चिन्हारी साहित्य समिति गुरुर का आयोजन : भाँचा राम के कहानी, लक्ष्मण के जुबानी किताब का हुआ विमोचन और नवरत्न हुए सम्मानित

भुवन वर्मा बिलासपुर 10 अप्रैल 2025
दुर्ग। नवरात्रि रामनवमी के पावन अवसर पर युवा कवि डॉक्टर लक्ष्मण उमरे कौशिक की नई किताब भाँचा राम के कहानी लक्ष्मण के जुबानी का विमोचन कुर्मी भवन कसारीडीह दुर्ग के भव्य समारोह में किया गया ।इस समारोह की विशेषताएं यह रही कि रामनवमी का दिन, 9 अतिथि ,नवरत्न सम्मान ,किताब में 135 पृष्ठ अर्थात 1,3और 5 का जोड़ यानि 9 ।यहां तक की मोमेंटो काव्य कलाकृति में भी 27 चिन्ह अर्थात 2 और 7 यानि 9। इस तरह का अनूठा नवचारी आयोजन जन चर्चा का विषय है ।मुख्य अतिथि कवि की गुरु माता डॉक्टर सरोज चक्रधर असिस्टेंट प्रोफेसर शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय गोबरा नवापारा जिला रायपुर अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कृत सेवानिवृत प्राचार्य एवं लोक साहित्यकार सीताराम साहू श्याम, विशिष्ट अतिथि तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश देशमुख सेवानिवृत्त संयुक्त कलेक्टर श्री बी. पी. चक्रधर, भगवताचार्य एवं रचना साहित्य समिति गुरुर के संरक्षक मोहन चतुर्वेदी ,प्रोफेसर रजनीश उमरे विज्ञान महाविद्यालय दुर्ग, सेन समाज के प्रमुख श्री दिनेश उमरे, माता श्रीमती गीता चक्रधर रहे । पूजा अर्चना ,अतिथि स्वागत के बाद कृतिकार उमरे ने अपनी काव्य यात्रा और पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी साथ ही साथ उन्होंने कहा कि आज मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कलयुग के इस लक्ष्मण को अपना आशीर्वाद देने के तीनों युग के देवता साक्षात् अपना आशीर्वाद देने के लिये मंच पर उपस्थित हैं जिसमे सतयुग के प्रतिनिधि के रूप मे गुरु माँ सरोज चक्रधर, बी. पी.चक्रधर, श्री मती गीता चक्रधर और जगदीश देशमुख जी भगवान विष्णु के रूप मे मंच पर विराजमान हैं साथ ही श्री सीताराम साहू श्याम जी त्रेता युग के प्रतिनिधि के रूप मे मंच पर आशीर्वाद प्रदान करने हेतु उपस्थित हैं एवं द्वापर युग के प्रतिनिधि के रूप मे मोहन प्रसाद चतुर्वेदी जी साक्षात् श्री कृष्ण के रूप मे विराजमान हैं फिर आगे लक्ष्मण उमरे जी ने राम नवमी और पुस्तक से जुड़ी संयोग के बारे मे चर्चा करते हुए कहा कि राम कि कृपा के फलस्वरूप इस किताब का आई. एस. बी. एन. नंबर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस नवरात्री के प्रथम दिवस तारीक 09अप्रेल 2024 को प्राप्त हुआ और किताब का प्रकाशन अश्विन शुक्ल पक्ष दुर्गा नवमी तारीक 11अक्टूबर को संपन्न हुआ था और साथ ही उन्होंने कहा कि साहित्य लेखन रामचरित मानस तथा अपने आज के अतिथि क्रम के मूर्धन्य साहित्यकारों के श्री मुख से यदा-कदा सुने हुए वक्तव्यों से मुझे प्रेरणा मिली और मै लिखते चला गया। पश्चात अतिथि उद्बोधन के क्रम में डॉ रजनीश उमर ने कृति की काव्यगत विशेषताओं भाव पक्ष कला पक्ष पर प्रकाश डाला ।मोहन चतुर्वेदी ने कवि के साहस जीवटता और रामानुराग पर चर्चा कर आशीर्वाद दिया ।
सेवानिवृत्त संयुक्त कलेक्टर श्री चक्रधर ने किताब की पंक्तियों को उद्धरित करते हुए छत्तीसगढ़ से भगवान राम के संबंधों का बखान करते हुए कहा कि कवि चाहता तो भगवान राम की कहानी लक्ष्मण की जुबानी शीर्षक दे सकता था पर भाँचा राम शीर्षक देकर राम के छत्तीसगढ़ के प्रति प्रेमानुराग को व्यक्त किया ।समाज प्रमुख दिनेश उमरे ने इसे अपने समाज का गौरव बता कर आशीर्वाद प्रदान किया ।श्री जगदीश देशमुख ने बताया कि महान आत्माएं गर्भ की तलाश करती हैं इस दृष्टि से भगवान राम का छत्तीसगढ़ की बेटी कौशल्या के गर्भ का चयन करना छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। एक अभ्यर्थी द्वारा रामायण से शिक्षा लेकर आईएएस बनने की सच्ची घटना का जिक्र किया ।