छत्तीसगढ़ में महामारी के जिम्मेदार आयातित श्रमिक हैं : छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना

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छत्तीसगढ़ में महामारी के जिम्मेदार आयातित श्रमिक हैं : छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ;आखिर अचानक कैसे हुआ छत्तीसगढ़ में कोरोना विस्फोट ?

अवैध रुप से यूपी बिहार से छुपाकर लाए गये मजदूरों से फैला कोरोना

भुवन वर्मा बिलासपुर 18 सितंबर 2020

रायपुर/दुर्ग/बिलासपुर । छत्तीसगढ़िया क्रांन्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने हमारे साथ बातचीत में बताया कि कोरोना महामारी घोषित होने के महीनों बाद तक भी छत्तीसगढ़ बहुत सुरक्षित था ।पिछले कुछ दिनों से ही यहां स्थिति विकराल हुई है । छत्तीसगढ़िया लोग लगातार काल के गाल में समाते जा रहे हैं । वर्तमान स्थिति बहुत भयानक और नियंत्रण से बाहर हो चुकी है । छत्तीसगढ़िया क्रांन्ति सेना का यह निष्कर्ष है कि इस अचानक आई इस परिस्थिति के जिम्मेदार यहां के उद्योगपति, व्यापारी और यहां की बेपरवाह सरकार हैं । एक तरफ सरकार कागजों में घोषणा करती है कि छग के उद्योग प्रतिष्ठानों में शत-प्रतिशत छत्तीसगढ़िया श्रमिकों को रखा जाए तो दूसरी तरफ ठीक सरकार की नाक के नीचे तमाम उद्योगों से चुन-चुन कर छत्तीसगढ़िया श्रमिकों , कर्मचारियों, अधिकारियों को निकाल बाहर किया जा रहा है । दस-बीस वर्षों से स्थायी रुप से कार्यरत छत्तीसगढ़िया श्रमिक जब सुबह सुबह खाने का डिब्बा लेकर फैक्ट्री की गेट पर पहुंचते हैं तो उन्हे गेट में घुसने नहीं दिया जा रहा है । ऐसे श्रमिक जो छत्तीसगढ़िया कौम देखकर हो रहे इन गैरकानूनी छटनियों का विरोध कर रहे हैं उन्हे उन्ही परिसरों और परिसर के बाहर बाहरी गुंडो और बाउंसरों के द्वारा पिटवाने के दर्जनों वारदातें सामने आईं हैं । कोरोनाकाल में अचानक बाहर कर दिये गये इन छत्तीसगढ़िया श्रमिकों की खाली जगहों को यूपी-बिहार से लाए गये सस्ते मजदूरों के द्वारा भरा जा रहा है । ऐसी घटनाएं एक दो जगह नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में हो रही हैं जैसे कि बाहरी मजदूर छत्तीसगढ़ में लाकर भरने की प्रतिस्पर्धा मची हो । जैसे कि इन सारे सेठ उद्योगपतियों ने इस हिमाकत के लिये छत्तीसगढ़ सरकार से लाईसेंस ले लिया हो । आम नागरिक यदि प्रदेश की सीमा में प्रवेश करता है तो उसके लिये कठोर क्वारेंटीन और आईसोलेशन के नियम कायदे इस्तेमाल किये जाते हैं लेकिन रात के अंधेरों में हजारों की संख्या में निजी वाहनो में भरकर लाए जा रहे सस्ते मजदूरों की तरफ से प्रशासन ने आंख मूंद रखा है । इन्हें लाकर बिना किसी जांच और आईसोलेशन के सीधे फैक्ट्री की चारदीवारी के अंदर अवैध रुप से रखकर काम पर लगाया जा रहा है । चिकित्सकीय जांच तो छोड़ दीजिए, न इनके संभावित आपराधिक रिकार्ड की जांच करने दिया जा रहा है न ही इनकी मुसाफिरी थानों में दर्ज की जा रही है । यही वह लोग हैं जिनके द्वारा आज गांव-गांव में बिजली की गति से कोरोना संक्रमण को फैलाया जा रहा है ।

छत्तीसगढ़ में बाहर से आकर उद्योग-व्यापार चला रहे लोगों के द्वारा आज पूरे छत्तीसगढ़ को शमशान घाट में बदलने की उनकी दीर्घ कालीन साजिश सफल होती दिख रही है । एक तरफ मूल छत्तीसगढ़िया श्रमिकों की पहचान पूछकर उनके पेट पर लात मारा जा रहा है तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ की धरती को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले बाहरी लोगों को बुलवाकर पाटा जा रहा है । आज कोई भी अखबार उठाकर देख लें, लगभग सारे अपराधों में परप्रांतीयों की संलिप्तता नजर आती है । व्यापार जगत में भी इसी तरह की हिमाकतें हो रहीं हैं । विशालकाय थोक कपड़ा बाजार पंडरी तक में वर्षों से काम कर रहे स्थानीय हमालों, गाड़ीवानों, सैल्समैनों को अचानक काम से हटाकर वहां बिहारियों से काम लेने की गंभीर शिकायतें क्रान्ति सेना तक आ रहीं हैं । सरकारी शराब दुकानों से हजारों छत्तीसगढ़िया सेल्समैन और स्टाफ को निकालकर उनकी जगह पुराने दौर की तरह बिहारी पंडो की भरती चालू कर दी गई है । भारी लौह उद्योगों के साथ-साथ राजधानी के आसपास स्थित बिस्कुट-ब्रेड की फैक्ट्रियों में भी ऐसे अत्याचार रोज घटित हो रहे हैं ।

इन मामलों में सरकार की चुप्पी संदेहास्पद है । हमारा प्रदेश बाहरी अत्याचार से त्रस्त है । जगह-जगह हो रहे बाहरी और स्थानीय के वर्ग- संघर्षों से प्रदेश गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है । इन बाहरी बसाहटों के गैर-कानूनी कारनामों पर सरकार गूंगी-बहरी बनने का अभिनय जरुर कर सकती है लेकिन छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना मूल निवासियों पर हो रहे लगातार अत्याचार और प्रहार को अब बर्दाश्त नहीं करेगी । हमारे पुरखों ने अपना सर्वस्व बलिदान देकर छत्तीसगढ़ का निर्माण कराया है , अब छत्तीसगढ़ महतारी की बलिवेदी पर छत्तीसगढ़ के विरोधियों के सामूहिक प्रतिघात की संभावना बढ़ती जा रही है । छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ियों को अल्पसंख्यक बनाने के बाहरी षड़यंत्रों को किसी भी हद तक जाकर रोकने के लिये संकल्पबद्ध है ।

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