काशी कुलाधिपति द्वारा मुसवा के बिहाव विमोचित

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काशी कुलाधिपति द्वारा मुसवा के बिहाव विमोचित

भुवन वर्मा बिलासपुर 29 जनवरी 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

प्रयागराज — छत्तीसगढ़ प्रांत की लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार तथा छत्तीसगढ़ी भाषा अनुवादिका गीता शर्मा की नवप्रकाशित पुस्तक “मुसवा के बिहाव” (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) का लोकार्पण प्रयागराज में महामना मदनमोहन मालवीय के पौत्र , इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ। कथा-संग्रह मुसवा के बिहाव का सृजन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर निवासी लेखिका गीता शर्मा ने प्रकाशक ज्ञान मुद्रा भोपाल द्वारा बच्चों की मनोवृत्ति एवं बालमन को ध्यान में रखकर किया गया है। पुस्तक का शीर्षक भी बाल हृदय और बालकों के मनमस्तिष्क को उद्वेलित करनेवाला है। शीर्षक देखकर ही बच्चों के मन में आन्तरिक कहानी पढ़ने की अभिलाषा उत्पन्न होगी। श्रीमति शर्मा अपनी लेखन विधा को लेकर हमेशा चिन्तित रहती हैं कि उनका अधिकतर लेखन छत्तीसगढ़ी-भाषा में है और भारतवर्ष के अन्य प्रान्तों के लोगों द्वारा इसे रुचिपूर्वक पढ़े जाने के लिये सतत प्रयत्नशील हैं। इसी आशय से उन्होंने प्रयागराज में परम आदरणीय न्यायमूर्ति श्री गिरधर मालवीय जी मुलाकात कर इस पुस्तक का विमोचन भी उन्हीं के करकमलों से उनके गृहनिवास पर संपन्न कराया।

इस अवसर पर श्री मालवीय ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की समृद्धता से हिन्दी भाषा भी समृद्ध होती है आपका प्रयास उत्साहजनक है, अनवरत चलते रहना चाहिये। क्षेत्रीय भाषाओं पर लेखन कार्य करनेवालों की अल्पता है। इसके साथ ही उन्होंने मालवीय जी को राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ट्रू मिडिया , छत्तीसगढी साहित्य साधिका और शिव महापुराण छत्तीसगढी भी भेंट की। इस लोकार्पण-कार्यक्रम में गीता शर्मा के पति श्री संजीव शर्मा तथा पुत्री इंजी. सृष्टि शर्मा भी उपस्थित थीं। श्रीमति शर्मा ने अरविन्द तिवारी को चर्चा के दौरान बताया कि छत्तीसगढ़ी-भाषा को आठवीं अनुसूची में रखने के विषय पर भी उनसे वार्ता हुई। न्यायमूर्ति श्री मालवीय के कर-कमलों से इस पुस्तक का लोकार्पण होना उनके लिये परम सौभाग्य की बात है।

उन्होंने आगे बताया कि भारतवर्ष में क्षेत्रीय भाषा और बोली समृद्धि तथा सुदृता के लिये काम करने वालों की संख्या आज भी कम है जबकि स्थानीय बोली की महत्ता किसी से कम नही है। उनके हर श्वांस में छत्तीसगढ़ी रची बसी है। छत्तीसगढ़ी भाषा मे उनके द्वारा लिखा गया शिवमहापुराण पहला ग्रंथ है जो वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। शिव महापुराण के 24000 श्लोकों पर विश्व रिकार्ड उन्हें छत्तीसगढ़ महामहिम राज्यपाल अनुसुइया उइके के हाथों से प्राप्त हुआ है। इसके अलावा वे अनेकों राज्य के राज्यपालो से राज भवन में सम्मानित भी है। छत्तीसगढ़ी भाषा मे उनका लिखा इशादि नौ उपनिषद और शिवमहापुराण राज्य के प्रत्येक ग्रंथालयों के साथ राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्रालय मे है।

वे छत्तीसगढ़ राज्य की पहली महिला भी हैं जिसके व्यक्तित्व और कृतित्व पर राष्ट्रीय पत्रिका ट्रू मिडिया ने दिसम्बर अंक छत्तीसगढ़ साहित्य साधिका अंक निकाला। इसमें देश भर के शीर्षस्थ साहित्यकारों ने अपनी अलग अलग प्रतिक्रियाओं सहित उन्हें शुभकामनायें दी है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी भाषा में उनका लिखा गीत भी छत्तीसगढ़ के साथ साथ अमेरिका और कनाडा में बहुत लोकप्रिय हुआ है। संत घासीदास बाबा के चिंतन का दार्शनिक विश्लेषण भी उनके द्वारा किया गया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के रिती रिवाजों , साहित्यकारो, कवियों , उनकी कृतियों को शोध आलेख के माध्यम से शोध ग्रंथ मे स्थान मिल चुका है।

अभी उनके द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा में मनुस्मृति , अभिज्ञान शाकुन्तलम् , पंचतंत्र और उपनिषदों की सूक्तियां लिखी जा रही हैं जो अप्रकाशित है। लगभग पचास राष्ट्रीय , तीन अंतर्राष्ट्रीय और तीस राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित श्रीमति गीता शर्मा ने अंत में बताया कि वे अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा को विश्व पटल पर स्थापित कर नि:स्वार्थ भाव से राज्य और राष्ट्र सेवा करना चाहती हैं। यह छत्तीसगढ़ राज्य के लिये गौरव के पल है जो इस तरह के सार्थक प्रयासों से अपने राज्य को गौरान्वित कर एक समाज को एक नयी दिशा देने का अद्भुत कार्य कर रहीं हैं।

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