रेलवे ट्रैक के गति एवं निर्बाध परिचालन को सुदृढ़ बनाने हेतु दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे निरंतर प्रयासरत

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रायपुर/बिलासपुर। भारतीय रेलवे 66 हजार से भी अधिक मार्ग किलोमीटर के साथ एकल प्रबंधन के तहत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रेलतंत्र है । भारतीय रेल में प्रतिदिन आस्ट्रेलिया की पूरी जनसंख्या के बराबर लोग यात्रा करते है तथा यह प्रतिदिन धरती से चाँद के बीच की कुल दूरी का ढाई गुना तय करती है । यात्री परिवहन तथा देश की ऊर्जा एवं अन्य आवश्यकता को पूरा करने के लिए  ट्रेन परिचालन में दिनों दिन बढ़ोत्तरी हो रही है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने यात्री परिवहन और माल ढुलाई दोनों को बेहतर गति देने के लिए सभी तरह के प्रयास और रखरखाव के साधनों को अपनाया है । ट्रेनों की गति एवं लोडिंग क्षमता में नए आयाम कायम करने के लिए ट्रैक को सुदृढ़ बनाया गया है । रेल यात्रियों के संरक्षित सफर को सुनिश्चित करने में रेल लाइनों के मेंटेनेंस कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है । नए जरूरतों को देखते हुए रेलवे द्वारा अत्यधिक आधुनिक मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। इन अत्‍याधुनिक मशीन के द्वारा रेल ट्रैक के रखरखाव से संबंधित अनेक प्रकार के कार्य सुगमता से सरलता से किए जाते हैं। मशीन के द्वारा कार्य में लागत अत्यधिक कम आती है, और साथ-साथ में रेल ट्रैक की भारी संरचना के कार्य को भी सरल एवं सुरक्षित तरीके से कर देती है जिससे ट्रैक कर्मियों की सुरक्षा भी बनी रहती है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में तीसरी लाइन, चौथी लाइन एवं नई लाइन के निर्माण कार्य तथा कार्यरत लाइन के अनुरक्षण एवं मरम्मत के लिए मशीनों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है । इसके के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेल में मैनपावर के साथ, उच्च तकनीक के मशीनों का भी इस्तेमाल करके आधुनिक ट्रैक मेंटेनेंस किया जा रहा है । नागपुर से बिलासपुर की मेन लाइन की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटे की जा चुकी है । बिलासपुर से झारसुगुड़ा सेक्शन की गति मे वृद्धि का परीक्षण भी किया जा चुका है । आने वाले समय में इस सेक्शन की गति मे भी वृद्धि हो जाएगी । ऐसे में इस मशीनों की आवश्यकता तथा महत्ता और बढ़ गई है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने 74 ट्रैक मशीनों के साथ ट्रैक रखरखाव एवं अनुरक्षण के कार्य में मुस्तैदी के साथ कार्यरत है । ट्रैक मशीनों मे मुख्यतः सीएसएम, ड्योमैटिक, एमपीटी, यूनिमेट, बीसीएम, एफ़आरएम, बीआरएम, पीक्यूआरएस, टी28, आदि शामिल हैं । इनमें सीएसएम, डब्ल्यूएसटी एवं एमपीटी चार प्रकार की टैपिंग मशीनों के द्वारा में ट्रैक का अनुरक्षण कार्य किया जाता है । बलास्ट क्लीनिंग मशीन (बीएसएम) से ट्रैक की डीप स्क्रीनिंग कार्य किया गया है । टी-28 टर्नऑउट रिन्यूवल मशीन है, जिससे ट्रैक मशीन का टर्नऑउट रिन्यूवल का कार्य किया जाता है। यूनिमेट मशीन भी एक प्रकार की टर्नऑउट टैम्पिंग मशीन है । इस मशीन से ट्रैक की टर्नऑउट टैम्पिंग का कार्य किया जाता है ।  एफआरएम मशीन से शोल्डर बलास्ट क्लीनिंग किया जाता है । यानि की ट्रैक के दोनों किनारों पर रखा हुआ बैलास्ट को क्लीन किया जाता है । नए ट्रैक को स्लीपर के साथ बिछाने में या पुराने ट्रैक को नए ट्रैक से चेंज करने में पीक्यूआरएस मशीन का महत्वपूर्ण योगदान है । मरम्मत और सफाई जैसे सामान्य कार्यों के अलावा, कई अन्य कार्य भी हैं जिनका रखरखाव मशीन द्वारा किए जाते हैं जिनमें स्लीपर रिप्लेसमेंट, स्लीपर हैंडलिंग, गिट्टी हैंडलिंग, ट्रैक हैंडलिंग, ट्रैक लिफ्टिंग और बहुत कुछ शामिल हैं । इन मशीनों के संचालन के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के ट्रैक मशीन विभाग में लगभग 700 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है । इन कर्मचारियों को फील्ड में मशीनों के साथ कार्य के दौरान कैम्पिंग कोच की सुविधा रेलवे के द्वारा उपलब्ध कराई गई है जिसमें खाना बनाने से लेकर सोने, बैठने की पूरी सुविधा उपलब्ध है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के ट्रैक रखरखाव एवं अनुरक्षण में इन ट्रैक मशीनों का महत्वपूर्ण योगदान है । हमारे लाखों रेल यात्रियों के विश्वास और भरोसे पर खरा उतरने के लिए जरूरी है कि हमारे यात्रियों के ट्रेनों पर चढ़ने से लेकर उनके गंतव्य तक पहुँचने तक भारतीय रेलवे की विश्वसनीय एवं भरोसे की मुस्कान हमारे रेल यात्रियों के चेहरे पर लगातार बनी रहे । ट्रैक जितनी अच्छी होगी , उसकी गति निर्बाध होगी तथा यात्रियों को भी आरामदायक यात्रा अनुभव प्राप्त होगा ।

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