साल बीज पहली बार पंद्रह सौ रुपए क्विंटल, बनता है कोको बटर और कन्फेक्शनरी आइटम उत्पादन दस हजार टन पार करने की संभावना
भुवन वर्मा, बिलासपुर 01 जून 2020
बिलासपुर- साल वृक्ष। इसे आदिवासियों का कल्पवृक्ष कहा जाता है। वजह यह कि इसका हर हिस्सा किसी ना किसी काम का होता है लेकिन इस बार साल बीज जो कीमत दे रहे हैं उससे संग्राहक हैरानी में है कि ऐसी कौन सी वजह है जो बीज के दाम इतने ज्यादा दिए जा रहे हैं। ताजा कीमत पहली बार इतनी तेजी लिए हुए हैं। इसमे धारणा आगे भी तेजी की ही है। कोरोना काल के शुरुआती दिनों में पहले चरोटा बीज ने अच्छे भाव दिए। फिर बारी आई महुआ फूल की। यह रिकार्ड ऊंचाई पर चला गया। फिर लगा नंबर टोरी याने महुआ फल का। इसने भी अच्छी कीमत संग्राहको को दी। यह अभी भी जारी है। अंतिम दौर में पहुंच चुके महुआ डोरी संग्रहण के बाद अब साल बीज जिसे वनांचल में सरई बीज के नाम से जाना जाता है। इसके दाम वनोपज बाजार ने जो तय की है उसके बाद संग्राहक हैरान है पहली बार इसकी कीमत सुनकर क्योंकि अभी तक यह इतनी ऊंची कीमत पर कभी नहीं बिका। ताजा खरीदी 15 सौ से16 सौ रुपये क्विंटल पर की जा रही है। इसमें तेजी की संभावना प्रबल है क्योंकि मांग का दबाव खरीदार कंपनियों का लगातार बना हुआ है।
पहली बार 15 सौ रुपए
गरियाबंद और धमतरी जिले से निकल रहा साल बीज 15 सौ रुपए क्विंटल पर खरीदा जा रहा है। इस बार क्वालिटी अच्छी आने के बाद इसमें तेजी की प्रबल संभावना है। कुछ ही दूर बसे बस्तर का साल बीज भी इसी कीमत पर खरीदा जा रहा है। उत्पादन स्थिति को देखते हुए संभावना है कि इस बार इसकी मात्रा भी बढ़ सकती है। इसके पीछे वजह यह है कि उदंती अभयारण्य से भी अच्छे उत्पादन की खबर आ रही है।
उड़ीसा भी मैदान में
खरीदार राज्य महाराष्ट्र मे उड़ीसा का साल बीज भी तेजी से जगह बना रहा है। कीमत में छत्तीसगढ़ के साल बीज से कम होने की वजह से कुछ सफलता जरूर मिली है लेकिन गुणवत्ता के मामले में छत्तीसगढ़ के साल बीज कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सतर्क है क्योंकि वह अपना बना-बनाया बाजार हाथ से निकलने नहीं देना चाहता। इसलिए क्वालिटी पर इस बार ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
बनता है कोको बटर
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा ही दो ऐसे राज्य हैं जिनके पास साल के घने जंगल हैं और यह दोनों राज्य ही साल बीज का अंतर प्रांतीय कारोबार करते हैं और महाराष्ट्र देश का ऐसा राज्य है जहां की राजधानी मुंबई में चॉकलेट बनाने की इकाइयां सबसे ज्यादा संख्या में है। इन इकाइयों में बनने वाला कोको बटर और चॉकलेट के लिए अहम सामग्री साल बीज की खरीदी छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से ही की जाती है। इसके अलावा इसका तेल भी निकाला जाता है।
स्थानीय स्तर पर यह उपयोग
स्थानीय स्तर पर साल बीज का उपयोग साबुन निर्माता कंपनियां कर रही है। इसके अलावा इससे निकलने वाला रेजिन, धूप और औषधि के रूप में किया जाता है। छाल, पत्तियां और फल का उपयोग ग्रामीण अपने घरेलू जरूरतों के लिए करते हैं तो इसकी लकड़ी कठोर, भारी और मजबूत होने से साल को इमारती लकड़ी होने का दर्जा मिला हुआ है। उम्र जितनी ज्यादा कीमत भी उतनी ही अधिक। यह गुण ही आदिवासियों के बीच साल को कल्पवृक्ष के रूप में मान्यता दिलाया हुआ है।
टूट सकता है संग्रहण का रिकॉर्ड
गरियाबंद, धमतरी और बस्तर मैं साल बीज संग्रहण का रिकॉर्ड इस बार टूट सकता है क्योंकि फूलों की संख्या अच्छी देखी गई है। प्राकृतिक माहौल भी अनुकूल मिला। इससे साल के पेड़ों में अच्छी मात्रा में फल लगे हुए हैं। पककर गिरने का क्रम भी चालू हो चुका है तो संग्रहण के काम में भी तेजी आने लगी है। जितनी मात्रा में आवक हो रही है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार साल बीज का संग्रहण 10हजार टन को पार कर सकता है। यह मात्रा बीते 5 सालों में सबसे ज्यादा मानी जा रही है।
मुंबई की कोको बटर और चॉकलेट निर्माण इकाइयां इस बार साल बीज के अच्छे भाव दे रही है। इससे 15 सो रुपए क्विंटल की दर पर संग्रहण क्षेत्रों से की जा रही है।सुभाष अग्रवाल संचालक एसपी इंडस्ट्रीज रायपुर
“साल बीज में कई गुण है लेकिन मुख्यतः कन्फेक्शनरी और साबुन इंडस्ट्रीज इसके मुख्य खरीददार हैं क्योंकि इसमें चॉकलेट और साबुन बनाने के लिए जरूरी तत्व होते हैं” – डॉ अजीत विलियम्स साइंटिस्ट फॉरेस्ट्री, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर।
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Сверление скважин на водные ресурсы — это начальный этап в проектировании самостоятельного обеспечения водной системы загородного жилища. Этот подход включает в себя подготовку территории, проверку геологии и исследование водных ресурсов площадки, чтобы обнаружить лучший участок для сверления. Глубина скважины зависит от особенностей местности, что влияет на её тип: песчаная скважина, скважина до первого водоносного слоя или подземная – https://techno-voda.ru/poverhnostnyj-nasos-aquario-ajc-125c-sahara/ . Грамотно устроенная водозаборная скважина обеспечивает чистую и бесперебойную добычу воды в любой сезон, исключая шанс пересыхания и попадания примесей. Инновационные решения позволяют механизировать использование скважины, облегчая её эксплуатацию для бытовых нужд.
После установки источника необходимо обустроить систему водоснабжения, чтобы она оставалась долговечной и надежной. Обустройство включает монтаж насосов, монтаж системы фильтрации и развод водопроводной системы. Также следует продумать систему автоматизации, которая будет контролировать давление и водозабор. Изоляция от холода и обеспечение её бесперебойной работы в холода также играют важную роль. С правильным проектом к сверлению и монтажу можно обеспечить коттедж комфортной системой, обеспечивая удобство насыщенной и комфортной.
Ленинградская область характеризуется многослойной геологической характеристикой, что формирует задачу создания скважин на воду особенным в каждом районе. Регион включает многообразие основ и подземных горизонтов, которые диктуют экспертный подход при выборе точки и глубины сверления. Источник воды может располагаться как на небольшой уровне, так и быть на нескольких десятков метров, что создает трудность действий.
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