कृषि बिल पर चर्चा के दौरान संसद में विपक्ष ने किया हंगामा

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कृषि बिल पर चर्चा के दौरान संसद में विपक्ष ने किया हंगामा

भुवन वर्मा बिलासपुर 20 सिंतबर

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — वैश्विक महामारी कोरोना संकटकाल के बीच संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन आज सरकार ने कृषि संबंधित तीन विधयकों को राज्यसभा में पेश किया जबकि कृषि से जुड़े दो बिल लोकसभा से पहले ही पास हो चुके हैं। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 प्रस्तुत किया। तोमर ने कहा कि ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिये आजाद होगा। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि इन बिलों के बारे में कई तरह की धारणायें बनायी गयी हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य का इस विधेयक से कोई लेना देना नही है। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि एमएसपी जारी है और आगे भी जारी रहेगी। इसमें किसी को शंका करने की जरूरत नही है। इन विधेयकों के माध्यम से किसानों के जीवन में बदलाव आयेगा। फिलहाल विपक्षी दल बिल का विरोध कर रहे हैं जबकि किसानों से जुड़े संगठन लगातार इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा राज्यसभा का समय ना बढ़ायें मंत्री का जवाब कल हो। कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना ​​है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा कि इस बिल के जरिये किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है। यह एक काला कानून है जिसका मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से विरोध करता हूंँ।. उन्होंने कहा कि आपने एफडीआई का जमकर विरोध किया था लेकिन आज आप किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने जा रहे हैं, देश के किसानों की आत्मा को बेचने जा रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाये , जो हितधारक हैं उनको पहले सुना जाये। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि सरकार किसानों को कमजोर ना समझे। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि पीएम मोदी ने बताया था कि बिल को लेकर अफवाह फैलायी जा रही है, ऐसे में मैं पूछना चाहता हूंँ कि क्या अफवाह पर ही एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया ? वहीं जेडीयू ने कृषि विधेयक का समर्थन किया है। पार्टी के सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा कि बिहार 2006 में एपीएमसी अधिनियम से हटने वाला पहला राज्य था , तब से कृषि उत्पादन और खरीद एमएसपी के साथ बढ़ी है। लोकसभा में पारित होने के बाद सत्र के सातवें दिन राज्यसभा में पेश किये गये कृषि सुधार विधेयकों पर जमकर हंगामा हुआ। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब और वोटिंग के समय तो बात इतनी आगे बढ़ गई कि टीएमसी सांसद डेरेक ओ, ब्रायन सहित कई सांसद उपसभापति चेयर तक पहुंँच गये। कुछ सांसदों ने कागज फाड़े तो कुछ ने माइक को तोड़ डाला। हंगामा को ज्यादा बढ़ता देख उपसभापति ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दी।

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