चाहिए यूरिया, तो लेना होगा सल्फर ; नई शर्त के बाद 266 रुपए 50 पैसे की यूरिया 311 रुपए 50 पैसे में

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भुवन वर्मा बिलासपुर 15 अगस्त 2020

भाटापारा- खुले बाजार की नई शर्त। यूरिया चाहिए तो प्रति बोरी के पीछे 1 किलो सल्फर लेना होगा। चुकाना होगा इसकी एवज में 45 रुपए। पखवाड़े भर तक भटकने के बाद पहले 266 रुपए 50 पैसे कीमत वाली यूरिया के लिए 345 रुपए तक दे चुके हैं। अब नई शर्त के बीच खरीदी करने पर किसान मजबूर हो रहे क्योंकि फसलों में अब यूरिया की जरूरत पड़ने लगी है।

बीते खरीफ सत्र तक इस तरह की शिकायतों से दूर किसान इस सत्र में उर्वरक बाजार की नई-नई हरकतों से हलकान हो चुका है। पहले तो यूरिया की सप्लाई शार्ट होने की जानकारी दी गई। इस बीच भरपूर मांग का फायदा 266 रुपए 50 पैसे वाली यूरिया को 340 से 345 रुपए तक में बेचकर उठाया गया। ना तो विभाग ने कदम उठाया ना कार्रवाई की। फलतः यह कारोबार पूरी तरह मनमानी के साथ यूरिया का विक्रय करता रहा। अब जब सोसायटियों में यूरिया पहुंचने लगी है तो खुले बाजार में भी इसकी उपलब्धता हो चुकी है। लेकिन जिस तरह की बाध्यता के साथ यूरिया का विक्रय किया जा रहा है उससे किसान बेबस नजर आ रहा है।

लेना होगा सल्फर

सोसायटियों में सीमित उपलब्धता और यूरिया के लिए जरूरतमंद किसानों की भीड़ से बचने के लिए किसान खुले बाजार से यूरिया की खरीदी के लिए पहुंच रहे हैं। यहां मिल भी रही है लेकिन इस शर्त पर कि प्रति बोरी यूरिया की खरीदी के लिए 1 किलो सल्फर लेना होगा और एवज में देने होंगे 45 रुपए। इस तरह 266 रुपए 55 पैसे बोरी वाली यूरिया की खरीदी पर देने पड़ रहे हैं 311 रुपए 50 पैसे। विभाग जिस तरह आंख मूंद कर बैठा हुआ है उसके बाद शिकायत से दूर रहना ही किसान सही मान रहे हैं।

पहले भी बेच चुके हैं शर्त पर

यूरिया की शॉर्टेज या रेक नहीं आने जैसी जानकारियों के बीच पखवाड़े भर पहले किसान 267 रुपए 50 पैसे कीमत वाली यूरिया की खरीदी के लिए 340 से 345 रुपए दे चुके हैं। जानकारी कहे या शिकायत,विभाग तक पहुंचने के बाद इस पर लगाम लगा लेकिन कार्रवाई जैसी कदमों के नहीं उठाए जाने की वजह से यह कारोबार अब नए तरीके नए स्वरूप के साथ किसानों के सामने मौजूद है। मजबूर किसान शर्त मानकर खरीदी कर रहा क्योंकि उसे यूरिया की तत्काल जरूरत है। वजह यह कि बारिश के बाद बियासी का काम पूरा हो चुका है। निंदाई भी अंतिम चरण में है।

ऐसी स्थिति में ही उपयोगी

इधर सल्फर के उपयोग या छिड़काव के समय को लेकर कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि पौधे यूरिया डालने के बाद भी पीले पड़ रहे हों तभी सल्फर का छिड़काव किया जाना चाहिए। पौधों का पीलापन यह संकेत देता है कि मिट्टी में सल्फर की मात्रा कम हो गई है। इसके अलावा वैज्ञानिक धान की फसल की इस अवधि में सल्फर का छिड़काव सही नहीं मान रहे है ।यदि इस पर ध्यान नहीं दिया और यह काम किया गया तो विपरीत परिणाम सामने आ सकते हैं।

” यदि धान के पौधे पीले पड़ रहे हो तब ही सल्फर का छिड़काव करें। अन्यथा इस काम से परहेज करें। वैसे धान के पौधों का यह काल सल्फर के लिए उपयोगी नहीं है ” – डॉक्टर वी. एन मिश्रा, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सॉइल साइंस एंड एग्रो केमिस्ट्री, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर।

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