चंद्र ग्रहण 2025 एक विशेष खगोलीय और धार्मिक घटना ग्रहण के दौरान विशेष रूप मंत्र जाप करें – पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डाँ दिनेश जी महाराज

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बिलासपुर।पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि साल 2025 का चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है, जो खगोलीय और धार्मिक दोनों ही दृष्टियों से खास मानी जा रही है। इस बार यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। यह इसलिए क्योंकि ग्रहण के समय चंद्रमा हल्का लाल रंग का दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत के सभी हिस्सों में आसानी से देखा जा सकेगा, जिससे यह एक असाधारण अनुभव बनेगा।

यह ग्रहण 6 सितंबर, 2025 की रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा और रविवार रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। कुल मिलाकर, यह ग्रहण लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा, जो इसे एक लंबी खगोलीय घटना बनाता है।

ग्रहण का खगोलीय और वैज्ञानिक महत्व
चंद्र ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्रमा धीरे-धीरे गायब होता हुआ दिखाई देता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ जाता है, तो यह पूर्ण चंद्र ग्रहण कहलाता है।

भारत में दृश्यता- यह चंद्र ग्रहण भारत के सभी शहरों से आसानी से दिखाई देगा। यह एक दुर्लभ मौका है जब भारत के लोग इस खूबसूरत खगोलीय दृश्य का आनंद ले सकेंगे।

चंद्र ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व-

धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण को एक संवेदनशील समय माना जाता है। इस दौरान कई तरह के नियमों और सावधानियों का पालन करने की सलाह दी जाती है। इस बार का ग्रहण इसलिए भी खास है क्योंकि यह ज्योतिषीय दृष्टि से कई ग्रहों की स्थितियों के साथ मिलकर योग बना रहा है।

सूतक काल नियम और सावधानियां
चंद्र ग्रहण के समय एक निश्चित अवधि होती है जिसे सूतक काल कहते हैं। इसे अशुभ या नकारात्मक ऊर्जा का समय माना जाता है। चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस बार सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर ग्रहण की समाप्ति तक यानी रात 1:26 बजे तक रहेगा।

सूतक काल में वर्जित कार्य-

भोजन बनाना और खाना: इस समय भोजन बनाना और खाना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा भोजन को दूषित कर सकती है। हालांकि, बच्चे, बूढ़े और बीमार लोगों पर यह नियम लागू नहीं होता।

मूर्ति स्पर्श: मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करने की मनाही होती है।

शुभ कार्य:*इस अवधि में किसी भी नए या शुभ कार्य, जैसे विवाह, मुंडन, या गृह प्रवेश को करने से बचना चाहिए।

धारदार वस्तुओं का उपयोग:चाकू, कैंची, और सुई जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

बाल, दाढ़ी और नाखून काटना: इस समय बाल, दाढ़ी और नाखून काटना भी अशुभ माना जाता है। ग्रहण काल में करने योग्य कार्य
हालांकि सूतक काल को अशुभ माना जाता है।

ग्रहण मे करने योग्य कार्य
ग्रहण के समय को धार्मिक और आध्यात्मिक साधना के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
मंत्र जाप और ध्यान: यह समय मंत्रों का जाप, ध्यान और भगवान का स्मरण करने के लिए सबसे उत्तम है। माना जाता है कि इस दौरान मंत्रों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ग्रहण खत्म होने पर घर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। कुश या तुलसी के पत्ते का उपयोग: सूतक काल शुरू होने से पहले भोजन और पानी में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए, क्योंकि इससे ये दूषित नहीं होते।

ग्रहण में किए गए धार्मिक कार्य का फल कई गुना होता है-

धार्मिक कार्यों का महत्व बढ़ जाता है: ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्यों का महत्व बढ़ जाता है, जैसे कि पूजा-पाठ, मंत्र जाप, और दान-पुण्य करना।
पुण्य की प्राप्ति: ग्रहण के दौरान किए गए धार्मिक कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में सुख और शांति लाने में मदद करता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: ग्रहण के दौरान किए गए धार्मिक कार्यों से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आध्यात्मिक लाभ: ग्रहण के दौरान किए गए धार्मिक कार्यों से आध्यात्मिक लाभ होता है, जैसे कि आत्म-शुद्धि और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति। ग्रहण में किए गए कार्यों का फल कई गुना होने के पीछे की मान्यता यह है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है, जो धार्मिक कार्यों को अधिक प्रभावी बनाती है।

गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियां
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है।बाहर न निकलें: गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। धारदार वस्तुओं से दूर रहें: उन्हें चाकू, सुई या किसी भी धारदार वस्तु का उपयोग नहीं करना चाहिए।

मंत्र जाप करें: गर्भवती महिलाओं को अपने इष्टदेव का ध्यान और मंत्र जाप करना चाहिए।सोना नहीं चाहिए।

ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

ज्योतिष के मुताबिक, यह चंद्र ग्रहण बहुत खास है क्योंकि यह शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लग रहा है। इसके अलावा, राहु चंद्रमा के साथ युति बना रहा है, जिससे ग्रहण योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इस दौरान चंद्रमा की स्थिति बदलने से भावनाओं, मानसिक संतुलन और जीवन की दिशा पर सीधा असर पड़ता है।यह योग कुछ राशियों के लिए थोड़ी मुश्किलें ला सकता है। विभिन्न राशियों पर पडने वाले प्रभाव इस प्रकार है-
मेष-लाभ
वृष- कार्यनाश
मिथुन – कष्ट
कर्क -घात
सिंह-हानि
कन्या- शत्रुनाश
तुला-संतानपीड़ा
वृश्चिक -कष्ट
धनु-विजय
मकर-धननाश
कुंभ-देहकष्ट
मीन-हानि

इस अवसर पर मंदिर का पट दर्शनार्थ हेतु बंद रहेगा। क्योंकि सूतक का प्रारंभ दोपहर 12:58 से हो रहा है। इसलिए दर्शनार्थ हेतु मंदिर का पट पुनः 8 सितंबर को प्रातः 8:00 बजे खुलेगा।

भवदीय
ब्रह्मचारी मधुसूदन पाण्डेय व्यवस्थापक श्री पीतांबरा पीठ
त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़

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