बनारस कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक अतिथि निवास, तेलियाबाग, वाराणसी के सहयोग से किया गया तीन दिवसीय आयोजन

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मानव जाति के विकास में इतिहास की घटनाओं से सीख एवं महापुरूषों के बताए गए रास्ते के योगदान का काफी महत्वूर्ण होता है। इन्ही तमाम पहलूओं को मद्देनजर रखते हुए कूर्मि समाज के बुद्धिजीविओं द्वारा ”कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद” के बेनर तले कूर्मि समाज के वास्तविक इतिहास का पुर्नलेखन कार्य का काम करने का जिम्मा उठाया है। इस कार्य को मूूर्त रूप देने विगत दिनों उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर में दिनॉक 12 से 14 सितम्बर,2024 तक देशभर के कुर्मी इतिहासकार व सहित्कारों का द्वारा तीन दिवस तक गहन विचार-विमर्श किया गया। तीन दिनों तक चली इस संगोष्ठी में विद्वानों ने आपस में विचार-विमर्श किया। विद्वानों द्वारा इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि जब कूर्मि समाज का इतिहास नहीं लिखा जाएगा, तब तक हम अपने पूर्वजों के बारे में कैसे जानेंगे? जिस समाज का इतिहास जितना समृद्ध है, वह समाज उतना ही तेजी से आगे बढ़ा है। समाज द्वारा अब तक वैैज्ञानिक व तथ्यात्मक रूप से अपने इतिहास के लेखन को लेकर कभी नही सोचा गया, इसलिए कूर्मि समाज द्वारा इतिहास को लेकर कई भ्रांतियां एवं विसगतियां रही हैं। शायद इसी कारण अभी तक तुलनात्मक रूप से आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक रूप से अन्य समाज से पीछे रहे हैं। लिहाजा जिनको जो जिम्मेदारी इस संगोष्ठी में दी गई है, वे उसे ईमानदारी से निभाते हुए इतिहास खोजने की दिशा में त्वरित काम करेंगे तथा अलग-अलग राज्यों से आए तथ्यों का सत्यापन करके एकत्र किया जाएगा।
तीन दिवसीय चले राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ प्रसिद्व कुर्मी इतिहासकार इंजी. शेषराज सिंह पंवार और आचार्य प्रवर निरंजन द्वारा किया गया तथा संगोष्ठी की अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक अतिथि निवास, तेलियाबाग, वाराणसी के अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह ने की। इस संगोष्ठी में अतिथि के रूप में कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद के संयोजक एडवोकेट राजेश मोहन चौधरी, सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक, वाराणसी के मंत्री राजेश्वर कुमार पटेल, संस्थान के कोषाध्यक्ष श्यामसुन्दर सिंह कश्यप, संगोष्ठी के स्थानीय समन्वयक प्रोफेसर विजय प्रताप सिंह, संगोष्ठी के स्थानीय व्यवस्था प्रभारी डॉ. ओम प्रकाश चौधरी एवं सहायक व्यवस्था प्रभारी डॉ. श्रीपति सिंह, कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद के संगोष्ठी प्रभारी उपेन्द्र सिंह (झारखण्ड) के साथ बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के कूर्मि इतिहासकारों ने की शिरकत किए। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ के युवा लेखक व साहित्कार तथा समाजसेवी एवं संगोष्ठी के सह संयोजक डॉ. जीतेन्द्र सिंगरौल द्वारा किया गया।

