छापा, जब्ती और चालान की कार्रवाई के बाद बदला ठिकाना और बढ़ाई सप्लाई तंबाकू, गुड़ाखू, सिगरेट, बीड़ी और पान मसाला की बढ़ने लगी खपत
भुवन वर्मा, बिलासपुर 06 जून 2020
बलोदा बाजार- 17 साल पुराना तंबाकू उत्पादन और नियंत्रण अधिनियम-2003 है तो प्रभावी लेकिन ताबड़तोड़ कार्रवाई ने इस कारोबार से जुड़े कारोबारियों को आपदा को अवसर में बदलने का जो मौका दिया है उससे एक बात तो साबित हो चुकी है कि निगरानी तंत्र लाख प्रयास करें लेकिन प्रतिबंधित सामग्री की बिक्री बंद नहीं कर सकती। ताजा मामला तंबाकू, गुड़ाखू और इससे बनी अन्य पदार्थों के विक्रय से जुड़ा हुआ है जिसकी बिक्री प्रतिबंध के इस दौर में उतनी ही बनी हुई है जितनी सामान्य दिनों में हुआ करती थी।
सरसीवा से लेकर सिमगा तक प्रतिबंध के इस दौर में खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने छापे मारे। प्रशासनिक अमले ने अपने अपने अधिकार क्षेत्र में अलग से अभियान चलाया। सभी जगहों पर कार्रवाई का अच्छा परिणाम देखने में आया। खुले आम बिक रही तंबाकू, गुड़ाखू , गुटखा ,बीड़ी और सिगरेट के बिक्री के साथ-साथ सेवन करने वालों की संख्या में भी तेजी से गिरावट आई लेकिन तंबाकू कारोबार इससे जरा भी विचलित नहीं है। उसने सप्लाई सेंटर बदलना चालू कर दिया है तो सप्लाई की मात्रा भी बढ़ानी चालू कर दी है। कोरोना काल के पहले तक इन सभी सामग्रियों की 95 फ़ीसदी सप्लाई बिलासपुर से होती थी इसकी जगह अब तिल्दा ने ले ली है। मात्रा भी बढ़ा दी है तो बिजनेस के पुराने तौर-तरीके भी बदल दिए गए हैं।
आपदा को बनाया अवसर
कोरोनावायरस संक्रमण के वाहक के रूप में तंबाकू और इससे बने उत्पाद को भी सहायक मानने के खुलासे के बाद व्यापक पैमाने पर हर शहर हर कस्बे में खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने छापे मारे। स्थानीय प्रशासन ने पुलिस बल के सहयोग से अलग से टीम बनाकर कार्यवाहियां की लेकिन इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए इस कारोबार ने तौर तरीके बदल दिए। प्रतिबंध के बाद बढ़ी कीमतों से होते भरपूर लाभ को देखते हुए सप्लाई सेंटर बिलासपुर से हटाकर तिल्दा को बना दिया गया है तो अनलॉक-1 का फायदा उठाते हुए सप्लाई की मात्रा भी तेजी से बढ़ा दी गई है। इससे गांव देहात तक आसान पहुंच होने लगी है।
सप्लाई बढ़ी तो मांग भी बढ़ी
अनलॉक के पहले फेज में राहत के खुले पिटारे में पान ठेलो या तंबाकू कारोबार को भले ही राहत नहीं मिली है लेकिन उपलब्धता अब बेहद आसान हो चली है। इतनी आसान कि मांग में चौतरफा दबाव बन चुका है साथ ही उपभोक्ताओं में स्टॉक की प्रवृत्ति भी देखी जाने लगी है। प्रतिबंध के पहले जिले में प्रतिदिन 1000 से 2000 किलो तंबाकू की खपत होती थी वह अब दोगुनी हो चुकी है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रतिबंध और कार्रवाई के दौर में जिस तरह कीमत इस कारोबार ने वसूल की उससे सबक लेते हुए तंबाकू उपभोक्ता इसकी दोगुनी मात्रा में खरीदी कर रहा है। लिहाजा सप्लाई सेंटरों की संख्या बढ़ाई जा रही है और कीमतों में कमी लाई जाने लगी है। इस समय तंबाकू खुला 300 रुपए किलो पर मिल रहा है तो गुड़ाखू में भी गिरावट की खबर आ रही है।
प्रदेश में सेवन की स्थिति
तंबाकू और इससे बने उत्पाद की बिक्री और सेवन में छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद भयावह है। प्रदेश की लगभग दो करोड़ की आबादी में से प्रति 1000 लोगों में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जिनकी उम्र 15 से 35 साल की है और इसी उम्र के लोग तंबाकू का सबसे ज्यादा सेवन कर रहे हैं। ग्लोबल टोबैको सर्वे में आए इस खुलासे के बाद राज्य मे तंबाकू नियंत्रण चलाया गया और तंबाकू उत्पादन और विक्रय अधिनियम-2003 को लागू किया गया। जिसे कोटपा एक्ट के रूप में जाना जाता है। कोरोनावायरस संक्रमण के फैलाव के पीछे एक वजह तंबाकू के भी होने के खुलासे के बाद जो कड़ाई दिखाई जा रही है उसके बाद यह कारोबार तेजी से रूप बदलकर बाजार में दस्तक दे चुका है। इससे तंबाकू उत्पाद की पहुंच आसान हो चुकी है।
” कोटपा एक्ट के तहत ऐसे कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। रही बात सप्लाई सेंटर के बदलने की तो इस पर नजर रखी जा रही है ” – किशोर ठाकुर, औषधि निरीक्षक बलोदा बाजार।
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