नंदकुमार बघेल ने 3 दिन बाद मांगी बेल: मिली जमानत हो गये जेल से रिहा : बाहर आने के बाद कुछ संगठनों ने उनका फूल मालाओं से किया स्वागत

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नंदकुमार बघेल ने 3 दिन बाद ही मांगी बेल: मिली जमानत हो गये जेल से रिहा : बाहर आने के बाद कुछ संगठनों ने उनका फूल मालाओं से किया स्वागत

भुवन वर्मा बिलासपुर 10 सितंबर 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर —  नंदकुमार बघेल की ओर से वकील गजेंद्र सोनकर द्वारा लगायी अर्ज़ी पर सुनवाई के बाद प्रथम श्रेणी न्यायाधीश जनक कुमार हिड़गो की बेंच ने नंदकुमार बघेल को जमानत प्रदान की। ब्राह्मण समाज के खिलाफ टिप्पणी करने पर नंदकुमार की गिरफ्तारी के बाद अदालत ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा था।


गौरतलब है कि नंदकुमार बघेल ने ब्राम्हण समाज के ऊपर विवादित बयान दिया था जिसके खिलाफ उनके ऊपर डी०डी० नगर थाने में समाज द्वारा एफआईआर दर्ज करायी गई थी। रायपुर पुलिस ने सर्व ब्राह्मण समाज की शिकायत के बाद यहां डीडी नगर पुलिस ने नंदकुमार बघेल के खिलाफ शनिवार देर रात भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म , जाति , जन्मस्थान , निवास , भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (1) (बी) (कारण के इरादे से , या संभावित रूप से) के तहत प्राथमिकी दर्ज किया था। । रायपुर कोर्ट के आदेश के बाद जेल से रिहा हुए नंद कुमार, गिरफ्तारी के बाद कहा था मुझे जमानत नहीं चाहिए, अब चौथे दिन याचिका लगाई हैं ।

जेल से बाहर आने के बाद कुछ संगठनों ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल को जमानत मिल गई है। शुक्रवार शाम को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। रायपुर जिला न्यायालय में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी। उनके वकील गजेंद्र सोनकर ने बताया कि कोर्ट ने 10 हजार रुपए की जमानत पेश करने के बाद नंद कुमार बघेल को रिहा करने का आदेश दिया है। नंद कुमार बघेल को जातिगत मामले में टिप्पणी मामले में 3 दिन पहले 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। तब उन्होंने जमानत लेने से इंकार करते जेल जाना कबूल किया था।

नंद कुमार की गाड़ी जेल के अंदर परिसर में ले जाई गई और वहीं से वह गाड़ी में बैठकर निकल गए। मीडिया को उन तक नहीं पहुंचने दिया गया।

क्या कहा था नंद कुमार बघेल ने ?

पिछले महीने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में नंद कुमार बघेल ने कहा था, अब वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा। हम यह आंदोलन करेंगे। ब्राह्मणों को गंगा से वोल्गा (रूस की एक नदी) भेजेंगे, क्योंकि वे विदेशी हैं। जिस तरह से अंग्रेज आए और चले गए। उसी तरह से ये ब्राह्मण या तो सुधर जाएं या फिर गंगा से वोल्गा जाने को तैयार रहें।


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