योगविद्या, प्राणायाम एवं विपश्यना यह विश्व को बौद्ध धम्म की ही देन – विष्णु बघेल अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग समाज छत्तीसगढ़

0

योगविद्या, प्राणायाम एवं विपश्यना यह विश्व को बौद्ध धम्म की ही देन – विष्णु बघेल अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग समाज छत्तीसगढ़

भुवन वर्मा बिलासपुर 22 जून 2021


रायपुर । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अंचल के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु दत्त बघेल (चार्टर्ड अकाउंटेंट ) अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग समाज छत्तीसगढ़ ने योग तब और अब की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने योग की उत्पत्ति व विधाओं पर विस्तृत सर गर्भीक जानकारी देते हुए श्री बघेल ने कहा कि….
.
21 जून योग दिवस पर हर भारतीय को निम्न प्रश्नों क उत्तर जानना आवश्यक हैं।

  1. क्या योगविद्या ब्राह्मणों की देन है?
    उत्तर: भारत में योगविद्या का ईतिहास हजारों वर्षों पुराना है और किसी एक व्यक्ति ने इसकी रचना/अविष्कार नहीं किया। यह समय के साथ विकसीत होती गई।
  2. क्या तथागत बुद्ध योग करते थे?
    उत्तर: जिस समय सिद्धार्थ गौतम ने संसार के दु:खों का कारण जानने गृहत्याग किया तो सर्वप्रथम उन्होनें सांख्यदर्शन और योगविद्या सीखी और अल्प समय में ही योग एवं प्राणायाम की भिन्न-भिन्न विधाओं में अधिकार जमा लिया।

सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि आसनों के द्वारा आप अपने शरिर के संधिस्थानों को स्वस्थ्य रख सकते है।

प्राणायाम के तीन अंग है। श्वास अंदर लेना (पूरक) श्वास अंदर रोकना (कुंभक) श्वास को छोड़ना (रेचक) प्राणायाम चित्त की एकाग्रता के लिए आवश्यक है। प्राणायाम से मन की एकाग्रता सिद्ध होती है।

  1. योग एवं विपश्यना में भेद?
    उत्तर: योग से स्वास्थ्य लाभ संभव है। प्राणायाम से चित्त की एकाग्रता स्थिर एवं दीर्घकालिन नहीं है।
    विपश्यना समस्त क्लेशों का मूलोच्छेदन है। इसके बाद मन, वचन एवं कर्म की प्रवित्तियाँ शांत हो जाती हैं।
  2. क्या बाबासाहेब डाॅ. अम्बेडकर योग करते थे?
    उत्तर: वे नित्य प्रतिदिन प्रातः योग किया करत थे।
  3. पतंजली कौन था?
    उत्तर: बाबासाहेब डाॅ. अम्बेडकर लिखते है 184 ई.पू. मौर्यकाल में जब भारत वर्ष में सम्राट अशोक के पौत्र वृहदत्त मौर्य का शासन था।
    उसकी सेना का सेनापति था पुष्यमित्र शुंग और पुष्यमित्र शुंग का गुरू था पतंजली।

पतंजली ने योगविद्या बौद्धभिक्षुओं से सीखी थी और बाद में वह बौद्धों का ही शत्रु हो गया।
पतंजली की ही मंत्रणा पर पुष्यमित्र शुंग ने छल पूर्वक चक्रवर्ती सम्राट वृहदत्त की हत्या कर दी। और मौर्यवंश का पतन हो गया जिसके स्थान पर शुंग वंश की स्थापना हुई।
पुष्यमित्र ने राजा बनते ही यह आदेश दिया कि जो बौद्धभिक्षु का कटा सिर लाएगा उस उपहार में स्वर्ण मुद्राएं दी जायेगी।
यही से बौद्ध धम्म का पतन शुरू हुआ।

मित्रों योगविद्या, प्राणायाम एवं विपश्यना यह विश्व को बौद्ध धम्म की ही देन है।,,,,धन्यवाद!,,,,,जय जय भारत!

विष्णु बघेल ,चार्टर्ड अकाउंटेंट वरिष्ठ विचारक एवं चिंतक रायपुर छत्तीसगढ़
🥗🥗🥗🥗🥗🥗👍🙏

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *