ऑटिज्म एक प्रकार की दिव्यांगता है, बीमारी नहीं ये है मस्तिष्क विकार : आज दिवस पर विशेष
भुवन वर्मा बिलासपुर 2 अप्रैल 2021
बिलासपुर । 2अप्रैल को ऑटिज्म(स्वलीनता ) दिवस के रूप में मनाया जाता है, ऑटिज्म एक प्रकार की दिव्यांगता है, बीमारी नहीं ऑटिज्म एक प्रकार की मस्तिष्क का विकार है जो हर ऑटिज्म में अलग-अलग रूप में देखा जा सकता है l बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर जागरूकता अभियान किया जाता है, सामान्य शिक्षकों को भी शामिल किया जाता है,
इनको बचपन से ही पहचाना जा सकता है ऑटिज्म में कई तरह की दिखाई देने वाले लक्षण पाए जाते हैं सभी में एक समानता नहीं रहती हैं l
ऑटिज्म के लक्षण-
- ऑटिज्म वाले व्यक्ति को नाम लेकर बुलाने से कोई प्रतिक्रिया नहीं कर पाना l
- सवाल पूछने पर जवाब ना दे पाना या अनसुनी करना l
- आंखों से आंखें मिलाकर सामने वाले से बात ना कर पाना l
- अकेले रहना पसंद करना और समूह में खेलना पसंद ना करना l
- बार-बार एक शब्द को ही बोलते रहना, कुछ कुछ शब्दों को सही तरीके से उच्चारण ना कर पाना l
- निर्थक शब्द अपने आप में बोलते रहना l
- अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाना तथा दूसरे की भावनाओं को ना समझना l
- किसी खास आवाज या चित्र से डरना l
- रोबोट की तरह एक ही दिशा में चलना l
- अपना खतरा को ना जान पाना जैसे कि- सामने खाई हो या अंगारे हो य रास्ते में कांटे हो…… आदि आदि l
व्यवहार संबंधी लक्षण –
. अपने शरीर के किसी अंग को हिलाते रहना यह डुलाते रहना य खुद को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य कर डालना जैसे कि काटना और नोछना तथा खुरचना
थोड़ी सी बदला में पसंद ना करना जैसे कि एक जगह में बैठता है तो हर दिन उसी जगह में बैठना पसंद करना, अलग-अलग पहनावे को जल्दी जल्दी एक्सेप्ट न कर पाना, इस तरह इनको किसी के छूने या गले लगने को भी पसंद नहीं रहते है और कुछ बहुत कम आवाज सुनना पसंद करते हैं और कुछ बहुत तेज और इसी तरह खाने में भी रहते हैं l
आइए हम देखते हैं कि ऑटिज्म किन कारणों से हो सकते हैं जरूरी नहीं कि इन कारणों से हो-
अभी तक तो वैज्ञानिकों ने इनका पूरा खास कारण नहीं ढूंढ पाए हैं,
अनुवांशिक और पर्यावरण कारण दोनों ही मानी जा सकती हैं बच्चे की जन्म से पहले और बाद की टीके ना लग पाना भी माना जा सकता है, गर्भावस्था के दौरान मां को कई गंभीर बीमारियों के कारण भी हो सकती हैं, बच्चे के समय से पहले जन्म हो जाना गर्भ में किसी तरह विकास ना हो पाना, माता पिता की आयु ज्यादा उम्र की होने से समस्या हो सकती है l
ऑटिज्म से कैसे बचा जा सकता है आइए हम देखते हैं-हम बच्चे को ऑटिज्म पैदा होने से रोक नहीं सकती लेकिन जोखिम को कम कर सकते हैं निम्न प्रयासों से-
गर्भ के दौरान नियमित जांच कराना और पौष्टिक आहार लेना l
ब्यायाम (योगा ) करना तथा अच्छी देखभाल कर, डॉक्टर के द्वारा बताये गई विटामिन व अच्छे भोजन लेकर, शराब ना पीना, नशीली चीजों का सेवन ना करना, मानसिक संतुलन अच्छे से बनाए रखना अपने आप को खुश रखना तथा अपने आप को चिंता मुक्त रखना l
ऑटिज्म का इलाज- ऑटिज्म को पूरे विश्व में कोई दवा नहीं है जो ठीक किया जा सके, उनको जरूरत है तो बस प्रशिक्षण की जो है विशेष शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, वाक चिकित्सक योगा थेरेपी डांस थेरेपी म्यूजिक थेरेपी, खेल थेरेपी,
के अलावा इनको अकेले में भी थेरेपी दे खेल खेल के माध्यम से सिखाएं तथा सामान्य बच्चों के साथ ग्रुप में खिलाएं सामूहिक कार्यक्रमों में उनको ले जाएं उनको अकेले ना छोड़े उनसे मिलजुल कर रहे और उनसे बातचीत भी करें लोगों से मिलाये इस ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता अभियान चलाते हैं तथा अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करते हैं लोगों प्रशिक्षण देते हैं इन बच्चों को भी आत्मनिर्भर कर मुख्यधारा में जोड़ा जा रहा हैं l
सुुश्री चंचला पटेल विशेष शिक्षिका
(आशा द होप) रायगढ़ की रिपोर्ट