वैदिक गणित को सरल एवं रोचक बनाने की विधा – पुरी शंकराचार्य
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वैदिक गणित को सरल एवं रोचक बनाने की विधा – पुरी शंकराचार्य
भुवन वर्मा बिलासपुर 17 नवम्बर 2020
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अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज उद्भासित करते हैं कि वैदिक गणित श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी की देन है, इस पीठ के 143 वें श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी वैदिक गणित के प्रणेता हैं, जिसके आधार पर आजकल कम्प्यूटर, मोबाइल आदि संचालित हैं। वैदिक गणित को विद्यार्थियों के बीच सरल एवं रोचक बनाने की विधा के संबंध में पुरी शंकराचार्य जी संकेत करते हैं कि ऐसा है कि शिक्षा का उद्देश्य जब तक केवल अर्थोपलाब्धि रहेगा और प्रमाण पत्र की प्राप्ति तक शिक्षा सीमित रहेगी तब तक इस प्रकार के ग्रन्थ का विज्ञान कठिन है , क्योकि ऋतंभरा प्रज्ञा से संपन्न महर्षियों के द्वारा इस प्रकार कि रचना की जाती है तो बहुत अंतर्मुख , मेधावी , और धैर्यवान व्यक्ति इस प्रकार के विज्ञान को आत्मसात कर सकते है। हमारे कहने का अभिप्राय यह है कि देवता की उपासना जिसके जीवन में है ,संयम है , मेधाशक्ति है , और दर्शन तथा गणित का आपेक्षित विज्ञान है उनको इस प्रकार के गणित को समझा पाना पहले सुगम है , फिर क्लिष्ट विषय को सूक्ष्म विषय को स्थूल रूप में , द्रष्टांतो के द्वारा , चित्रों के द्वारा सुगम बनाया ही जाता है , जैसे हम एक संकेत करते है कि वेदों कि भाषा जटिल है , उसके भाव बहुत जटिल है , दर्शनों की भाषा बहुत जटिल है , उसके भाव बहुत गंभीर है लेकिन पुराणों के माध्यम से , महाभारत इत्यादि इतिहासो के माध्यम से महर्षियों ने कथा का आलम्बन लेकर उसे बहुत ही रोचक और हृदयग्राही बना दिया।
भागवत में जो दर्शन सम्बन्धी श्लोक है वह तो बहुत ही कठिन है लेकिन इतिहास का भाग , कथा का भाव जोड़कर उसको इतना रोचक बना दिया कि प्रायः आजकल तो हर क्षेत्र में भागवत कथा आदि का आयोजन होता ही है , इसी प्रकार महाभारत का जो सिद्धांत है , वह तो बहुत दार्शनिक है लेकिन दार्शनिक तथ्यों को सुगमता पूर्वक रोचकता कि शैली में प्रस्तुत किया गया तो आम जनता भी उसको समझ सकती है ! इसी प्रकार उन ग्रंथो को जब चित्र के माध्यम से और द्रष्टांतो के माध्यम से , एक प्रकार से गल्प , संवाद , कहानी के माध्यम से व्यक्ति सरल रूप देंगे तो आम जनता के लिये भी यह ग्रन्थ उपयोगी सिद्ध हो सकेंगे , कालांतर में !इसके लिये पर्याप्त परिश्रम की आवश्यकता है , मेरा विषय केवल गणित नहीं है , मुख्य विषय मेरा दर्शन है और विश्व को दिशाहीन व्यापार तंत्र और दिशाहीन शासन तंत्र से बचाना है , तो मै केवल गणित को लेकर बैठ जाऊंँगा तो काम नहीं बनेगा। इसलिये मैंने संकेत किया कि मुझे मेधावी सहयोगियों कि अपेक्षा है , तभी यह कार्य जैसी आप भावना व्यक्त कर रहे है उसके अनुसार विद्यार्थियो तक पहुँचाने में हमें सफलता मिलेगी !
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