“लाक डाउन में बाबू मोशाय” कहानी कम लघु उपन्यास : विपदा की घड़ी में डॉ सत्यभामा आडिल का ऐतिहासिक साहित्य सृजन
भुवन वर्मा बिलासपुर 6 सितंबर 2020
रायपुर । लाक डाउन में बाबू मोशाय" कहानी कम ,लघु उपन्यास लिखकर लाक डाउन के दुखदाई काल को सुखदाई में बदलकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल किए हैं*
*लंबे समय से बीमार चल रहे आपके पतिदेव (प्रोफेसर साहब) का इसी समय निधन हो गया ! ईश्वर से प्रार्थना करते हैं-उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, संस्थान द्वारा विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं !*
*इन विपरीत परिस्थितियों में भी घोर विपदा की घड़ी में आप ने साहित्य सृजन करके एक ऐतिहासिक मिशाल कायम किया है*
*उम्र दराज के कारण मोटा चश्मा लगाकर एवं घोर विपत्ति काल में भी आप स्वयं को सम्हालकर साहित्य सृजन करके पाठकों के हाथ में "लाकडाउन में बाबू मोशाय" समर्पित किए हैं,यह आपके जीवट लेखकपन को प्रमाणित करने वाला है,जो मुक्त कंठ से सराहनीय एवं स्तुत्य है*
*इस लंबी कहानी को अभी मैंने पढ़ा नहीं है, समय निकालकर पढ़ूंगा और समीक्षात्मक आलेख पृथक से भेजूंगा,फिर भी इतना कह सकता हूं,कि "हांडी भर भात को देखना नहीं पड़ता, चंद दाने छू कर पूरी हांडी भर भात का आकलन कर लेते हैं," ठीक वैसी ही आपकी कहानी की कथानक, विस्तार एवं उद्देश्य समाजोपयोगी, लाभदायक,जनरंजन-मनरंजन एवं ज्ञानरंजन से परिपूर्ण है*
आदरणीया डाक्टर सत्यभामा आडिल दीदी
कला परम्परा संस्थान की ओर से सादर वंदन अभिनन्दन अउ साधुवाद ग्यापित करते हैं*
*आपका अपना अनुज*
गया प्रसाद साहू
“रतनपुरिहा”
प्रादेशिक महासचिव
कला परंपरा-कला बिरादरी संस्थान छत्तीसगढ