सीवीआरयू के हर्बल गुलाल के रंग होगी होली : विश्वविद्यालय का ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग कर रहा कार्य- पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धित व नवाचार को बढ़ावा

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सीवीआरयू के हर्बल गुलाल के रंग होगी होली : विश्वविद्यालय का ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग कर रहा कार्य- पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धित व नवाचार को बढ़ावा

भुवन वर्मा बिलासपुर 28 फ़रवरी 2023

बिलासपुर । हर साल की तरह इस साल भी होली में डॉक्टर सी वी रमन विश्वविद्यालय के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के गुलाल से होली होगी. विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन रूरल टेक्नोलॉजी फार एंटरप्रेन्योरशिप ने हर्बल गुलाल उत्पादन शुरू किया है । जो कि रमन ग्रीनस् पलाश, हल्दी, चंदन, मुल्तानी, सिंदूरी, मुल्तानी मिट्टी गुलाब जल, पालक और प्राकृतिक रंगों से मिलाकर देशज पारंपरिक विधि से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। इसके साथ हर्बल साबुन भी तैयार किया जा रहा है। विष्वविद्यालय द्वारा देशज पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धित करने व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए यह कार्य किया जा रहा है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला में बताया, कि विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना 2018 में की गई है। इसके बाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन रूरल टेक्नोलॉजी फार एंटरप्रेन्योरशिप की स्थापना की गई है। जो कि सीधे तौर पर देशी ज्ञान को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है। इसके लिए बड़े क्षेत्र में हर्बल गार्डन भी तैयार किया गया है।। इसके साथ ही साथ विभाग द्वारा यहां उत्पादित की जाने वाली वस्तुओं से घरेलू स्तर पर विद्यार्थियों को देशी वस्तुओं के उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वर्तमान में होली के लिए हर्बल गुलाल बड़ी मात्रा में तैयार किया गया है , विद्यार्थी व अंचल के लोग विभिन्न प्रक्रिया से हर सामान खुद ही तैयार करते हैं । खास बात यह है , कि इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता। पलाश का रस निकालकर, पालक का रस निकालकर, कच्ची हल्दी का रस निकालकर, मुल्तानी मिट्टी और चुकंदर का उपयोग कर सभी जरूरी प्रक्रिया से गुजारने के बाद यह गुलाल विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है । इसमें पलाश हमारे विश्वविद्यालय में ही होता है, बड़ी मात्रा में हल्दी विश्वविद्यालय में ही उत्पादित होती है । पालक और चुकंदर की खेती विश्वविद्यालय में ही की जाती है। ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ अनुपम तिवारी ने बताया कि हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए सभी प्राकृतिक चीजें बड़ी आसानी से हमारे पास उपलब्ध हैं । विद्यार्थियों को सिखाने के साथ उत्पादन की मात्रा भी लगातार बढ़ाई जा रही है।

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