इतिहास को 5 कालखंड बांट कर इतिहास खंगालने के लिए बनी विषय विशेषज्ञों की टीम-
मानव सम्यता के उद्भव से लेकर वर्तमान कालखण्ड तक 5 कालखंड बांट कर इतिहास खंगालने के लिए संयोजक व लेखन टीम में जिम्मेदारी का बटवारा किया गया, जिसके अंतर्गत प्रथम कालखण्ड में 700 ईस्वी पूर्व से ईसाकाल तक कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय संयोजक सागर मध्यप्रदेश निवासी प्रसिद्व इतिहासकार एडवोकेट राजेश मोहन चौधरी के नेतृत्व में लेखन कार्य किया जायेगा। द्वितीय कालखण्ड ईसाकाल से प्रतिहारवंश अर्थात् 1206 तक के कालखण्ड को सहारनपुर उत्तरप्रदेश से प्रसिद्व इतिहासवेत्ता इंजी. शेषराज सिंह पवार द्वारा, मानव सम्यता प्रारंभ से लेकर जाति, पेशा, इतिहास का औचित्य व प्रबोधन खण्ड बिहार पटना निवासी आचार्य प्रवर निरंजन द्वारा, तृतीय कालखण्ड प्रतिहारवंश अर्थात् वर्ष 1206 से लेकर सन् 1818 तक औरंगाबाद महाराष्ट्र इंजी. चंद्रशेखर शिखरे व महाराष्ट्र से श्री गंगाधर बनबरे द्वारा, चतुर्थ कालखण्ड स्वतंत्रता संग्राम काल अर्थात् सन् 1818 से 1947 तक बिहार भभुआ से इतिहासवेत्ता डॉ. सीमा पटेल व वाराणसी के डॉ. एस. एन. वर्मा, पंचम कालखण्ड अंतर्गत सामाजिक नवजागरण खण्ड अर्थात् 1850 से 2024 तक महाराष्ट्र नागपुर से अविनाश काकड़े व टीम द्वारा इतिहास के अनछुए पहलुओं को रेखांकित किया जायेगा।

दो प्रसिद्व पुस्तकों का विमोचन –
कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्व लेखक ईजी. चंद्रशेखर शिखरे की पुस्तक प्रतिइतिहास के अंग्रेजी अनुवादक इंजी. खुशवंत पवार द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया। इसके अलावा सागर, मध्यप्रदेश निवासी एडवोकेट राजेश मोहन चौधरी द्वारा लिखित चाणक्य की वास्तविकता (हिन्दी/ अंग्रेजी) संस्करण का विमोचन किया गया।

राज्यों के महापुरूषों, सम्यता एवं संस्कृति के शोधकार्य के लिए राज्यवार संयोजकों का चिन्हांकन-
भारत वर्ष के अलग-अलग राज्यों के घटनाक्रम के उद्भवन व विकास, राज्यों के महापुरूपों, सम्यता एवं संस्कृति के अध्ययन के लिए पूरे देश को 5 जोन अर्थात् उत्तर, दक्षिण, पूर्व पश्चिम तथा मध्य जोन में विभक्त कर राज्वार संयोजकों को जिम्मेदारी दी गई है। जिसमें बिहार राज्य के संयोजक के रूप में पटना से नवनील कुमार सिंह, महाराष्ट्र राज्य के लिए औरंगाबाद महाराष्ट्र से इंजी. चंद्रशेखर शिखरे व पुणे महाराष्ट्र से श्री गंगाधर बनबरे, झारखंड राज्य के लिए विंग कमांडर ज्ञानेश्वर सिंह, छत्तीसगढ़ के लिए संयोजक के रूप में बिलासपुर से श्री सिद्धेश्वर पाटनवार तथा राज्य समन्वयक के रूप में दुर्ग निवासी श्री मोरध्वज चंद्राकर, मध्यप्रदेश के लिए संयोजक के रूप में सतना निवासी श्री अरविंद सिंह तथा राज्य समन्वयक के रूप में भोपाल निवासी श्री प्रतिपाल पटेल, उत्तरप्रदेश राज्य के लिए संयोजक के रूप में अंबेडकरनगर के प्रो. ओ.पी. चौधरी तथा राज्य समन्वयक के रूप में चुनार मिर्जापुर निवासी डॉ. श्रीपति सिंह, उड़ीसा राज्य के लिए संयोजक के रूप में क्योंझर जनपद के श्री नरहरि महंता तथा राज्य समन्वयक के रूप में से श्री सर्वेश्वर महंता को जिम्मेदारी सौपी गई है।

