमाग और प्रयासों को एक साथ रखते हैं हम ब्रिक्स सहयोग में सहज , ठोस प्रगति कर सकते हैं, चाहे कुछ भी हो जाये। वहीं दक्षिण अफ्रीकी के राष्ट्रपति रामाफोसा ने कहा कि कोविड 19 के प्रति हमारी एकत्रित प्रतिक्रिया ने प्रदर्शित किया है कि जब हम एक साथ काम करते हैं तो क्या हासिल किया जा सकता है। ब्रिक्स देशों के रूप में हमें अपने लोगों के जीवन , आजीविका की रक्षा करना , वैश्विक आर्थिक सुधार का समर्थन करना और सार्वजनिक प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ावा देना चाहिये। हमें कोविड19 टीकों , निदान और चिकित्सा विज्ञान तक समान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिये। यही एकमात्र तरीका है जिससे हम दुनियां को घेरने वाली इस महामारी का मुकाबला कर सकते हैं।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *