हे सरकार ! पत्रकारों पर भी करो उपकार
भुवन वर्मा, बिलासपुर 16 अप्रैल 2020
रायपुर — कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम हेतु देश भर में लाकडाऊन लागू है। स्वास्थ्य विभाग , पुलिस विभाग , सैनिक जैस कुछेक अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी शासकीय और प्राईवेट कार्यालय पूर्ण रूप से बंद है। सरकारी कर्मचारियों की बेतन खाते मे जमा कर दी जा रही है ताकि उन्हें कोई परेशानी ना हो। शासन , प्रशासन की सभी मीटिंग वीडियो कांफ्रेंसिग से हो जा रही है। देश दुनियाँ में हो रहे खबरों की सूचना सरकार तक पहुंँचाने वाला प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ पत्रकार ही है जिसके अहम् भूमिका के कारण ही सरकारें पूरे देश मे नजर रखी हुई है। इस कठिनतम परिस्थितियों में भी ये पत्रकार अपनी जान की परवाह किये बिना अपने परिवार से दूर रहकर बिना सुरक्षा के फिल्ड में घूम रहे हैं। तभी उनके कलम की स्याही के रूप में अखबार आपके घर तक पहुँच रहे हैं जो बीडियो कांफ्रेंसिंग से संभव नही है। ये सब कार्य सेवा भावना से तत्परतापूर्वक करने के बावजूद भी राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा इन पत्रकारों का फिक्र ना करना पत्रकारों के लिये बड़े दुर्भाग्य की बात है। ये पत्रकार कभी अपने घर की समस्या के बारे में नही लिखता कि उनके घर मे अनाज नही है, उसका बेतन हर महीने की एक तारीख को नही मिलता। क्या सरकार इन पत्रकारों को भोजन की व्यवस्था नही करा सकती ? क्या ये पत्रकार कोरोना पर विजय पा लिये है ? जो इन्हे संक्रमण नही हो सकता। क्या पत्रकारों के लिये सरकार की कोई जबाबदारी नही होती ? क्या सरकार इन पत्रकारों का इंश्योरेंस नही करा सकती ? बिना सुरक्षा के सड़कों में घूम रहे पत्रकारों की सुरक्षा सरकार नही कर सकती ? सरकार को इन पत्रकारों और उनके परिवार का भी तो ख्याल होना चाहिये। आज जब लॉकडाउन मे पूरा मार्केट बन्द है अर्थव्यवस्था ध्वस्त है, तो क्या सिर्फ अपील करने से इन पत्रकारों के परिवार को दो वक्त की रोटी मिल जायेगी ? सभी राजनीतिक पार्टियों में गठित मीडिया प्रकोष्ठ इन पत्रकारों के माध्यम से अपने पार्टी की जानकारी पहुँचाकर अपने दायित्वों का इतिश्री समझ लेते हैं। और जब इन पत्रकारों के हित की बात सामने आती है तो सबको साँप सूँघ जाता है। जबकि पत्रकारों की चिंता करना इन गठित मीडिया प्रकोष्ठ की भी होती है। बीडियो कांफ्रेंसिंग से केवल सरकार की मीटिंग हो सकती है लेकिन एक पत्रकार बीडियो कांफ्रेंसिंग से अपनी खबर सरकार और जनता तक नही पहुँचा सकती। सरकार को पत्रकारों के तरफ भी ध्यान देने की महती आवश्यकता है। इस बात को गहन चिंतन मनन करने के लिये छोड़ते हुये —
“कलम आज उनकी जय बोल ।”
चढ़ गये पुण्य वेदी पर , लिये बिना गर्दन का मोल ।”
“कलम आज उनकी जय बोल।”
अरविन्द तिवारी की रपट