बस्तर में नहीं थम रहा पत्रकारों की हत्या और धमकाने का मामला : नक्सलियों और ठेकेदारों द्वारा पत्रकारों की हत्या बदस्तूर जारी

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भुवन वर्मा बिलासपुर 09 जनवरी 2025

पत्रकार सुरक्षा कानून का नहीं हो रहा कड़ाई से पालन

हेमंत कश्यप/ जगदलपुर।प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण बस्तर में नक्सली, ठेकेदार और दलाल खूब कमा रहे हैं। इन सब के बीच यहां के पत्रकार जोखिम उठाते हुए अपना सामाजिक सरोकार पूरा कर रहे हैं। इसके बावजूद नक्सलियों और ठेकेदारों द्वारा पत्रकारों की हत्या, उनकी पिटाई, धमकी और गांजा प्रकरण में इन्हें फंसाने का मामला बदस्तूर जारी है। इन सब के बीच पत्रकार सुरक्षा कानून थोथा साबित हो रहा है।

दो दिन पहले ही जगदलपुर में मुख्यमंत्री के सामने एक बार फिर जोखिम के बीच काम करने का बस्तर के पत्रकारों का मामला उठाया गया था। इधर बीजापुर के पत्रकार की हत्या ने एक बार फिर बस्तर में पत्रकारों के असुरक्षित होने की बात को पुख्ता कर दिया है।बस्तर में जितनी ज्यादा खूबसूरती फैली है उतनी ज्याद ही अनियमितताएं भी व्याप्त है। ऐसी परिस्थिति के बीच पत्रकार कैसे काम करता होगा। अंदाजा लगाया जा सकता है। नक्सलियों और उनके पोषकों द्वारा पत्रकारों की हत्या की गई हैं। तोंगपाल के पत्रकार नेमीचंद जैन और बासागुड़ा के पत्रकार सांई रेड्डी की हत्या इसके उदाहरण हैं।

उधर ठेकेदारों द्वारा भी बस्तर के पत्रकार हत्या भी होते रहे हैं। कोंडागांव के संजीव बक्शी नारायणपुर के मोहन राठौर और बीजापुर के मुकेश चंद्राकर की हत्या इसके प्रमाण है। इनकी हत्या को भले ही आपसी रंजिश बताया गया, पर वे थे तो पत्रकार। राजनीतिक संरक्षण में ठेकेदारों पत्रकारों के घर में घुसकर मारपीट करने का मामला भी बस्तर में हो रहा है। केशकाल के पत्रकार हरिलाल शार्दुल और कांकेर के कमल शुक्ला और भैरमगढ़ के पत्रकार की खुलआम पिटाई को बस्तर मीडिया भूली नहीं है।पत्रकारों को मारपीट के साथ जान से मारने की धमकी लंबे समय से दी जा रही है।

राजनीतिक संरक्षण में जगदलपुर के कथित ठेकेदार द्वारा पत्रकार हेमंत कश्यप और नारायणपुर के रवि साहू के साथ भी यह हादसा हो चुका है। धमकी के कई मामले विभिन्न थानों में दर्ज भी है। इसके बावजूद पत्रकारों को धमकाने का कुकृत्य जारी है।इधर पत्रकारों के खिलाफ सीधी कारवाई के बदले इन्हें गांजा – छेड़छाड़ आदि के मामले में फंसाने की घटनाएं भी होती रही हैं। कांकेर के एक पत्रकार को पखांजूर में और दंतेवाड़ा के पत्रकार बप्पी राय और उनके तीन साथियों को तेलंगाना के चट्टी में फंसा कर जेल भेजा गया। यह मामला ताजा उदाहरण हैं।

पत्रकारों को नक्सलियों का समर्थक बता कर परेशान करने की बात भी बस्तर में लगातार होती रही है। कोंडागांव के प्रेमराज कोटरिया, बीजापुर के कमलेश पैकरा का मामला भी सभी जानते हैं। इसी तरह नक्सलियों द्वारा बीजापुर के गणेश मिश्रा और सुकमा के लीलाधर राठी को भी जान से मारने की धमकी नक्सलियों द्वारा दी जा चुकी है। उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए ही लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने और बस्तर के पत्रकारों को विशेष सुरक्षा देने की मांग लंबे समय से की जा रही हैं। सरकारें आ जा रही हैं, किंतु इस दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है।

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