– कभी एक साल में बिकती थी इतनी मात्रा : अब 20 लाख टेबलेट रोज-कोरोना काल में जारी एडवायजरी ने बढाई विटामिन-सी की गोलियों की मांग

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कभी एक साल में बिकती थी इतनी मात्रा
अब 20 लाख टेबलेट रोज
-कोरोना काल में जारी एडवायजरी ने बढाई विटामिन-सी की गोलियों की मांग

भुवन वर्मा बिलासपुर 30 अगस्त 2020


रायपुर- कभी 20 लाख गोलियां एक साल में बिकती थी। अब इतनी मात्रा रोज बेची जा रही है। हाल ऐसा है कि मांग की तुलना में आपूर्ति इतनी कम है कि इस स्थिति को शॉटेज ही कहा जाना ठीक होगा। बात हो रहीे है विटामिन-सी की गोलियों की। जिनके सेवन की सलाह हर मरीज को अनिवार्य रूप से दी जा रही है।
प्रतिरोधक क्षमता बढानी है या फिर स्वस्थ्य रहना है तो ऐसी दवाईयां लेनी होगी जो इस मांग को पूरा करने में सक्षम है। ऐसे में विटामिन-सी की टेबलेट की याद सहज ही आ रही है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लिखी जा रही है चिकित्सकीय पर्ची में इसका नाम दूसरे नंबर पर है। लिहाजा मांग में जोरदार उछाल आ चुका है। बाजार का दस्तूर है कि जब मांग ज्यादा और आपूर्ति सीमित हो तो भाव वैसे ही बढ़ जाते है या फिर बढ़ा दिए जाते है। कुछ ऐसा ही हाल विटामिन-सी की गोलियों का भी है जिसकी आपूर्ति मांग की तुलना में आधी से भी कम है इसलिए एक रूपए वाली टेबलेट के लिए तीन गुना ज्यादा रकम देनी पड़ रही है।

कम्पनियां ज्यादा फिर भी किल्लत
विटामिन-सी की टेबलेट बनाने वाली कई कम्पनियां है। नामी-गिरामी कम्पनियों के उत्पादन वैसे भी हाथों-हाथ लिए जाते रहे है लेकिन यह पहला मौका है जब कई कम्पनियां अब बाजार में आ चुकी है। बिक्री के लिए मेहनत भी ज्यादा नहीं करनी पड़ रही है क्योंकि अब ब्रांड नहीें असर देखा जा रहा है। उत्पादन क्षेत्र का भी अपना अघोषित नियम है कि उत्पादक बढे़ तो कीमतें कम करनी पड़ेगी लेकिन इस समय इस नियम के विपरित चला जा रहा है। कम्पनियां बढ़ी तो मांग भी बढ़ने लगी क्योंकि स्थापित कम्पनियां मांग पूरा नहीं कर पा रही हैं।

एक साल की मात्रा एक दिन में
कोरोना संक्रमण के फैलाव और पाॅजिटीव मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह पर बचाव के लिए जो दवाईयां सुझाई गयी थी उनमें विटामिन-सी की भी गोलियां है। इस एक सलाह ने ऐसी टेबलेट बनाने वाली कम्पनियों की मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी। अब स्थितियां ऐसी है कि स्थापित कम्पनियों और छोटी ईकाइयां मिल कर प्रदेश में संक्रमण के फैलाव के पहले पूरे एक साल में लगभग 20 लाख विटामिन-सी की गोलियां बेचा करती थी वह आंकड़ा अब एक दिन का हो चुका है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेबलेट की यह किस्म किस दौर से गुजर रही है।

इस जिलेे में सबसे ज्यादा
राज्य के हर जिले में दस्तक के बाद कोरोना वायरस ने जो आतंक रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जिले में बरपाया है उसके बाद छ.ग. को विटामिन-सी की टेबलेट की कुल सप्लाई का तीन हिस्सा यह जिले ले रहे है जबकि दुसरे जिलो को जो मात्रा भेजी जा रही है वह मांग की तुलना में आधी से भी कम है इसलिए कीमत प्रति टेबलेट एक रूपए की जगह तीन रूपए लिए जाने की जानकारियां आने लगी है। शिकायत इसलिए नहीं की जा रही है क्योंकि यह फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरत वाली दवाई बन चुकी है इसलिए थोड़ी सी भी चूक सप्लाई की मात्रा को प्रभावित कर सकती है।

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