बिलासपुर में ‘झोला छाप’ ने ली 4 बच्चों की जान: घर में संचालित हो रहे थे अस्पताल; प्रशासन ने सील किए 45 अवैध क्लीनिक

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बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में झोला छाप डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर 4 बच्चों की जान ले ली। इनमें 2 बच्चों का मलेरिया का इलाज कर रहे थे। बच्चों की मौत के बाद पोस्टमॉर्टम में पता चला कि उन्हें मलेरिया था ही नहीं। इसके बाद जिला प्रशासन ने 45 झोला छाप डॉक्टरों जिले में मलेरिया और डायरिया का प्रकोप जारी है। इसे लेकर राजस्व विभाग और डाक्टरों की टीम जांच पर निकली है। इस दौरान दो लोग मेडिकल दुकान की आड़ में घर के अंदर अस्पताल संचालित कर रहे थे। टीम को घर में 2 बेड और एलोपैथिक दवाइयों का जखीरा मिला है।

कलेक्टर अवनीश शरण ने कहा है कि लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। झोला छाप डाक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। अब तक बिल्हा क्षेत्र में 17, कोटा में 12, तखतपुर और बिलासपुर में 8-8 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

मस्तूरी और वेद परसदा में कार्रवाई करते हुए 2 डाक्टरों के क्लीनिक सील कर दिए गए हैं।

नोडल अधिकारी बोले- गलत इलाज से हुई मौत

डायरिया और मलेरिया की रोकथाम के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. प्रमोद तिवारी ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि कोटा तहसील के अंतर्गत टेंगनमाड़ा में इमरान (15) और उसके छोटे भाई इरफान (10) की मौत गलत इलाज से हो गई थी।

इसी प्रकार कारीमाटी (केंदा) में अजय ध्रुव (7) और संजय ध्रुव (5) की झोला छाप डाक्टरों से इलाज के दौरान मौत हो गई। झोला छाप इन चारों बच्चों का इलाज मलेरिया मानकर कर रहे थे, लेकिन इनमें पुष्टि नहीं हुई।

मस्तूरी और वेद परसदा में 2 क्लीनिक सील

कोटा तहसील के अंतर्गत पीपरतराई में रविवार रात बंगाली दवाखाना के संचालक रिपोन मंडल के यहां एलोपैथी दवाइयां, इंजेक्शन मिलने पर क्लीनिक सील कर दिया गया। इसके साथ ही मस्तूरी क्षेत्र में मेडिकल स्टोर में ही अस्पताल संचालित किया जा रहा था। मस्तूरी और वेद परसदा में कार्रवाई करते हुए 2 डाक्टरों के क्लीनिक सील कर दिए गए हैं।

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