बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए कुम्हरखान पहुंची जिला सरकार : गिर चुके कच्चे-पक्के मकान और तबाह हो चुकी फसलों का अलग-अलग सर्वेक्षण

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बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए कुम्हरखान पहुंची जिला सरकार : गिर चुके कच्चे-पक्के मकान और तबाह हो चुकी फसलों का अलग-अलग सर्वेक्षण

भुवन वर्मा बिलासपुर 11 सितंबर 2020


भाटापारा -बाढ़ की त्रासदी झेल रहे कुम्हरखान के लिए गुरुवार का दिन बेहद अहम था। यह इसलिए क्योंकि प्रशासन खुद पूरी संवेदनशीलता के साथ उसके द्वार पर खड़ा था। यह देखने के लिए कि कितना नुकसान हुआ है? राहत और मदद कैसे दी जा सकती है? अहम इसलिए था कि तबाह हो चुकी फसल और गिर चुके कच्चे-पक्के मकान के लिए अलग-अलग सहायता का प्रस्ताव बनाए जाने के आदेश जारी किए गए हैं।

1200 की आबादी। 700 एकड़ का रकबा। 500 मवेशियों से भरापूरा इस गांव के किनारे से होकर बहने वाली शिवनाथ नदी हमेशा से गांव की प्यास बुझाती रही है तो फसलों को भी जीवन देती रही है लेकिन अगस्त के अंतिम और सितंबर के शुरुआती दिनों में हुई बारिश के बाद शिवनाथ ने जो रौद्र रूप दिखाया उसके बाद पूरी ताकत से पहुंचा पानी फसलों को तबाह करता हुआ निकल गया। जान का नुकसान इसलिए नहीं हुआ क्योंकि समय रहते प्रशासन ने गांव खाली करवा लिया। लेकिन 3 दिन बाद जब पानी उतरा और गांव वाले वापस हुए तो तबाही का जो दृश्य सामने था उसने आंखों से आंसू निकाल दिए। राहत या मदद के लिए सबसे पहले पहुंचा पशु चिकित्सा विभाग, जिसकी आंखों देखी ने कलेक्टर तक को झकझोर दिया। हालात सामान्य होने और आवागमन का रास्ता खुलने के बाद गुरुवार को उनके आदेश पर राजस्व विभाग की तरफ से पटवारी पहुंचा और पूरी गंभीरता से एक एक घर, एक एक खेत का अवलोकन कर राहत का प्रस्ताव बनाया।

एक एक चीज पर ध्यान

कलेक्टर के स्पष्ट निर्देश के बाद जो काम किए जा रहे हैं उसमें कच्चे और पक्के मकान की अलग-अलग सूची बनाई जा रही है। गिर चुके मकानों को अलग से लिखा जा रहा है तो खेतों की फसलों प्रजातियों का विवरण अलग से दर्ज किया जा रहा है। बाड़ियों में लगी सब्जियों को हुए नुकसान भी लिखे जा रहे हैं। कलेक्टर के निर्देश की गंभीरता इसी बात से जानी जा सकती है कि गलियों और सड़कों की स्थिति की भी जांच की जा रही है। पेयजल के लिए हैंडपंप और बोर तक को लिखा जा रहा है कि निकल रहा पानी पीने के लायक है या नहीं।



ध्यान में गौठान और मवेशी भी

संवेदनशीलता की मिसाल ही कही जाएगी कि मवेशियों की हालत ,सेहत तक का जायजा लेने और विवरण दर्ज करने के निर्देश हैं। चारा की व्यवस्था कैसी है यह भी बताया जाएगा। गौठान की हालत भी दर्ज की जा रही है। राहत की बात यह है कि 400 मवेशियों में से हर मवेशी पूरी तरह सुरक्षित है। पशु चिकित्सा विभाग पहले ही मवेशी मालिकों को हिदायत दे चुका है कि चारा के लिए प्रस्ताव तत्काल भेजें। इसमें विलंब ना करें। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने जांच में इन्हें भी शामिल किया है। फौरी राहत के लिए और क्या-क्या किए जा सकते हैं यह भी लिखा जा रहा है। याने कलेक्टर की नजर हर चीज पर है।

फसलों की अलग जांच

कलेक्टर के निर्देश के बाद पहुंचे पटवारी वीरेंद्र दीवान निर्देश की गंभीरता और स्थिति की नजाकत को देखते हुए कोई त्रुटि नहीं होने देना चाहते। इसलिए वे हर खेत, हर प्रजाति की फसल और उद्यानिकी फसलों की जांच, नुकसान के आंकलन का काम हर खेत तक पहुंच कर कर रहे हैं। यह काम वे जल्द पूरा करना चाहते हैं ताकि नुकसान के बाद दी जाने वाली सहायता जल्द से जल्द पीड़ितों तक पहुंचाई जा सके। खेतों तक पहुंचने के हर रास्ते को भी उन्होंने जांच के दायरे में लिया हुआ है। पूरी कोशिश इस बात की है कि हर काम त्रुटि रहित हो।
वर्जन

कुम्हरखान में जो भी नुकसान हुए हैं उन सभी की अलग-अलग सर्वेक्षण रिपोर्ट के आदेश दिए गए हैं। पूरा प्रयास है कि काम त्रुटि रहित हो और जल्द से जल्द हर संभव सहायता गांव तक पहुंच सके।

  • सुनील कुमार जैन, कलेक्टर, बलोदा बाजार

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