काष्ठ से बने गणेशजी का मंत्र ” सिद्धि विनायक वक्रतुण्ड महाकाय,,, के विमोचन के पश्चात राजगीत,राष्ट्रगान,भारत का संविधान आदि को राज्य एवम राष्ट्र के नाम समर्पित किया बघेल ने
काष्ठ से बने गणेशजी का मंत्र ” सिद्धि विनायक वक्रतुण्ड महाकाय,,, के विमोचन के पश्चात राजगीत,राष्ट्रगान,भारत का संविधान आदि को राज्य एवम राष्ट्र के नाम समर्पित किया बघेल ने
भुवन वर्मा बिलासपुर 13 अगस्त 2021
भिलाई । कलापरम्परा शिल्प एम्पोरियम,भिलाई द्वारा काष्ठशिल्प से निर्मित प्रदेश के “राजगीत ,अरपा पैरी के धार,,,,,,का विधिवत उदघाटन चैतन्य बघेल,सुपुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मुख्यमंत्री निवास,पदुमनगर,भिलाई में किया गया।इस अवसर पर मनीष बंछोर,आशीष वर्मा,विशेष कर्तव्य अधिकारी,(ओएसडी),कृष्ण कुमार चंद्रवंशी,निजी सचिव मुख्यमंत्री,कलापरम्परा के प्रदेशाध्यक्ष/शिल्प एम्पोरियम के प्रबंध निदेशक डॉ.डी पी देशमुख एवम संस्थान की निदेशक नीता देशमुख उपस्थित थीं।
बतौर मुख्य अतिथि चैतन्य बघेल ने प्रारम्भ में काष्ठ से बने गणेशजी का मंत्र ” सिद्धि विनायक वक्रतुण्ड महाकाय,,, के विमोचन के पश्चात राजगीत,राष्ट्रगान,भारत का संविधान आदि को राज्य एवम राष्ट्र के नाम समर्पित किया किया।राजगीत की कलाकृति में अरपा पैरी के धार के नीचे भाग में गीत के रचयिता डॉ.नरेन्द्रदेव वर्मा के नाम व हस्ताक्षर देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए, उत्सुकतावश इस बारे में जानकारी चाही,विभिन्न धर्म-सम्प्रदाय के नानाविध शिल्पकलाओं के देखकर अपने उदबोधन में कहा कि कलापरम्परा द्वारा काष्ठशिल्प से किया गया कार्य अनोखा एवम उल्लेखनीय है,इस कार्य से राज्य का गौरव बढेगा,साथ ही कलाकारों को रोजगार भी मिलेगा,उन्होंने आगे कहा कि इसके विस्तारीकरण के लिए प्रदेश सरकार यथासंभव मदद करेगी।
संस्था की निदेशक नीता देशमुख ने जानकारी दी कि राजगीत के रचयिता डॉ.नरेन्द्र देव वर्मा प्रदेश के ख्यातिलब्ध लोकसाहित्यकार हैं,अल्पायु में ही उन्होंने छत्तीसगढ़ पर केंद्रित अनेक ग्रंथ लिखे,जो आज के युवाओं के लिये संदर्भ ग्रंथ के रूप में काम आ रहा है।उन्होंने आगे कहा कि यह गौरव की बात है कि डॉ.नरेन्द्रदेव वर्मा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ससुरजी हैं राजगीत के नीचे वर्ष 1964 में किया गया हस्ताक्षर है,जिसे कलापरम्परा की टीम ने बड़ी मसक्कत के बाद ढूंढ निकाला है।डॉ.वर्मा,राज्य के सामाजिक एवम आध्यात्मिक क्षेत्र के पुरोधा धनीराम वर्मा जी के सुपुत्र एवम स्वामी विवेकानंद आश्रम नारायणपुर के संस्थापक, धर्माचार्य, सन्यासी स्वामी आत्मानंद जी के भाई हैं।
कलापरम्परा शिल्प एम्पोरियम के प्रबंध निदेशक डॉ.डी पी देशमुख ने संस्थान के उद्देश्य पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि संस्था ने प्रारम्भ में प्रदेश के कलाकारों/साहित्यकारों का बायोडाटा संकलन कर इसका दस्तावेजीकरण किया,तत्पश्चात राज्य के बारहमासी तीज-त्यौहार,पर्यटन-तीरथधाम-पुरातत्व की जानकारी संकलित कर लिपिबद्ध किया गया,यह प्रयास निरंतर जारी है। इससे प्रदेश के आमलोगों को कला,साहित्य,एवम संस्कृति की लुप्तप्राय अपेक्षित जानकारी मिल पाएगी,जो संदर्भ ग्रंथ के रूप में संस्था के पास सुरक्षित है।
पुस्तक प्रकाशन के साथ ही कला को रोजगारमूलक बनाने की दृष्टि से संस्था ने प्रदेश के शिल्पकलाओं के संग्रहण,इसके उन्नयन एवम बाजारीकरण की दृष्टि से काष्ठकला के जरूरतमंद कलाकारों को उचित प्रशिक्षण देकर उन्हें हुनरमंद बनाकर रोजगार देने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है जिसके फलस्वरूप काष्ठशिल्प से राजगीत,राष्ट्रगीत,राष्ट्रगान,भारत का संविधान आदि के निर्माण संभव हो पाए।
डॉ.डी पी देशमुख
प्रदेशाध्यक्ष/प्रबंध निदेशक
कलापरम्परा/शिल्प एम्पोरियम,भिलाई।संपर्क-7354293026
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