सरदार पटेल के समतामूलक समाज की स्थापना जो आर्थिक रूप से सशक्त हो, सामाजिक रूप से समावेशी हो – इन्ही भावों के साथ स्वाभिमान चेतना रथ यात्रा

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रायपुर ।लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म जयंती के परिपेक्ष में 24 अक्टूबर 2025 को लोह पुरुष की प्रतिमा के साथ स्वाभिमान चेतना रथ यात्रा निकाली जाएगी। जो रायपुर जिले से महासमुंद जांजगीर कोरबा रायगढ़ बिलासपुर से होते हुए 31 अक्टूबर को पुनः रायपुर पहुचेगी। प्रत्येक जिले के जिला मुख्यालय में सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रतिमा स्थल पर स्वाभिमान चेतना रथ यात्रा के दौरान पुष्पांजलि एवं आमसभा का भी आयोजन किया जाएगा।उद्देश्य लोह पुरुष के महान योगदान को सर्व समाज के लोगों के बीच जागरूकता रैली के माध्यम से भारतीय एकता दिवस की महता को अवगत कराया जाना है। वही 31 अक्टूबर 2025 को स्वाभिमान चेतना रथ यात्रा का समापन पर
राजधानी रायपुर में लोह पुरुष की जन्म जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा ।

आयोजन में छत्तीसगढ़ के सर्व समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ एक विशाल कार्यक्रम प्रस्तावित है। जिसमें वक्ताओं द्वारा सरदार पटेल के विचारों को सर्व समाज के जनमानस के बीच संप्रेषण किया जाएगा। जहां समता मूलक समाज की स्थापना के लिए जन आंदोलन ग्रुप में स्वाभिमान एकता दिवस पर चेतना जगाने का कार्य किया जाएगा। स्वाभिमान चेतना रथ आयोजन समिति के प्रमुख रामबली सिंह पटेल (9450314004) राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान मंच अपना दल( एस) एवं संगठन प्रदेश प्रभारी एवं सक्रिय सदस्य संजय चंद्राकर (9752709507) भिलाई 3 दुर्ग ने चर्चा के दौरान कहीं ।

उन्होंने कहा कि देश मे सरदार पटेल के विचारों के अनुरूप एक समतामूलक समाज की अवधारणा में आर्थिक आत्म-निर्भरता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान, पिछड़े वर्गों और महिलाओं का सशक्तिकरण, और सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देना शामिल था। उनका उद्देश्य राष्ट्रवाद और देशभक्ति को बढ़ावा देना था, जिसमें सभी नागरिक संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप व्यक्तिगत स्वतंत्रता का आनंद ले सकें और देश के विकास में योगदान दें।  जैसे- आर्थिक समानता: पटेल ने स्वदेशी संसाधनों और प्रतिभाओं का उपयोग करके घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जिससे आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास हो सके।

सामाजिक सशक्तिकरण: उन्होंने पिछड़े समुदायों और महिलाओं को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया ताकि वे समाज में बराबरी से भाग ले सकें।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता: पटेल ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप रखने पर बल दिया, यह सुनिश्चित करते हुए कि व्यक्ति देश के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें।

राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रवाद और देशभक्ति को उन्होंने समाज को एक सूत्र में पिरोए रखने वाले मूल तत्व माना।

सांप्रदायिक सद्भाव: उन्होंने धार्मिक सुधारों के माध्यम से धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई और भारत के लिए खतरा सांप्रदायिकता को बताया, न कि साम्यवाद को, जिससे एक समतामूलक समाज का निर्माण हो सके।

संक्षेप में कहे तो सरदार पटेल एक ऐसे समतामूलक समाज की वकालत करते थे। जो आर्थिक रूप से सशक्त हो, सामाजिक रूप से समावेशी हो, और जहाँ प्रत्येक नागरिक संवैधानिक मूल्यों के तहत अपनी स्वतंत्रता का सम्मान कर सके।

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