असम से मुकाबले को तैयार बस्तर की फूल झाड़ू : समर्थन मूल्य पर पहली बार सरकारी खरीदी से आदिवासी क्षेत्रों की बढ़ेगी आय

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भुवन वर्मा बिलासपुर 8 जुलाई 2020


बिलासपुर –माना कि टेक्नोलॉजी ने क्लीनिंग इंडस्ट्रीज को एक से बढ़कर एक इक्विपमेंट दिए हैं लेकिन घरों के बाद ऑफिस, होटल, मॉल या बड़े व्यवसायिक संस्थान में फूल झाड़ू का भी होना नितांत जरूरी है। ऐसे में यदि इसकी खेती करने वालों से इसकी भी खरीदी सरकार समर्थन मूल्य पर कर रही है तो यह प्रोत्साहन आगे चलकर पूरे प्रदेश में एक नई तरह की फसल के रूप में पहुंच सकती है।

इस साल राज्य लघु वनोपज संघ ने वनोपज की सूची में जिन वनोपज को पहली बार शामिल किया है उसमें नया नाम फूल झाड़ू का भी है। 2018 तक समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली वनोपज की सूची में केवल 7 नाम थे। इसमें एक नाम ने जो सभी को हैरत में डाला है वह है फूल झाड़ू। इस नाम ने पहली बार इसकी महत्ता की पहचान उन क्षेत्रों में करवाई है जिनके लिए यह महज एक साधारण झाड़ू था। अब यह भी समर्थन मूल्य पर खरीदा जाने लगा है। इसकी खरीदी वनोपज संग्राहकों ने ₹40 किलो की दर पर की है। और सप्लाई सीधे यूनिटों को होगी

इसलिए समर्थन मूल्य पर फूल झाड़ू
घरों में इसकी मांग में होते लगातार इजाफे के अलावा अब क्लीनिंग इंडस्ट्री के भरपूर इक्विपमेंट के बावजूद शॉपिंग मॉल बड़े ऑफिस होटल और व्यावसायिक परिसरों में फूल झाड़ू की मांग में वृद्धि हो रही है। इसकी एक ही वजह है कि इन स्थानों में क्लीनिंग उपकरण के उपयोग के बाद भी ऐसे हिस्से बच जाते हैं जिन की सफाई केवल झाड़ू से ही की जा सकती है। अपने प्रदेश में इसकी आपूर्ति असम से हो रही है। यहां यह बता देना जरूरी होगा कि बस्तर का अबूझमाड़ के पहाड़ी ढलानों और मनेंद्रगढ़ के जंगली क्षेत्र के अलावा सरगुजा के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक तौर पर यह मिलते रहे हैं। उपयोग भी इन्हीं क्षेत्रों में होता रहा है।

सरकारी खरीदी से बढ़ेगी आय
राज्य लघु वनोपज संघ ने इस साल पहली बार समर्थन मूल्य पर खरीदी की सूची में व्यापक बदलाव करते हुए कुछ ऐसी वनोपज की खरीदी की अनुमति दी है जिनकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। इसमें सबसे पहले नंबर पर चरोटा है जिसकी खरीदी चार देश छत्तीसगढ़ से कर रहे हैं। संग्रहण और खरीदी में इसके संग्राहको तक इस बरस अच्छी खासी रकम पहुंचाई है। इसे ही ध्यान में रखते हुए पहली बार फूल झाड़ू समर्थन मूल्य पर 30 रुपए प्रति किलो की दर पर खरीदी जा रही है। खरीदी का क्रम अभी जारी है इसलिए कुल भुगतान के आंकड़ों की प्रतीक्षा की जा रही है। निश्चित तौर पर इससे वनांचल क्षेत्रों के रहवासियों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सहायक उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा
राज्य लघु वनोपज संघ ने 35 गांव के 866 हाट बाजारों के माध्यम से महिला स्व सहायता समूह के जरिए वनोपज की खरीदी की मंजूरी दी है। जिन वनोपज की खरीदी की जा रही है उनके लिए 139 प्राथमिक प्रसंस्करण वन-धन केंद्र भी चालू किया जा चुका है। इससे भी रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा और वनांचल के रहवासियों मे आय का जरिया बढ़ाया जा सकेगा

क्या है फूल झाड़ू
इसका वैज्ञानिक नाम थायसनोलाएना मैक्सिमा है। जो पोएसी कुल की एक घास है। अपने देश में असम की कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में इसकी खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। वहां रहने वाली जनजाति समुदाय के द्वारा मिश्रित फसल के रूप में इसे लिया जाता है। संकट काल में इसका उपयोग ईंधन और चारा के रूप में भी किया जाता है। पूरी तरह इको फ्रेंडली यह घास देश के बाजारों तक पहुंचती है।

वनोपज की नई सूची में फूल झाड़ू का नाम जोड़ा जाना अच्छी पहल है। हमने इसकी भी खरीदी शुरू कर दी है। उत्पादक क्षेत्र बस्तर से इसकी खरीदी 40 रुपए
प्रति किलो की दर पर की जा रही है। यह समर्थन मूल्य से ज्यादा है।

  • सुभाष अग्रवाल, संचालक एसपी इंडस्ट्रीज रायपुर
    वर्जन
    ब्रूम ग्रास घास कुल की एक प्रजाति है।जिसका उपयोग फूल झाड़ू बनाने में किया जाता है। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के पहाड़ी ढलान में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है जो इस इलाके के आदिवासी जनजातियों की आजीविका का साधन है।
  • डॉ अजीत विलियम साइंटिस्ट फॉरेस्ट्री टीसी बी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर

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