टीनएजर के लिए आंखों की देखभाल : डिजिटल युग में जरूरी हुई दृष्टि सुरक्षा – नेत्र विशेषज्ञ
शैक्षणिक संस्थानों, अभिभावकों के लिए विशेषज्ञों ने जारी किए अहम दिशानिर्देश
बिलासपुर। छग. नेत्र विशेषज्ञ संघ ने शनिवार को आईएमए हॉल में एक प्रेस वार्ता आयोजित की। इसमें नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ एलसी मढ़रिया ने बताया कि आंखों की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। आज मोबाइल की जितनी आवश्यकता है उतनी एडिक्शन भी हो गई है। इसका दुष्परिणाम युवा पीढ़ी में ज्यादा देखने को मिल रहा है। डॉ मढ़रिया ने बताया कि 15 से 20 प्रतिशत बच्चे मोबाइल के उपयोग से प्रभावित होते हैं। मोबाइल के ज्यादा उपयोग का आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यह विश्व स्तर की समस्या हो गई है। यदि सावधानी नहीं बरती गई तो वर्ष 50 तक पूरे विश्व में 50 प्रतिशत लोगों को चश्मा लग जाएगा। चश्मा लग जाने से साल में चेकअप कराने सहित कई परेशानी बढ़ जाती है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज बच्चों का होम वर्क सहित पढ़ाई संबंधी हर काम मोबाइल से हो रहा है। यही वजह है कि बच्चों, युवाओं में आंख की समस्या महामारी के रूप में बढ़ रही है। इससे बचने एवं लोगों को जागरूक करने ऑल इण्डिया लेबल पर प्रेस वार्ता आयोजित की जा रही है। उन्होंने बताया कि 20-20-20 नियम को फॉलो करने से राहत मिलती है यानी हर 20 मिनट बाद, कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। यह आंखों की फोकस करने वाली मांसपेशियों को आराम देता है। उन्होंने बताया कि आज लोगों को माइनस चश्मा ज्यादा लग रहा है। इस मामले में देश का पोजीशन 40 प्रतिशत पहुंच गया है। सिंगापुर में यह समस्या ज्यादा है। इस समस्या का मुख्य कारण बच्चों के आउटडोर खेल बंद हो जाना, सूर्य का प्रकाश नहीं मिलना, विटामिन युक्त खान-पान की कमी आदि है। उन्होंने बच्चों को विटामिन युक्त फल खाने एवं जहां तक हो सके पूरी नींद लेने प्रमोट करने की जरूरत पर बल दिया।
जरूरी है राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम की
नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ संदीप तिवारी ने कहा कि नेत्ररोग संबंधी समस्या को जानने, समझने राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम की जरूरत है। कोविड के बाद खास कर चाइना, जापान, सिंगापुर में आंखों संबंधी समस्या ज्यादा बढ़ी है। इससे बचने लोगोें को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि माइनस चश्मा लगने से आंखों संबंधी अन्य समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। आंखों की समस्या को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को भी दूर करने की आवश्यकता है।
समझना होगा मायोपिया के साइड इफेक्ट को
डॉ सौरभ लूथरा ने बताया कि उम्र के हिसाब से नेत्र संबंधी समस्याएं बढ़ती है। इस समस्या की रोकथाम के लिए मिल कर आगे बढ़ना एवं माओपिया के साइड इफेक्ट को समझना होगा। उन्होंने बताया कि पूरे भारत में नेत्र सुरक्षा के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जा रहा है।
साल में एक बार जरूर कराएं नेत्र की जांच
डॉ खाण्डे ने कहा कि समय-समय पर नेत्र रोग को लेकर लोगों को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने बच्चों का साल में एक बार नेत्र जांच कराने की जरूरत पर भी बल दिया और कहा कि आंखों को स्वस्थ रखना उतना ही ज़रूरी है जितना कि अपने फोन को चार्ज रखना। डिजिटल उपकरणों के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए आंखों की देखभाल अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक ज़रूरत है।
About The Author

