तीज-त्यौहार, बोली और भाषा हमारी पहचान: भूपेश बघेल

15
images (1)

भुवन वर्मा, बिलासपुर – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां गोंडवाना भवन टिकरापारा में आयोजित राष्ट्रीय भोजली महोत्सव में शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का स्वागत परम्परागत रूप से पगड़ी पहनाकर किया गया। कार्यक्रम का आयोजन गोडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति और छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इस अवसर पर गोंड समाज प्रमुख लाल तारकेश्वर प्रसाद खुसरो, गोड़ समाज के पदाधिकारी सहित ओडिशा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए सामाजिक बंधु उपस्थित थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज को स्वतंत्रता दिवस ,रक्षाबंधन पर्व और भोजली पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, बोली-भाषा, रहन-सहन और तीज-त्यौहार हमारी पहचान का अभिन्न हिस्सा है। हमें इन्हें बचाकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि पहले भोजली का त्यौहार गांव-गांव में परम्परागत उत्साह के साथ मनाया जाता था। लोग भोजली बदते थे और भोजली का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बड़ा होता था। हमारी यह परम्परा समाप्त हो रही थी। आदिवासी समाज ने इस परम्परा को न सिर्फ पुनर्जीवित किया है बल्कि जगह-जगह इसका बड़े स्तर पर आयोजन कर इसे एक बार फिर समाज की परम्परा का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अपनी परम्परा के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने हरेली,  विश्व आदिवासी दिवस, तीज, छठ, माता कर्मा जयंती पर सामान्य अवकाश की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को उनकी मातृ भाषा में शिक्षा देने से यह दिल की गहराईयों तक पहुंचती है। अन्य भाषा में यह केवल दिमाग तक पहुंचती है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की सबसे प्राचीन भाषाओं में शामिल गोंड़ी, हल्बी, और कुडुख में पढ़ाई होनी चाहिए। ये भाषाएं हमारी पहचान हैं। नई पीढ़ी तक इसकी जानकारी पहुंचनी चाहिए। प्रदेश में बच्चों को छत्तीसगढ़ी, सरगुजिया, हल्बी, कुड़ुख, गोंडी भाषा में शिक्षा के लिए डिजी दुनिया एप बनाया गया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के हित में सरकार लगातार काम कर रही है। सरकार में मंत्रीगणों के अलावा बस्तर, सरगुजा और मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष आदिवासी समाज से बनाए गए हैं। उन्होंने राज्य सरकार के द्वारा लिए गए फैसलों की विस्तार से जानकारी दी।  उन्होंने राजधानी में समाज के लिए जमीन आबंटित करने की मांग पर कहा कि नवा रायपुर अटल नगर में विभिन्न समाजों को सामाजिक कार्यों के लिए जब जमीन का आबंटन होगा तब आदिवासी समाज को भी जमीन आबंटित की जाएगी। इस अवसर पर समाज के अनेक पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

About The Author

15 thoughts on “तीज-त्यौहार, बोली और भाषा हमारी पहचान: भूपेश बघेल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed