Corruption हाईकोर्ट से लेकर शिक्षा विभाग तक भ्रष्टाचार चरम पर : हर विभाग में विजय पांडेय बीईओ- एकादशी पोर्ते जैसे बाबू बैठें है, कलेक्टर साहब किस-किस को कहां तक सस्पेंड करेंगे….?

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बिलासपुर । आज भ्रष्टाचार पूरे देश में चरम पर है सरकार किसी की भी हो, चाहे दो इंजन से तीन इंजन की सरकार हो जाए भ्रष्टाचार कभी समाप्त नहीं हो सकता है। चाहे हाईकोर्ट के न्यायाधीश हो या शिक्षा विभाग का छोटा बाबू सभी को अपना हिस्सा चाहिए।हर दिन अखबार इन्ही भ्रष्टाचार की खबरों से भरा हुआ होता है। शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग, जल संसाधन सहित हर जगह नागनाथ और सांप नाथ याने बड़े बाबू छोटे बाबू का वर्चस्व कायम रहता है। उनका कहना है ऊपर तक घुस देना पड़ता है, अतः हमें लेना पड़ता है। राजस्व विभाग में जन्म प्रमाण पत्र से मृत्यु प्रमाण पत्र बहुत नामांतरण हर काम पर पैसे देना पड़ता है।

पटवारी तहसीलदार एसडीएम कोई भी काम को लिए बिना नहीं करते हैं।। शिक्षा विभाग की स्थिति भी बेहद खराब है । 30 -35 साल सेवा बाद सेवानिवृत शिक्षकों को अपनी पेंशन अपनी फाइल को पूर्ण करने के लिए 3 से 10% की मांग रखी जाती है । यह स्थिति किसी जिले की नहीं पूरी देश हुआ व प्रदेश की हालत लगभग एक सा है।

समस्या को लेकर एक शासकीय कर्मचारी आखिर जाए तो जाए कहां किसके पास…?

सरकारी कर्मचारी , शिक्षकों को सेवाकाल के दौरान कभी माँ या पत्नी के स्वास्थ्य उपचार के लिए या कभी बेटी की विवाह के लिए अतिरिक्त पैसा अपने ही पीएफ का निकलवाने के लिए 3 से 10% देना होता है। मुख्यमंत्री से विधायक मंत्री सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सब जानते हैं। पर इसका समाधान किसी के पास नहीं है।आमजन शासकीय सेवक कर्मचारी अधिकारी व छोटे बड़े बाबू के आगे नतमस्तक है। हम सबके दिलों दिमाग में भ्रष्टाचार रूपी शिष्टाचार रग रग में बस चुका है।

हमने ही शुरू किया हम ही सहेंगे हम ही चलाएंगे

ज्यादातर कार्यालयों में आम नागरिक ही इसके जवाब देंह हैं उन्हें काम जल्दी चाहिए और तत्काल के लिए टेबल के नीचे से लेनदेन का खेल यही से शुरू होता है। कोर्ट में भी जज के नीचे बाबू तारीख बढ़ाने के लिए आम जनों से पैसा लेता है। और कहता हैं मुझे ऊपर भी देना होता है मैडम का पूरा सामान मुझे ही लेना देना पड़ता है। पता नहीं है ऊपर में और कौन-कौन होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो जारी कर पुष्टि की जस्टिस वर्मा की घर कैश मिला….

दिल्ली हाई कोर्ट की जज जस्टिस यशवंत वर्मा की बंगले पर आग लगने के बाद मिली भारी नदी के मामले में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्यक्ष ने गी संजीव खन्ना को रिपोर्ट सौंप दी इसके बाद गी ने शनिवार रात ही इन हाउस जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी गठित कर दी देर रात सुप्रीम कोर्ट ने 25 पन्नो की पूरी रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक कर दी। इधर जांच में सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया है कि जब तक जांच पूरी ना हो जाए जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपे।

बाबू ने किया भ्रष्टाचार: बिलासपुर कलेक्टर के निर्देश पर की गई कार्रवाई

भ्रष्टाचार का आरोप प्रारंभिक जांच में सही पाये जाने पर कोटा बीईओ सहित एक क्लर्क के विरूद्व कठोर कार्रवाई की गई है। बीईओ को जहां पद से हटाकर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं, वहीं क्लर्क को निलंबित कर दिया गया है। कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर ने ये कार्रवाई की है। कोटा बीईओ का प्रभार खुरदूर के प्राचार्य नरेन्द्र प्रसाद मिश्रा को सौंपा गया है।

दरअसल कोटा विकासखण्ड की शिक्षिका श्रीमती नीलम भारद्वाज ने पखवाड़े भर पहले कलेक्टर द्वारा आयोजित कर्मचारी जनदर्शन में एक शिकायत पत्र सौंपा। उन्होंने बताया कि उनके शिक्षक पति के देहावसान उपरांत उनके स्वत्वों के भुगतान के लिए 1.24 लाख रूपये का रिश्वत मांगा जा रहा है। बीईओ को जानकारी देने के बाद उनके द्वारा भी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उनके शिकायत को टीएल पंजी में दर्ज किया और जिला शिक्षा अधिकारी को मामले की जांच के निर्देश दिए।

जांच में महिला द्वारा लगाया गया आरोप सही पाया गया। बीईओ विजय पाण्डे एवं लिपिक एकादशी पोर्ते ने मिलकर महिला शिक्षिक को परेशान किया। बिना रिश्वत लिए उनके वास्तविक स्वत्वों को भुगतान नहीं किया जा रहा था। जान बूझकर विलंबित एवं परेशान किया जा रहा था। लोगों का मानना है बीईओ की जांच डीईओ लीपापोती करेंगे।

जेल में भी भ्रष्टाचार चरम पर…

सजायाप्त कैदियों से मिलने आने वाले परिजनों को किसी को कुछ दवाई या कुछ सामान खान-पांच अगर अंदर भेजना है ।तो प्रहरी के साथ-साथ साठ गांठ के साथ मोटी रकम देनी होगी। हम आये दिन पढ़ते हैं जेल के भीतरआपस में भिड़ंत वहां उन्हें सुख सुविधाओं की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। अंदर से ही मोबाइल से अपने बाहर के गुर्गों से आसानी से बातचीत कर अपनी विरासत चलते हैं । जब तक जेल प्रबंधन सहयोग व मिली भगत न हो यह संभव नहीं है ।

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