कल्टीवेशन पर भी कोरोना का करंट

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भुवन वर्मा, बिलासपुर 12 मई 2020

ट्रैक्टर मालिकों ने बढ़ाया प्रति घंटा किराया
उर्वरक हुई सस्ती, मवेशी बाजार पर संशय बरकरार

भाटापारा। खरीफ की तैयारी में जुटे किसानों के लिए राहत की खबर। इस बार रासायनिक खाद की खरीदी पर कुछ कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे। अलबत्ता कल्टीवेशन के लिए प्रति घंटा 50 से 100 रुपए का अतिरिक्त खर्च करना बेहद भारी पड़ेगा लेकिन यह जरूरी है इसलिए किसान इससे पीछे हट नहीं रहे हैं। मई माह में हर एक या 2 दिन के अंतराल में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। खड़ी फसल को नुकसान जरूर हो रहा है लेकिन यह बारिश उन किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है जो खरीफ की तैयारियों में लग चुके हैं। इस बारिश के बाद खेतों में कल्टीवेशन का अच्छा मौका मिला है इसलिए किसान सबसे पहले यही काम करने में लग चुके हैं। दिक्कत यह आ रही है कि इस बार प्रति घंटे चार्ज 50 से 100 रुपए ज्यादा देना पड़ रहा है लेकिन यह काम बेहद जरूरी है इसलिए किसान इस दर पर भी कल्टीवेशन का काम करवा रहे हैं। राहत एक ही बात की है कि इस बार रासायनिक खाद की कीमतें निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्र में कम हुई है इससे खरीदी के लिए दोनों जगहों पर अच्छी खासी भीड़ लगी हुई है।

इसलिए प्री-कल्टीवेशन
कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी के दिनों में बारिश के बाद प्री-कल्टीवेशन के बहुत सारे फायदे हैं। पहला तो यह कि तेज धूप में खरपतवार के बीज नष्ट हो जाते हैं दूसरा यह कि ऐसे कीट जो बारिश के दिनों के लिए सक्रिय होने की तैयारी कर रहे होते हैं उनके अंडे देने के लिए यही समय है। जमीन के भीतर पनपने से यह और भी ज्यादा अपनी आबादी बढ़ा सकते हैं। प्री कल्टीवेशन से यह अंडे बाहर आ जाते हैं और तेज धूप में नष्ट हो जाते हैं। तीसरा लाभ यह है कि बारिश के पहले प्री-कल्टीवेशन से खेतों की जल धारण क्षमता बढ़ती है जो जरूरत के समय इस जलभराव से पूरी हो जाती है।

बढ़ा कल्टीवेशन चार्ज
लॉक डाउन के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में भी बंदिश का असर पड़ा है। हर किसान इससे किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है। रियायत के बाद मिली छूट का फायदा किसान खरीफ की तैयारी करके उठाना चाह रहे हैं। बीच-बीच में हो रही बारिश उनकी मदद कर रही है लिहाजा हर गांव में ट्रैक्टर सुबह से देर रात तक चल रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में हाल ऐसा है कि कल्टीवेशन के लिए ट्रैक्टर मालिक से दो-तीन दिन के बाद का समय मिल रहा है। ऐसे में जब मांग ज्यादा है तो चार्ज भी ज्यादा देने होंगे। लिहाजा प्रति घंटा 700 से 800 रुपए चार्ज किए जा रहे हैं।

मवेशी बाजार को अनुमति का इंतजार
कोरोना वायरस संक्रमण के बाद प्रतिबंध और लॉक डाउन की चपेट में मवेशी बाजार भी आ चुका है। डेढ़ माह से जिले के मवेशी बाजार पर ताला लगा हुआ है। अब जब खरीफ का सीजन चालू हो चुका है ऐसे में पुराने मवेशी बेचकर नया मवेशी लेने वाले किसान परेशान हैं। वैसे संकेत मिल रहे हैं कि जिले के पांच बड़े मवेशी बाजार सहित सप्ताहिक हाट बाजारों में लगने वाले छोटे मवेशी बाजार को चालू करने की मंजूरी की तैयारी है। यदि यह सुविधा मिल जाती है तो उन किसानों को बड़ी राहत मिलेगी जिनकी क्रय शक्ति ट्रैक्टर से कल्टीवेशन की मंजूरी नहीं देती।


उर्वरक की खरीदी में तेजी
आगत खरीफ फसल की तैयारियों में जुटे किसानों को इस बार सोसायटियों और खुले बाजार ने राहत दी है। सभी उर्वरकों के दाम में कमी आने के बाद खरीदी को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। सोसायटियों में इफको 1150 से 1175 रुपए बोरी, यूरिया 266 रुपए 50 पैसे, पोटाश 918 रुपए और सुपर फास्फेट 340 रुपए 75 पैसे प्रति बोरी की दर पर मिल रही है। खुले बाजार में डीएपी 1100 रुपए, यूरिया 265 रुपए, सुपर फास्फेट 300 से 350 रुपए और पोटाश 900 रुपए प्रति बोरी की दर पर उपलब्ध है। बीते साल की तुलना में हर रासायनिक खाद की कीमतें कम है।

विशेष संवाददाता – भूपेंद्र वर्मा भाठापारा की रपट

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