ना रंग रोगन ना आतिशबाजी, वार्निश पेंट और पटाखा निर्माण इकाइयों को नहीं मिल रहे ऑर्डर
भुवन वर्मा बिलासपुर 04 अगस्त 2020
दीपावली के लिए वार्निश में 70 और पटाखा कारोबार में 80 प्रतिशत गिरावट की प्रबल आशंका
रायपुर- अब वार्निश पेंट निर्माण कंपनियां कोरोना का शिकार होती नजर आ रही हैं। दूसरी तरफ शिवाकाशी का पटाखा उद्योग वेंटीलेटर पर जा चुका है। कुशल श्रमिकों की गैर मौजूदगी और आवाजाही के संसाधन पर ब्रेक लगा हुआ है लिहाजा फोन पर ऑर्डर लिए जाने की शुरुआत हो चली है लेकिन और दूसरे पर्व की हालत को देखते हुए वार्निश पेंट और पटाखा को होलसेल कारोबारी हाथ लगाने से पीछे हटने लगे हैं।
2 माह बाद आ रही दीपावली के लिए वार्निश पेंट और पटाखा कारोबार बेतरह मंदी के बाद राज्यों से मिलने वाले ऑर्डर के लिए खुद को खड़ा करने के प्रयास में लगा हुआ है लेकिन शुरुआती प्रयास में जैसे जवाब मिल रहे हैं उसके बाद इन दोनों उद्योगों की आंखों की नींद गायब होने लगी है क्योंकि होलसेलर फोन कॉल रिसीव तो कर रहे हैं लेकिन ऑर्डर बुक नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इस बार इन दोनों बाजार को छत्तीसगढ़ से तगड़ा नुकसान होने की आशंका है। वार्निश पेंट बाजार से थोड़ी बहुत मांग निकल सकती है लेकिन पटाखा बाजार से नाउम्मीदी हाथ लग सकती है।
वार्निश पेंट बाजार खामोश
दीपावली के लिए अगस्त माह से उत्पादन इकाइयों में काम के घंटे बढ़ने लगते हैं क्योंकि आर्डर का पहुंचना चालू हो जाता है लेकिन इस बार इस उद्योग की हालत बेहद खराब है। उद्योगों में मजदूरों की कमी है तो देश से मांग नहीं उठ रही है। छत्तीसगढ़ की बात करें तो दीपावली पर राज्य में वार्निश पेंट और डिस्टेंपर व चूना इन चारों को मिलाकर लगभग 40 से 50 करोड़ रुपए का कारोबार होता रहा है। इसमें इस बार 70 फ़ीसदी गिरावट की पूरी आशंका है क्योंकि ऑर्डर के लिए किए जा रहे फोन काल पर साफ शब्दों में इनकार किया जा रहा है।
वेंटिलेटर पर पटाखा उद्योग
दीपावली के लिए शिवाकाशी का पटाखा उद्योग अब तक तैयार नहीं हो पाया है। संक्रमण के मामले में तमिलनाडु तीसरे स्थान पर आ चुका है इसलिए यहां नियंत्रण के लिए जैसी कड़ाई दिखाई जा रही है उसके बाद पटाखा उद्योग में लगे ताले कब खुलेंगे यह फिलहाल अंधेरे में है। बीते बरस का बचा स्टॉक निकालने के प्रयासों में भी शिवाकाशी के पटाखा उद्योगों को निराशा हाथ लग रही है। ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ में 100 करोड़ के इस कारोबार को रिकॉर्ड 70 करोड़ का तगड़ा झटका लगने के प्रबल आसार बनते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में यह कारोबार वेंटिलेटर पर आ चुका है।
शिवाकाशी को दूसरा झटका
पटाखा उद्योग के रूप में देश भर में पहचान बना चुका शिवाकाशी देवी देवताओं के पोस्टर निर्माण के लिए भी जाना जाता है। अत्याधुनिक तकनीक वाली कलर मशीनों में छपने वाली देवी देवताओं की तस्वीरें बनाने वाली प्रिंटिंग यूनिटों में भी ताले लगे हुए हैं। बिक्री के मिल रहे आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों की खरीदारी के दम पर प्रदेश में इसका कारोबार लगभग 30 करोड रुपए का है। इस पर भी पूरी तरह ब्रेक लग चुका है। इस तरह शिवाकाशी को इस कारोबार से भी निराशा हाथ लगने जा रही है।
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