पाली वनपरिक्षेत्र के जेमरा जंगल से सैंकड़ो पेड़ों की कटाई कर एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा का प्रयास, वनों के सुरक्षा की ओर ध्यान नही दे रहे निष्क्रिय अधिकारी- कर्मचारी
पाली वनपरिक्षेत्र के जेमरा जंगल से सैंकड़ो पेड़ों की कटाई कर एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा का प्रयास, वनों के सुरक्षा की ओर ध्यान नही दे रहे निष्क्रिय अधिकारी- कर्मचारी
भुवनवर्मा बिलासपुर 18 सिंतबर 2020
कटघोरा वनमंडल अंतर्गत पाली वनपरिक्षेत्र में पदस्थ अधिकारी- कर्मचारियों की निष्क्रियता एवं अनदेखी से ग्राम जेमरा के दर्राहापारा में मुख्यमार्ग से चंद कदम की दूरी पर घने हरियाली लिए आच्छादित जंगल के एक बड़े हिस्से से सैकड़ों पेड़ों का सफाया कर दिया गया है।और ऐसा कृत्य स्थानीय कुछ ग्रामीणों द्वारा वनभूमि पर कब्जा की नीयत से किया जा रहा हैं।
पाली से चैतुरगढ़ मुख्यमार्ग पर नागोईभांठा व जेमरा के बीच स्थित ग्राम दर्राहापारा जहां मार्ग से महज 20 मीटर भीतर सैकड़ो छोटे- बड़े साल, तेंदू, चार के पेड़ों को बेदर्दी से काटकर करीब 10 से 12 एकड़ वनभूमि पर अवैध कब्जा का प्रयास स्थानीय कुछ ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है।जमीन कब्जियाने हेतु जंगल कटाई का यह मामला आसपास तो चर्चित हो चला है किंतु इस क्षेत्र के देखरेख के लिए तैनात वनकर्मियों के संज्ञान में नही जा पाना या फिर जानबूझ कर ध्यान नही दिया जाना कब्जाधारी ग्रामीणों के हौसलों को बल मिल रहा है तथा अन्य ग्रामीण भी देखादेखी वनभूमि पर कब्जा करने के फिराक में है।दरअसल यह मामला केवल जंगल कटाई का नही है बल्कि इसके आड़ में पट्टा हासिल करने का मामला सामने आ रहा है।और जंगल की कटाई वही लोग कर रहें है जिन्होंने वनभूमि पर वर्षो पूर्व से कब्जा होने सम्बंधित अधिकार पट्टा का आवेदन किया है।तथा जंगल की कटाई करने वाले ये समझ रहे हैं कि जंगल उजाड़कर वनभूमि पर कब्जा करने के साथ ही उन्हे पट्टे की शक्ल में उक्त भूमि का अधिकार पत्र मिल जाएगा।और तब वे उस भूमि पर खेत बना सकतें हैं।ऐसे में पाली वनपरिक्षेत्र के अधिकारी- कर्मचारियों की अनदेखी व निष्क्रियता जंगल का उजाड़ कार्य कर वनभूमि पर कब्जा करने वालों की सोंच को और मजबूत बना रही है।अब इसे दुर्भाग्य ही कहा जाए कि पाली परिक्षेत्र की कमान ऐसे परिक्षेत्राधिकारी के हाथों सौंप दिया गया है जो विभागीय कार्यालय के वातानुकुलिन कक्ष में बैठे- बैठे अपने कर्तव्यों की ईश्रिति कर रहे है और फील्ड में तैनात कर्मचारी अपने अधिकारी के इस निकम्मेपन का फायदा उठा जंगलों को कब्जाधारियों के हवाले सौंप अपने- अपने घरों मे आराम फरमा रहे है।जिसका नतीजा यह हो रहा है कि हरियाली से आच्छादित पाली परिक्षेत्र के जंगलों की बेतहाशा कटाई हो रही है।और जिस परिक्षेत्राधिकारी प्रहलाद यादव के कंधों पर वनों की सुरक्षा व संवर्धन की जिम्मेदारी है वे इस कदर निंद्रा में लीन है कि उनके अधीनस्थ वनअमला अपनी जिम्मेदारियों का निर्वह कैसे कर रहा है यह भी देखने की फुर्सत नही ही।वनमंडलाधिकारी अपने ऐसे लापरवाह नौकरशाहों पर लगाम कसें अन्यथा वह दिन दूर नही जब हरे- भरे जंगलों के अस्तित्व पर संकट का बादल छाने के साथ रेगिस्तान का टापू बनकर रह जाएगा।