मुख्य अतिथि डॉक्टर सरोज चक्रधर ने अपने शिष्य कवि श्री उमरे के जिज्ञासु भाव और रचना धर्मिता की भूरी भूरी प्रशंसा की उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी भाषा साहित्य और संस्कृति से कट जाता है वह मर जाता है उस देश की सभ्यता मर जाती है ।लक्ष्मण का यह कार्य भाषा साहित्य और संस्कृति से जोड़ने का एक सुनहरा उदिम है। अध्यक्षता कर रहे लोक साहित्यकार सीताराम साहू ने कहा कि कवि के हर कार्य हर आयाम में नवाचार दिखता है राम शब्द का र हिंदी व्यंजन क्र mम का 27 वां अक्षर है ,आ स्वर का दूसरा अक्षर है और म व्यंजन क्रम का 25 वां अक्षर इस तरह 27 धन 2 धन 25 बराबर 54 अर्थात पांच धन चार बराबर 9 मतलब रामनवमी ।हर चीज में नएपन की तलाश कवि को ध्येय है। कवि की रचनाओं में गेयता है जिसे गाकर सुनाया जा सकता है । यह किताब कवि की शोधात्मक वृत्ति का अनुपम साकार स्वरूप है।इसके बाद नवरत्न सम्मान के क्रम में समाज सेवा नवरत्न सम्मान संस्था अथक दुर्ग को, साहित्य में छंद के छ के प्रवर्तक अरुण निगम को ,शिक्षा में श्री डी पी साहू को ,चिकित्सा में डॉक्टर संजीव कश्यप को ,नारी शक्ति में पत्रकार और चिंतक मेनका वर्मा को ,कलाकार क्रम में चिनहारी सुरे गांव की गायिका पूजा देशमुख को ,मानस में प्रख्यात रामायनी राम राजेश साहू को ,कृषि में रामेश्वर चंद्राकर और पर्यावरण नवरत्न सम्मान समाजसेवी केशव साहू को प्रदान किया गया। सेन रत्न सम्मान कला और साहित्य साधक बेनू राम सेन को ,किताब के मुख्य पृष्ठ को अपनी तूलिका से सजाने वाली बेबी स्पृहा को विशेष व्यक्तित्व सम्मान और अपनी अभिप्रेरणा से लोगों में सकारात्मकता का भाव जगाने के लिए जोया खान को विशेष व्यक्तित्व सम्मान प्रदान किया गया। अरुण निगम ने कवि को छंद में लिखकर साहित्य को समृद्ध करने का आह्वान किया।
रामायणी राम राजेश ने रामायण के अनेक उदाहरण देकर राम और लक्ष्मण के अंतर संबंधों को व्यक्त किया कहा कि लक्ष्मण के बिना राम का अस्तित्व ही निराधार हो जाता है। संस्था अथक के अध्यक्ष श्री पी आर साहू ने ऐसे आयोजन को समाजोपयोगी बताकर सम्मान करने के लिए आभार व्यक्त किया ।इस पुनीत बेला में समस्त उपस्थित कवियों को सम्मान पाती,गमछा और श्रीफल से सम्मानित किया गया उपस्थित कवियों में सरस साहित्य समिति गुंडरदेही से शिवकुमार अंगारे केशव साहू ,नवदीप साहित्य समिति अर्जुंदा से गुमान सिंह साहू डिगेंद्र साहू और श्रवण सोनी ,प्रेरणा साहित्य समिति बालोद से श्रीमती संध्या पटेल एस एल गंधर्व ,गोरेलाल शर्मा ,टिकेश्वर सिन्हा, जयकांत पटेल, पुषण कुमार साहू ,रचना साहित्य समिति गुरुर से संपत कलिहारी ,चिन्हारी साहित्य समिति से गोपाल दास मानिकपुरी, बेनु राम सेन, देवेंद्र कश्यप , वनांचल साहित्य समिति मोहला से डॉक्टर इकबाल खान तन्हा के अलावा अशोक देशमुख ,एके गुप्ता के एल साहू ,टी के गजपाल ,केपी देशमुख, बेणी राम सार्वा,
पी आर साहू, कवि उमरे के पिता श्री निरंजन उमरे एवं माता श्रीमती नीराबाई एवं दोनों भाई गीतेश उमरे नीरज उमरे दादा दादी चाचा चाची, बुआ, उनके पुत्र एवं पूरा उमरे परिवार साथ ही इष्ट मित्र कोमल चक्रधारी, राजेश सोनवानी, डायमन देशमुख, सूर्यकान्त चंद्राकर, झम्मन देशमुख, संजय साहू, संतोष साहू ओमप्रकाश हिरवानी, हेमलाल हिरवानी, डॉ. युवराज सिन्हा राजू देवदास, रंजन पंडित, मुरलीधर नागेश परिवार जनों के साथ उपस्थित थे ।समस्त अतिथियों ने वक्ताओं ने छत्तीसगढ़ी में ही अपनी अभिव्यक्ति दी ।कार्यक्रम का संचालन सुपरीचित उद्घोषक जयकांत पटेल ने छत्तीसगढ़ी में ही किया। सम्मानित होने के बाद लोक गायिका पूजा देशमुख ने पंडवानी गायन में विराट पर्व को प्रस्तुत कर समा बांध दिया उनकी प्रस्तुति हाव-भाव गायन प्रतिभा में भविष्य की अनेक संभावनाएं दिख रही हैं उनके कला साधक पिता श्री देवेंद्र देशमुख का भी सम्मान किया गया। आभार प्रदर्शन कृतिकार डॉक्टर लक्ष्मण उमरे ने किया।
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