चपाती के लिए विशेष गेहूं तैयार
दाने होंगे चमकदार वजनदार और पोषक तत्वों से भरपूर
भुवन वर्मा बिलासपुर 04 जुलाई 2020
बिलासपुर- भरपूर प्रोटीन, वजनदार दाने, भरपूर आयरन जैसे गुणों से भरपूर गेहूं की नई प्रजाति बहुत जल्द खेतों में पहुंचने वाली है। विशेष तौर पर चपाती याने रोटी के लिए विकसित गेहूं की नई प्रजाति टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन के वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार की है। रिसर्च के परिणाम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पहचान समिति के पास भेजे जा चुके हैं। यहां से अनुशंसा के बाद मध्य भारत के 4 राज्यों में इस नई प्रजाति की गेहूं की खेती की अनुमति मिलेगी।
चपाती याने रोटी। इसके पहले गेहूं। अभी तक गेहूं की जो प्रचलित प्रजाति है उनमे बहुत सारी कई कमियां है। इसमें मुख्य रूप से दानों के वजन में कमी। उत्पादन क्षमता का कम होना। पोषक तत्वों की वांछित मात्रा में कमी और प्रतिरोधक क्षमता का कम होना मुख्य रहा है। इसका सीधा असर गेहूं की गुणवत्ता और आटा से बनने वाली सामग्रियों में स्वाद के रूप में पहुंच रहा है। खासकर रोटी में इन सभी कारकों ने बेहद प्रतिकूल असर डाला है। इन्हीं सब दिक्कतों को दूर करने के प्रयासों के बीच टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन ने गेहूं – जौ अनुसंधान परियोजना के तहत गेहूं की नई प्रजाति तैयार करने का काम चालू किया। परियोजना टीम की जिम्मेदारी प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर ए पी अग्रवाल, शस्य वैज्ञानिक डॉक्टर दिनेश पांडे, तकनिकी सहायक श्रीमती माधुरी ग्रेस मींज और पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉक्टर डी जे शर्मा को सौंपी गई।
रिसर्च में लगे 3 बरस
जिन गुणों की कमी थी उनको शामिल करके गेहूं की नई प्रजाति तैयार करना चुनौती भरा काम था लेकिन टीम बराबर लगी रही। नई प्रजाति तैयार करने में प्रमुख सहारा बना एचडब्ल्यू-2004 और पी एच एस-725 जिसकी मदद से नई प्रजाति तैयार की गई। टीम को नई प्रजाति तैयार करने में सफलता मिलने के बाद इसका परीक्षण 4 राज्य के 39 अनुसंधान केंद्रों में किया गया। जिसमें सभी केंद्रों को आशातीत सफलता मिली।
तैयार हुआ सीजी-1029 गेहूं
गेहूं की नई प्रजाति सीजी 1029 अनुशंसा के लिए भेजी गई है उसमें औसत उत्पादन क्षमता 52 क्विंटल प्राप्त हुई है। यह किस्में पहले से प्रचलित प्रजाति एचडी 2932, एम पी 3336 और एचडी 2864 से 3 क्विंटल ज्यादा उत्पादन देगी। दाने तैयार होने के पूर्व और पुष्पन के बीच की अवधि में बढ़ने वाली ताप को यह भली-भांति सहन करने की क्षमता रखता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त सीजी 1029 काला रतवा और भूरा रतवा जैसी बीमारी से खुद को बचाने में सक्षम है।
वजनदार और चमकदार दानें
सीजी 1029 गेहूं का दाना बहुत मोटा और चमकदार होगा। विलंब से बोनी किए जाने पर भी ना तो उत्पादन क्षमता कम होगी ना दानों का वजन कम होगा। अनुसंधान में इसमें जरूरी पोषक तत्वों का भी ध्यान रखा गया था। लिहाजा रिसर्च टीम को देर से बोनी की स्थिति में भी दानों का वजन बढ़ाने में सफलता मिली। अब ऐसी स्थिति में प्रति 1000 दानों का वजन 457 ग्राम होगा तो रंग अंबर होगा। नई प्रजाति के गेहूं में प्रोटीन की मात्रा 12 प्रतिशत होगी तो आयरन की मात्रा 40.4 पीपीएम होगी। हेक्टोलीटर रेट 81.05 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होगा।
चार राज्यों के लिए
अनुसंधान टीम ने मध्य भारत क्षेत्र के 4 राज्य छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश गुजरात और राजस्थान के गेहूं उत्पादक किसानों की पसंद और जलवायु को ध्यान में रखते हुए सीजी 1029 तैयार करने में सफलता हासिल की है। 3 वर्ष की मेहनत और 4 राज्यों की 39 अनुसंधान केंद्रों में परीक्षण के बाद तैयार होने वाली शायद यह पहली कृषि जिंस होगी जिसका पहला परीक्षण एक साथ इतने ज्यादा अनुसंधान केंद्रों में किया गया। अब इसके परिणाम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मुख्यालय को भेजा जा चुका है। अनुमति के बाद मध्य भारत के लिए यह उपलब्ध होगा।
गेहूं की यह नई प्रजाति सीजी 1029 के दाने बेहद मोटे वजनदार और चमकदार होंगे। विलंब से बोनी के बावजूद उत्पादन क्षमता 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी। रिसर्च की रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मुख्यालय को भेजी जा चुकी है। अनुशंसा का इंतजार है।
- डॉक्टर ए पी अग्रवाल, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर
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