कृषि जैव प्रौद्योगिकी में 30 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को मिलेगी प्रतिमाह 7500 की फैलोशिप

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भुवन वर्मा, बिलासपुर 07 जून 2020

  • गुणवत्तापरक शिक्षा हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को देगा वित्तीय सहयोग
  • योजना के तहत चयनित देश भर के 8 कृषि विश्वविद्यालयों में आई.जी.के.वी. भी शामिल

बिलासपुर। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत संचालित जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में कृषि जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में 30 नवीन सीटें स्वीकृत की गई है। इसमें प्रवेश जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय चयन परीक्षा से दिया जाएगा। पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को वित्तीय सहयोग प्रदान करेगा। इस कर्यक्रम के तहत कृषि जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के 30 विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए प्रति माह साढ़े सात हजार रूपए की फैलोशिप दी जाएगी। यह वित्तीय सहयोग पंद्रहवे वित्तीय आयोग 2020-21 से 2024-25 के तहत उपलब्ध कराया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत जैव प्रौद्योगिकी सुरक्षा बल द्वारा देश भर में केवल 8 कृषि विश्वविद्यालयों का चयन किया गया है जिनमें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर भी शामिल है और इस कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को लगातार । ग्रेड प्राप्त हुआ है।

गौरतलब है कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत संचालित जैव प्रौद्योगिकी कार्य बल द्वारा स्नातकोत्तर स्तर पर गुणवत्तायुक्त जैव प्रौद्योगिकी शिक्षा उपलब्ध कराने और प्रशिक्षित मानव संसाधन विकसित करने की योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत जैव प्रौद्योगिकी में उच्च मानदण्ड वाली शिक्षा, प्रशिक्षण, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए देश भर में योग्य एवं प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों का चयन किया जाता है। संस्थानों का चयन वहां प्रशिक्षित शिक्षकों, प्रयोगशाला सुविधाओं एवं अन्य अधोसंरचनाओं की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर का चयन भी इस कार्यक्रम के तहत किया गया है। विश्वविद्यालय में कृषि जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययन करने वाले चयनित विद्यार्थियों को जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न साधन एवं तकनीक सीखने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। इससे जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। विद्यार्थियों में कौशल विकास होगा और उनके लिए रोजगार तथा स्व-रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे।

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