विस अध्यक्ष व कोरबा सांसद कबीर के शरण में : सिद्ध पीठ कबीर चौरामठ मूलगादी ट्रस्ट बनारस यूपी के आयोजन पर

0

विस अध्यक्ष व कोरबा सांसद कबीर के शरण में : सिद्ध पीठ कबीर चौरामठ मूलगादी ट्रस्ट बनारस यूपी के आयोजन पर

भुवन वर्मा शिलांग से 25 फरवरी 2021

बनारस । कबीर साहब के परिनिर्माण दिवस में त्रिदिवसीय भव्य समारोह में – आखिर ये तन ख़ाक का.. क्यों फिरता मगरुरी में..
कबीर साहब के तीन दिवसीय समारोह का आयोजन
गोष्ठी में रखे अपने विचार और कबीर झोपड़ी का उद्घाटन
बनारस/ उत्तर प्रदेश
सिद्ध पीठ कबीर चौरामठ मूलगादी ट्रस्ट बनारस यूपी द्वारा आयोजित कबीर साहब के परिनिर्माण दिवस में त्रिदिवसीय भव्य समारोह का आयोजन छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के मुख्य आतिथ्य व भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव कोरबा लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित किया गया।
बनारस में आयोजित समारोह के पहले दिन कबीर चौरामठ मूलगादी कबीर की लालन-पालन की भूमि से प्राकट्य स्थल लहरतारा तक की यात्रा, प्रवचन-भजन-कीर्तन एवं कबीर का मोक्ष काशी से मगहर विषय पर गोष्ठी के अलावा नवनिर्मित हाईटेक कबीर कुटीर का उद्घाटन समारोह के आयोजन में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत विशेष तौर पर उपस्थित होकर अपनी बात कहते हुए कहा कि बनारस का कबीर चौरा ही वह जगह है जहां कबीर का लालन पालन हुआ, अगर ये लिखा जाए कि कबीर चौरा ही वह जगह है जिस ज़मीन ने कबीर को कबीर बनते देखा तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कबीर पंथ के अनुयायी धीर गंभीर डॉ. महंत ने इस मौके पर कहा कि दिशा दो तीन जगह चल रही है.. भटकाव है.. कबीर को सब समझ ले रहे हैं.. सब समझ ले रहे हैं.. आत्मसात् कर ले रहे हैं.. देश ही नहीं विदेश में भी.. लेकिन शायद हम लोग जो खुद को कबीरपंथी कहते हैं वे नहीं समझ पा रहे हैं..मठ महंत की अनेकानेक धारा चल रही हैं.. हमें समझना होगा कबीर पंथ के प्रवर्तक संत कबीर की स्मृति में बन रही झोपड़ी अभी पूरी तरह निर्मित नहीं है, इसमें आ रही आर्थिक बाधाओं का संकेतों में जिक्र करते हुए विधानसभा अध्यक्ष महंत ने मुस्कुराते हुए कहा – पंथ के 24वें पीठाधिश्वर विवेक दास जी की हिम्मत की सराहना करता हूँ.. वे सालों से लगे थे कि झोपड़ी बनाना है.. विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने उद्बोधन का अंत कुछ इन शब्दों में किया – आखऱि ये तन ख़ाक का.. क्यों फिरता मगरुरी में.. कबीर के सपनों को अपने सपनों में बसाएँ और उसे साकार करें.. यही कामना है.. यही शुभकामना है.. साहेब बंदगी

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *