मालामाल करेगी, “रेड लेडी पपाया”

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मालामाल करेगी, “रेड लेडी पपाया”

भुवन वर्मा बिलासपुर 29 अगस्त 2020

एक पेड़ से 100 किलो उत्पादन

प्वाइंटर- देसी और विदेशी 6 लोकप्रिय प्रजातियों को दे रही मातबिलासपुर- पपीता की फसल लेने वाले किसानों को मालामाल करने आ चुकी है” रेड लेडी पपाया”। उत्पादन में यह दूसरी प्रजातियों को तगड़ी. मात देगी तो स्वाद में भी यह उपलब्ध देशी और विदेशी प्रजातियों पर भारी पड़ने जा रही है। औषधीय गुणों की भी कुछ विशेषताएं भी इसे पपीता उत्पादक किसानों के बीच पहुंच बनाने में मदद करेगी। अच्छी बात यह कि इसके दो पेड़ों के बीच की खाली जगह पर सब्जी की फसल ली जा सकती है क्योंकि यह अपनी छत्रछाया में उन्हें फलने फूलने में मदद करता है।पपीता की पूरे साल फसल के लिए नई तकनीक और नई प्रजातियां और बढ़ते बाजार के बाद लगभग हर सब्जी बाड़ी में इसके पौधे दिखने लगे हैं। तो कई जगह इसकी खेती तेजी से फैलाव ले रही है। कई प्रजातियों की उपलब्धता की वजह से इसे पूरे साल फल देने वाला माना जा चुका है। हाल कुछ ऐसा है कि इसे फलों का राजा आम के बाद दूसरे नंबर पर रखा जाने लगा है। पूरे साल मांग में बने रहने की वजह से इसकी खेती का रकबा भी विस्तार ले रहा है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए इसमें देश-विदेश में रिसर्च हो रहे हैं। सफलता मिल रही है और किसान स्वीकार भी कर रहे हैं।

6 प्रजातियों को दे रही मात

रेड लेडी पपीता का पौधा अब तक उपलब्ध और सर्वाधिक लोकप्रिय 6 प्रजातियों पर भारी पड़ रहा है क्योंकि इसका एक पौधा 100 किलो तक पपीता का उत्पादन देने में सक्षम है। जब कि दूसरी प्रजातियां इसके आसपास कहीं नहीं ठरहती। इसकी वजह यह भी है कि यह प्रजाति दूसरी प्रजातियों की तुलना में ज्यादा फल का उत्पादन देती है और स्वादिष्ट भी है। यदि फलों की संख्या पर जाएं तो 1 साल में 112 से ज्यादा फल मिलते हैं। इस प्रकार एक हेक्टेयर में 340 टन का उत्पादन हासिल हो सकता है।

आया मौसम बोनी का

पपीता उष्णकटिबंधीय फल है। अलग-अलग प्रजातियां जून से जुलाई और अक्टूबर से नवंबर या फरवरी से मार्च के महीनों में बोई जा सकती है। जल प्रबंधन इसके लिए सबसे पहली और अंतिम शर्त होगी। पानी की मानक मात्रा के लिए विशेषज्ञों की सलाह जरूरी है। क्योंकि पानी को लेकर यह प्रजाति बेहद संवेदनशील है। पानी की कमी से फलों की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। ग्रीष्मकालीन फसल में हर सप्ताह तो शीतकालीन फसल में 2 सप्ताह के बीच सिंचाई की आवश्यकता होती है। तभी यह उचित मात्रा में फसल दे सकेगी।

इनसे निकली आगे रेड लेडी

रेड लेडी देसी प्रजातियों में राची बारवानी मधु बिंदु और विदेशी किस्मों में सोलों, सनराइज,सिंटा को कड़ी टक्कर दे रही है। उत्पादन की क्षमता को देखते हुए पूसा संस्थान द्वारा “पूसा नन्हा” पपीता तैयार किया गया है। इसे सफलता भी मिल रही है क्योंकि पौधे की ऊंचाई 30 सेंटीमीटर होते ही फलों का लगना चालू हो जाता है। फलों की संख्या भी अच्छी आती है इसके बावजूद यह रेड लेडी पपीता से काफी पीछे हैं।बॉक्समिलेंगे यह गुण बोनस मेंरेड लेडी पपीता के दो पौधों के बीच की खाली जगह पर फूल और सब्जी की फसल आसानी से ली जा सकती है क्योंकि यह उन्हें आगे बढ़ाने में पूरी मदद करती है। दूसरा गुण यह है कि पपीता में विटामिन ए का सबसे अच्छा स्रोत है यह प्रजाति शुगर और वजन कम करने में सहायक है। आंखों की रोशनी बढ़ती है तो एंजाइम पपेन कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। यही कारण है कि पपीता में लगभग हर प्रजाति की मांग तेजी से बढ़ रही है।वर्जनरेड लेडी पपीता के पौधों में केवल फीमेल फ्लावर ही लगते हैं इसलिए यह उत्पादन में सबसे आगे रहने वाली प्रजाति है। इसके अलावा इसके कई और गुण इसे दूसरी प्रजातियों से अलग करते हैं।- डॉ आर के बिसेन, प्रोफेसर एंड हेड( हार्टिकल्चर) , टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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