अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस आज पर विशेष : अगर ब्रेल का अविष्कार नहीं होता तो नेत्रहीनों के जीवन के विकास आज जितना हुआ है शायद उतना भी नहीं हो पाता
अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस आज पर विशेष : अगर ब्रेल का अविष्कार नहीं होता तो नेत्रहीनों के जीवन के विकास आज जितना हुआ है शायद उतना भी नहीं हो पाता
भुवन वर्मा बिलासपुर 4 जनवरी 2021
नेत्रहीनों के लिए पढ़ने लिखने की लिपि ” ब्रेल ” का आविष्कार एक फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था। आज के दिन चार जनवरी 1809 में इनका जन्म हुआ था, इसी के अवसर पर आज का दिन “लुइ ब्रेल दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है। अगर ब्रेल का अविष्कार नहीं होता तो नेत्रहीनों के जीवन के विकास आज जितना हुआ है शायद उतना भी नहीं हो पाता।
लुई ब्रेल जब 3 वर्ष के थे तब अपने पिताजी के दुकान में खेलते समय उनकी आंखों में तेज हथियार से चोट लग गई जिसके बाद उनकी एक आंख की रोशनी चली गई और बाद में संक्रमण से दूसरे आंखों की भी रोशनी चली गई और वह पूरी तरह से देखने में असमर्थ हो गए।
इसके बाद उनके पिताजी ने उनका दाखिला रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर द ब्लाइंड यूथ पेरिस में करवाया । पढ़ाई के साथ-साथ वे अपना अधिकतर समय कागज में छेद उभारने में गुजारते रहते थे । उस स्कूल में “वेलन्टीन होउ” द्वारा बनाई गई लिपि से पढ़ाई होती थी, पर यह लिपि अधूरी थी। इस विद्यालय में एक बार फ्रांस की सेना के एक अधिकारी कैप्टन चार्ल्स बार्बियर एक प्रशिक्षण के लिये आए और उन्होंने सैनिकों द्वारा अँधेरे में पढ़ी जाने वाली “नाइट राइटिंग” या “सोनोग्राफी” लिपि के बारे में व्याख्यान दिया। यह लिपि कागज पर अक्षरों को उभारकर बनाई जाती थी और इसमें 12 बिंदुओं को 6-6 की दो पंक्तियों को रखा जाता था, पर इसमें विराम चिह्न, संख्या, गणितीय चिह्न आदि नहीं होते थे। लुई ने इसी लिपि पर आधारित किन्तु 12 के स्थान पर 6 बिंदुओं के उपयोग से 64 अक्षर और चिह्न वाली लिपि बनायी। उसमें न केवल विराम चिह्न बल्कि गणितीय चिह्न और संगीत के नोटेशन भी लिखे जा सकते थे। यही लिपि आज सर्वमान्य है।
लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे मात्र 15 वर्ष के थे। 1824 में यह लिपि विश्व के कई देशों में उपयोग लाई जाने लगी। ब्रेल लिपि को कागज पर उभार कर नेत्रहीन व्यक्ति पढ़ने और लिखने में प्रयोग करते हैं। इस लिपि में कागज के ऊपर एक बिंदु डॉट के समान उभार बनाकर अक्षरों संख्याओं व संकेतों को दर्शाया जाता है और इसी उभार को नेत्रहीन व्यक्ति अपनी उंगलियों से स्पर्श कर पढ़ते हैं। लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है।
दिव्यांग अधिकार मंच के संयोजक अजीत कुमार और लक्ष्य फ़ॉर डिफरेंटली एबल के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह बताते हैं कि जहां तकनीक के विकास के साथ-साथ दृष्टि बाधित लोगों कंप्यूटर और मोबाइल और अन्य उपकरणों के माध्यम से शिक्षण , कौशल विकास, स्वरोजगार व कार्य क्षेत्र में प्रयोग कर रहे हैं । पठन-पाठन सामग्री सुगमता के साथ ऑनलाइन पुस्तकालय और वेबसाइट पर भी उपलब्ध है , फिर भी भाषा की सही पकड़ और संप्रेषण के लिए हर दृष्टिबाधित शिक्षार्थी को ब्रेल लिपि का आना जरूरी है। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए यह एक बहुत ही प्रभावी लिपि है।