छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी योजना नरवा ,गरवा,घुरवा, अंतर्गत गौठान के लिए प्रस्तावित चारागाह की निस्तारी सरकारी जमीन भी नहीं रही सुरक्षित, हो रहा खुलेआम अतिक्रमण,

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छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी योजना नरवा ,गरवा,घुरवा, अंतर्गत गौठान के लिए प्रस्तावित चारागाह की निस्तारी सरकारी जमीन भी नहीं रही सुरक्षित, हो रहा खुलेआम अतिक्रमण,

भुवन वर्मा बिलासपुर 10 सितंबर 2020

छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा विकास की सेतु बांध बनाया जा रहा है

पेंड्रा ।छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के माध्यम से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने चारों चिन्हारियों को बढ़ावा देने के लगातार प्रयास किया जा रहा है,गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठान का निर्माण किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण आर्थिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके,वही नवनिर्मित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के ग्राम पंचायत मालाडांड मे छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी गौठान योजनाओं के आदेश का उड़ रही है धज्जियां, मध्य प्रदेश सीमा से लगे हुए ग्राम पंचायत मालाडांड के अंतिम छोर के जगह पर जहा समस्त ग्रामवासी ,सरपंच और सचिव के पूर्ण सहमति से गौठान योजना हेतु शासकीय जमीन की खसरा नंबर 39/1 रकबा 2.932हे. को गौठान योजना हेतु स्वीकृति प्रदान किया गया था, जिससे ग्राम पंचायत मालाडांड के आर्थिक रोजगार का अवसर प्रदान हो सके, लेकिन शासन के लाख प्रयासों के बावजूद भी गौठान योजना के तहत प्रस्तावित सरकारी जमीन भी अब सुरक्षित नहीं हो रहा खुलेआम हो रहा है अतिक्रमण, ज्ञात हो विगत दिनों ग्राम पंचायत मालाडांड के सरकारी जमीन पर कब्जा का दावा करने वाले मध्य प्रदेश के ग्राम चोलना निवासी दिनेश जयसवाल पिता रामचरण जयसवाल के द्वारा ग्राम पंचायत मालाडांड सरपंच सचिव और अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा उनकी फसल पर जानवर छोड़ने का आरोप लगाया जा रहा था, उन्होंने कहा कि यह सरकारी जमीन मेरे पिताजी के आयुर्वेदिक चिकित्सा के बदले परिश्रमिक के तौर पर यहां के 15 लोगों के द्वारा हमे प्रदान किया गया था, हमारा पूरा अधिकार है,

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत मालाडांड कि उक्त सरकारी जमीन चारागाह के निस्तारी भूमि है, भूमि के अतिक्रमण की शिकायत लगातार किया जाते रहा है, सरपंच के माध्यम से हमने कई शिकायत भी किया है, ग्रामीण और सरपंच के माध्यम से तहसीलदार महोदय और एसडीएम महोदय के समक्ष शिकायत देने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, वहीं ग्रामीणों का कहना है दिनेश जायसवाल के द्वारा लोगों को डरा धमका कर दबंगई से कब्जा कर लेने की बात कही है, जिससे यह प्रतीत होता है चोरी फिर सीनाजोरी, हम सभी ग्रामीणों इस जगह पर जनहित कार्य चाहते हैं, गौठान बनाना चाहते हैं,

उसी क्रम में सरपंच सोनू सिंह ग्राम पंचायत मालाडांड का कहना है कि हम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महत्वकांक्षी योजनाओं के आदेशों का पालन कर रहे हैं जिससे हमारे गांव का आर्थिक रोजगार का अवसर मिल सके, अपनी ग्राम पंचायत के विकास करना मेरा कर्तव्य और अधिकार है मैं वही कर रहा हूं, सभी ग्रामवासी उक्त सरकारी जमीन के चारागाह निस्तारी के अतिक्रमण की शिकायत करते रहे हैं, उक्त सरकारी जमीन के निस्तारित भूमि मे जनहित कार्य के लिए मांग लगातार करते आ रहे है, जिसकी जानकारी दिनेश जायसवाल कई बार दिया जा चुका है, उनके नहीं मानने पर ग्रामीणों ने तहसीलदार महोदय मरवाही, एसडीएम कार्यालय में भी अतिक्रमण की शिकायत की थी , पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई , मानवता के नाम पर अज्ञात व्यक्तियों के जानवर छोड़ने पर जो भी नुकसान हुआ है हम से जो भी मदद होगा हम मदद कर देंगे,

वही सचिव गुलाब सिंह ग्राम पंचायत मालाडांड का कहना है, शासन के नियमानुसार हमें जो भी आदेश ऊपर से प्राप्त होते हैं उनकी प्रतिपूर्ति करना हमारी पूर्ण जिम्मेदारी है, ग्राम पंचायत मालाडांड मे गौठान हेतु स्थान सभी ग्रामवासी पंच सरपंच के स्वीकृति के पश्चात ही हुआ है,

पटवारी, एस.के बांधव, ग्राम पंचायत मालाडांड का कहना है: ग्राम पंचायत मालाडांड की खसरा नंबर 39/1रकबा 2.932 पूर्णता सरकारी जमीन है, हमारे राजस्व दस्तावेजों के रिकॉर्ड पर उक्त खसरा नंबर सरकारी जमीन दर्ज है, किसी के दावा करने से यह जमीन उसकी नहीं हो जाती है,

वही ग्रामीणों के ऑफिस ऑफिस के चक्कर काटने से तहसीलदार कार्यालय से एसडीएम कार्यालय तक जाने के बाद भी जब कोई नतीजा नहीं मिला तो कहीं ना कहीं उनके अंदर क्रोध पनप रहा था, वह कहीं ना कहीं अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं,

सवाल यह भी उठता है कि यदि सरकारी जमीन निस्तार भूमि को ही यदि ऐसे ही अतिक्रमण किया जाने लगा ग्रामीणों के गाय भैंस के उचित चारागाह की व्यवस्था कैसे होगी, ऐसे में गौठान योजना से ग्रामीण जनों के आर्थिक विकास कोरी कल्पना ही दिखाई दे रही है, जमीनी हकीकत पर जाकर देखें तो कुछ अलग ही सवाल करती है

बहरहाल अब देखना यह होगा कि छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नरवा गरवा घुरवा योजना अंतर्गत गौठान हेतु आरक्षित सरकारी जमीन के चारागाह निस्तारी अतिक्रमण पर शासन प्रशासन के द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है,या गौठान की महत्वकांक्षी योजना से ग्रामीण आर्थिक रोजगार के अवसर क्या सिर्फ सपना बनकर ही रह जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन-प्रशासन के द्वारा क्या ठोस कदम उठाया जाता है

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