सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून पर लगायी रोक : समाधान हेतु 4 सदस्यीय कमेटी गठित

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सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून पर लगायी रोक: समाधान हेतु 4 सदस्यीय कमेटी गठित

भुवन वर्मा बिलासपुर 12 जनवरी 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को चुनौती देने और दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाने की कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को बड़ा झटका देते हुये चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने समस्या के समाधान के लिये चार सदस्यीय कमेटी का भी गठन कर दिया है। उधर किसान संगठनों ने फ़ैसले के बाद कहा कि हमने मध्यस्थता की माँग नहीं की थी इसलिये आंदोलन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ़ कहा है कि किसान किसी कमेटी की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेंगे। किसानों की लड़ाई कृषि कानूनों को रद्द कराने की है, ऐसे में आंदोलन जारी रहेगा।सरकार किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत का हल ना निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें

भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) अनिल शेतकारी शामिल हैं।

यह कमेटी सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौपेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है किकमेटी कोई मध्यस्थता कराने का काम नही करेगी बल्कि निर्णायक की भूमिका निभायेगी। जब तक कमेटी की रिपोर्ट नही आती है तब तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी। इससे पहले किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसान संगठनों के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे है। हम कमेटी के सामने नहीं जायेंगे , किसान प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगे। एमएल शर्मा ने कहा कि हम मर मिटने के लिये तैयार हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि जो भी लोग समाधान चाहते है, उन्हें कमेटी के पास जाकर अपनी बात रखनी चाहिये। कोर्ट ने कहा कि हमें कृषि कानूनों की वैधता की चिंता है. साथ ही किसान आंदोलन से प्रभावित लोगों की जिंदगी और संपत्ति की भी फिक्र है. हम अपनी सीमाओं में रहकर मुद्दा सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कृषि कानून की मुश्किलों को दूर करने के लिये सरकार और किसान संगठन आठ बार बैठकें कर चुके हैं लेकिन सहमति नहीं बन सकी। किसान तीनों कानूनों की वापसी की मांँग पर ही अड़े हैं लेकिन सरकार कुछ विषयों पर संशोधन के लिये राजी है। कोर्ट ने कहा कि हम कानून पर रोक लगा सकते हैं पर इससे बात नहीं बनेगी। हमारे पास कमेटी बनाने का अधिकार है. हम समस्या का हल चाहते हैं , इसलिये कमेटी बनाने की बात कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को पास किया, उसका लंबे वक्त से विरोध हो रहा था. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं, इसी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास जा पहुंँचा। किसान संगठनों के वकील विकास सिंह ने कहा कि किसान मौजूदा प्रदर्शन स्थल से किसी दूसरी जगह पर जा सकते हैं. उन्होंने प्रदर्शन के लिये रामलीला मैदान देने की मांग रखी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, रामलीला मैदान या कहीं और प्रदर्शन के लिए पुलिस कमिश्नर से इजाजत के लिये किसान आवेदन कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गणतंत्र दिवस बाधित करने की आशंका वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है।
4 सदस्यीय कमेटी के सदशय,,,,,

  1. जितेंद्र सिंह मान, प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन
  2. डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
  3. अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट
  4. अनिल धनवत, शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र

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