कुदुदंड में श्री मद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन : देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत कथा – पं. शेष नारायण शुक्ला

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कुदुदंड में श्री मद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन : देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत कथा – पं. शेष नारायण शुक्ला

भुवन वर्मा बिलासपुर 29 अप्रैल 2022

कुदुदण्ड । श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा का आयोजन में स्व० तिलक राम साहू एवम पुत्रवधु श्रीमति तुलसी साहू की पुण्य स्मृति में 28 अप्रैल से 5 मई तक श्री मद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ कथा का आयोजन किया गया है । इस कथा के मुख्य यजमान ताराचंद – किरण साहू , पूर्णिमा साहू खेमचंद साहू ,चेतन ज्योति साहू, शीतल एकता, योगेश रानू ,राहुल छाया साहू सहित परिवार जन है। कहा भागवताचार्य पं० पं० शेष नारायण शुक्ला ने अपने मुखारविंद से श्रद्धालुओं को सात दिनों तक कथा श्रवण की महत्ता के साथ जीव के कल्याण का उपाय बताया। व्यासाचार्य ने कहा कि जिस तरह कमल कीचड़ में खिलकर भी कीचड़ से अलग स्वच्छ रहता है , उसी तरह इस जीव को भी सांसारिक नश्वर मायाजाल के बीच में रहकर भी अपने मुक्ति के लिये नाम , रूप , लीला और धाम का अनुगमन करना चाहिये। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से अनेकों पापी भी तर गये और अंत में उनको मोक्ष की प्राप्ति हो गई। श्रीमद्भागवत कथा के बारे में उन्होंने कहा कि यह सभी धर्मशास्त्रों का सार है। कलयुग के आगमन राजा परीक्षित के मन मस्तिष्क में मुनि के लिए अपमान तथा गले में सर्पों की माला डालने पर चित्र द्वारा शराब देने पर रात सातवें दिन तक्षक नाग द्वारा राजा परीक्षित की मृत्यु की कथा विस्तार से कहे । श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया , से संगीतमय गीत जागृत अवस्था में आकर श्री हरि , कृष्ण , गोविंद अनेकों नामों को गाते हुये संकीर्तन कराये ।

महाराज श्री ने बताया कि यह कथा तो देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है , इसीलिये देवताओं ने इस कथा के बदले में राजा परीक्षित को अमृत कलश देने का प्रस्ताव रखा था। महाराज श्री ने बताया कि परीक्षित को ऋषि पुत्र द्वारा सातवें दिन मरने का श्राप दिया गया था। उन्होंने अन्य उपाय के बजाए श्रीमद्भागवत की कथा का श्रवण किया और मोक्ष को प्राप्त कर भगवान के बैकुण्ठ धाम को चले गये‌। ऐसे श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य केवल श्रीकृष्ण की असीम कृपा से ही प्राप्त हो सकती है। इस कलिकाल में मोक्ष दिलाने वाला श्रीमद्भागवत महापुराण कथा से कोई अन्य श्रेष्ठ मार्ग नही है।महराजश्री ने बताया कि इस कलयुग में भी मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कर अपना कल्याण कर सकता हैं। इस कलिकाल में भी वह भगवान के नाम स्मरण मात्र से भगवत् शरणागति की प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बना सकता है। इसके पहले श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ कलशयात्रा के साथ हुई। इसमें सैकड़ों महिलाओं ने अपने सिर में कलश धारण कर गाजे बाजे के साथ तुलजा मंदिर तक भ्रमण किया गया। कथास्थल पहुंचने पर मुख्य यजमान के द्वारा श्रीमद्भागवत की पूजा अर्चना की गई। इसके पश्चात वेदिका पूजन और देव आवाहन के साथ कथा का शुभारंभ किया गया। इसमें सात दिनों तक व्यासपीठ से आचार्य जी ने कथा महात्म्य से लेकर परीक्षित मोक्ष तक का कथा श्रवण कराया। कथा के दौरान बीच बीच में संगीतमय हरि नाम संकीर्तन में भी श्रद्धालु भक्तिभाव से नृत्य करते नजर आये।

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