तमाम कूर्मि साहित्य व दस्तावेजों का होगा डिजिटलीकरण एवं सोशल मिडिया के माध्यम से घर-घर पहुॅचाने की बनी रणनीति-
कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा देशभर के कूर्मि साहित्य व दस्तावेजों को डिजिटलीकरण करने का जिम्मा झारखण्ड के रांची निवासी श्री उपेन्द्र सिंह को दिया गया है। इसके अलावा मुंबई निवासी इंजी जनार्दन पटेल के नेतृत्व में तकनीकी टीम व डिजिटल मार्केटिंग दल का गठन किया गया है। इस टीम में आईटी विशेषज्ञों को शामिल किया गया है; जिसमें लखनऊ निवासी कर्नल सुबोध कुमार, इंदौर के इंजी प्रशांत पटेल, पुणे महाराष्ट्र से इंजी. खुशवंत कुमार, प्रयागराज के सौरभ पटेल, सासाराम से इंजी राहुल पटेल व पवन पटेल शामिल है। तकनीकी टीम द्वारा तैयार किए सामग्रियों को डिजिटल मार्केटिंग के तहत सोशल मिडिया के माध्यम से घर-घर पहुॅचाने का कार्य किया जायेगा। ई-लाईब्रेरी के माध्यम से लोग घर बैठे समाज के कूर्मि साहित्य व दस्तावेजों को पढ़ सकेगे।

इन लोगों ने की शिरकत-
कूर्मि इतिहास अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय संयोजक सागर मध्य प्रदेश निवासी प्रसिद्व इतिहासकार एडवोकेट राजेश मोहन चौधरी, सहारनपुर उत्तरप्रदेश से प्रसिद्व इतिहासवेता इंजी. शेषराज सिंह पवार, पटना बिहार से आचार्य प्रवर निरंजन, झारखण्ड रांची से श्री उपेन्द्र सिंह व श्री संजय कुमार राव, छत्तीसगढ़ के रायपुर से डॉ जीतेंद्र कुमार सिंगरौल, बिलासपुर से श्री सिद्धेश्वर पाटनवार, दुर्ग से श्री मोरध्वज चंद्राकर, महाराष्ट्र के मुम्बई से इंजी जनार्दन पटेल, अंबेडकरनगर के प्रो. ओ.पी. चौधरी,वाराणासी से श्री राजेश्वर कुमार पटेल, श्री श्यामसुंदर सिंह कश्यप, वाराणसी के प्रो. एस. एन. वर्मा व श्री मनोज वर्मा, रायबरेली से श्री अशोक चौधरी, दार्जिलिंग से श्री रामानुज पटेल, प्रयागराज के सौरभ पटेल, चुनार मिर्जापुर से डॉ. श्रीपति सिंह, राजस्थान के श्री महेंद्र पटेल, सतना मध्य प्रदेश से श्री अरविंद सिंह, ओडिशा से सर्वेश्वर महंता व नरहरि महंता, रांची झारखंड से विंग कमांडर ज्ञानेश्वर सिंह, भोपाल मध्यप्रदेश से प्रतिपाल पटेल, पुणे महाराष्ट्र से इंजी. खुशवंत कुमार व शिवमति नूपुर पवार, नागपुर से श्री अविनाश काकड़े, औरंगाबाद महाराष्ट्र से शिवमति ज्योति ताई शिखरे व इंजी. चंद्रशेखर शिखरे, महाराष्ट्र से श्री गंगाधर बनबरे, पटना से नवनील कुमार सिंह, भभुआ से डॉ. सीमा पटेल व ओम कार नाथ पटेल, सासाराम से इंजी राहुल पटेल, रोहतास बिहार से श्री महेंद्र चौधरी व श्री हिमांशु पटेल, गुजरात से कमलेश भाई प्रेम जी भाई, जहानाबाद बिहार से उमेश कुमार सिंह, पटना से पवन कुमार सिंह व संजय कुमार सिंह सहित देशभर के 09 प्रदेशों के लोगों की भागीदारी रही।

डॉ जीतेन्द्र सिंगरौल डॉ ओ पी चौधरी
सह संयोजक,संगोष्ठी स्थानीय संगोष्ठी
प्रभारी
कुर्मि इतिहास संगोष्ठी,वाराणासी।

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