हिन्दु राष्ट्र संघ का आशय – पुरी शंकराचार्य
हिन्दु राष्ट्र संघ का आशय – पुरी शंकराचार्य
भुवन वर्मा बिलासपुर 12 नवम्बर 2020
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज हिन्दू राष्ट्र संघ की अवधारणा को संकेत में स्पष्ट करते हैं कि यद्यपि वस्तुस्थिति यह है कि ब्रह्माजी तथा गोत्रप्रवर्तक कश्यपादि ऋषियों की परम्परा में मानवमात्र समुत्पन्न हैं। इस तथ्य में जिनकी आस्था है, वे हिन्दु हैं। इस तथ्यको सद्भावपूर्वक संवाद के माध्यम से विश्वस्तर पर ख्यापित करने पर सम्पूर्ण विश्व ही हिन्दुराष्ट्र सम्भावित है। इतना ही क्यों ; चतुर्दशभुवनात्मक ब्रह्माण्ड में सन्निहित दिव्यता का रहस्य सनातन वेदादिशास्त्रसम्मत कर्मकाण्ड और उपासनाकाण्ड में आस्था ही सिद्ध है। सद्भावपूर्वक संवाद के माध्यम से सत्यसहिष्णुता की क्रमिक अभिव्यक्ति के फलस्वरूप पृथिवी, जल, तेज, वायु, आकाश और विविध स्थावर तथा जङ्गम प्राणियों से समन्वित भूमण्डल को हिन्दू राष्ट्र के रूप में ख्यापित करने की आवश्यकता सुरक्षित, सम्पन्न, सेवापरायण, स्वस्थ तथा सर्वहितप्रद व्यक्ति तथा समाज की संरचना इस लक्ष्य की सिद्धि में आस्थापूर्वक संलग्न विविध राष्ट्रों का सङ्घ , हिन्दू राष्ट्र सङ्घ है ।