खुश खबरी…छत्तीसगढ़ी भोजन और व्यंजनों को बढ़ावा देने: प्रदेश में संचालित गढ़कलेवा रेस्टोरेंट की मेन्यू में बोरे बासी शामिल
खुश खबरी…छत्तीसगढ़ी भोजन और व्यंजनों को बढ़ावा देने: प्रदेश में संचालित गढ़कलेवा रेस्टोरेंट की मेन्यू में बोरे बासी शामिल
भुवन वर्मा बिलासपुर 30 अप्रैल 2022
रायपुर । छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी परंपराओं के लिए लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 1 मई को नई रेसिपी संदेश लोगों को भा रहा है। छत्तीसगढ़ी भोजन और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए संचालित गढ़कलेवा रेस्टोरेंट की मेन्यू में एक नया व्यंजन शामिल होने जा रहा है। अब गढ़कलेवा अपने पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ बोरे बासी थाली भी परोसेगा। इसकी शुरुआत एक मई यानी मजदूर दिवस से होगी।
बोरे बासी का मीनू,,,
बोरे बासी रात में पके हुए चावल को रातभर पानी में भिगोकर सुबह पूरी तरह भीग जाने पर भाजी, टमाटर चटनी, टमाटर-मिर्ची की चटनी, प्याज, बरी-बिजौरी और आम अथवा नीबू के अचार के साथ खाया जाता है। छत्तीसगढ़ के किसान मजदूरों के साथ-साथ सभी वर्गों के लोग चाव के साथ बोरे बासी का सेवन करते आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोगों से एक मई मजदूर दिवस पर बोरे बासी खाने अपील की है। मुख्यमंत्री की इस अपील के बाद संस्कृति संचालनालय के परिसर में संचालित गढ़कलेवा के मेन्यू में भी बोरे बासी को शामिल किया गया है। विभाग इसे छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण छत्तीसगढ़ संस्कृति और परंपरों के संरक्षण के अवसर के तौर पर देख रहा है।
गर्मी में महत्वपूर्ण माना जाता है बोरे बासी भोजन
छत्तीसगढ़ में परंपरा से माना जाता है कि बोरे बासी स्वास्थ्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। इसमें विटामिन बी-12 मिलता है। माना जाता है कि बोरे बासी में आयरन, पोटेसियम, कैल्शियम की मौजूदगी होती है। इसे खाने में पाचन क्रिया सही रहता है एवं शरीर में ठंडकता रहती है। इसकी वजह से लू लगने का खतरा कम हो जाता है। लू लगने का खतरा कम हो जाता है।
मुख्यमंत्री भूपेश ने बताया वातावरण के अनुकूल भोजन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, छत्तीसगढ़ के लिहाज से बोरे बासी बहुत महत्वपूर्ण है। भौगोलिक रूप से जो वातावरण रहता है उसके दृष्टिकोण से खान-पान की व्यवस्था परंपरागत रूप से चली आई है। अगर ना की बात करें तो वहां ठंड बहुत पड़ती है। ऐसे में वहां सूखा और गर्म भोजन अधिक ऐसे में वहां सूखा और गर्म भोजन अधिक रहता है। साउथ की तरफ जैसे-जैसे जाएंगे तो आपको रसदार भोजन मिलने लगता है। वैसे ही छत्तीसगढ़ में बोरे बासी की परंपरा रहा है ।