जामुन की टहनियों से भी कर सकेंगे दांतों की सफाई : छाल में मिले चार बीमारी दूर करने के औषधीय गुण

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भुवन वर्मा बिलासपुर 06 जुलाई 2020

बिलासपुर- खुशखबरी। अब जामुन की टहनियां भी दातून के रुप में उपयोग की जा सकेंगी। ठीक वैसे ही जैसे नीम या बबूल का उपयोग किया जाता है। पूर्व में हुए परीक्षण में यह प्रमाणित हुआ है कि केवल टहनियां ही नहीं बल्कि पेड़ों की लकड़ियों के छोटे टुकड़े भी दातून के रूप में उपयोगी है। इतना ही नहीं इसकी छाल मैं चार और बीमारी से निजात दिलाने के गुण मिले हैं।

सागौन, शीशम, साल की ही श्रेणी में रखा जा सकता है जामुन का पेड़। यही नहीं इसकी लकड़ी मजबूती मैं इन सभी को टक्कर देती है। लेकिन पहली बार इसकी लकड़ियों की मजबूती के परीक्षण के बीच कई गुणों का खुलासा हुआ है। अभी तक जामुन को ही औषधीय गुणों से युक्त माना जा रहा था लेकिन पूर्व परीक्षण में नई जानकारी सामने आने के बाद औषधि निर्माताओं को बहुत बड़ा सहारा मिलने जा रहा है। वैसे जामुन की लकड़ी का उपयोग अभी तक केवल नाव बनाने में ही किया जाता रहा है लेकिन नए खुलासे ने जामुन के पेड़ को बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है।

इसलिए जामुन पर परीक्षण
जामुन वैसे भी कई औषधीय गुणों से भरपूर है लेकिन जब लकड़ियों का उपयोग बढा और इमारती लकड़ियों की कटाई पर कड़ी बंदिश लगाई गई तब इसका उपयोग होने लगा। इस बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली के महरौली में निजामुद्दीन बावड़ी का जीर्णोद्धार किया तब इसमें जो लकड़िया पाई गई उसमें इसके जामुन के होने की जानकारी सामने आई क्योंकि यह बावड़ी 700 साल पुरानी है। इस खुलासे के बाद वानिकी विशेषज्ञों का ध्यान इस ओर गया और गुणों की जांच में जो जानकारियां सामने आई है उससे कई रोगों को प्राकृतिक तरीके से खत्म करने में मदद की राह आसान होने जा रही है।

रोकती है काई और शैवाल
पूर्व में हुए परीक्षण में पाया गया है कि इसकी लकड़ी को यदि पानी की टंकी में डाल दिया जाए तो यह टंकी में काई नहीं जमने देती है ना ही शैवाल को पनपने का मौका मिलता है। इतना ही नहीं पानी में रहते हुए यह अपने आप को पहले से ज्यादा और मजबूत करने में सक्षम होता है। बता दें कि इसमें यही गुण इसे नाव की तली बनाने में महत्वपूर्ण जगह हासिल करने में मदद करता है।

टहनियों से दातून तो छाल करता है रक्त शुद्ध
परीक्षण में जामुन के तने के ऊपरी हिस्से यानी छाल में श्वसन रोग से बचाव के गुण मिले हैं। इससे होने वाला दर्द दूर करने में मदद मिलती है। तो रक्त शुद्ध करने में भी महत्वपूर्ण माना गया है। अल्सर में इसका सेवन काफी राहत पहुंचाने के औषधीय गुण मिले हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस की टहनियों को दातून के रूप में उपयोग किया जा सकता है क्योंकि इसमें दांतो को मजबूत करने के गुण भी मिले हैं। यानी अब जामुन की टहनियां नीम और बबूल को टक्कर देने जा रही है। पूर्व में हुए परीक्षण ने जामुन के फल के बाद अब लकड़ियों को बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है। मुनगा के बाद अब जामुन की छाल दूसरी ऐसी वस्तु बनने जा रही है जिसमें यह औषधीय गुण मिले हैं।

” जामुन के पेड़ में औषधीय गुणों को लेकर जो परीक्षण पूर्व में हो चुका है उसे देखते हुए अब इसके पौधरोपण के लिए वृहद कार्ययोजना बनाए जाने की जरूरत है क्योंकि इस प्रजाति के पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है ” – डॉ अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट, फॉरेस्ट्री, टी सी बी कॉलेज एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर।

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