बैसाखी के दिन पड़ी थी खालसा पंथ की नीव: सिख धर्म में बैसाखी का त्यौहार मनाने को लेकर ऐतिहासिक कारण यह भी
बैसाखी के दिन पड़ी थी खालसा पंथ की नीव: सिख धर्म में बैसाखी का त्यौहार मनाने को लेकर ऐतिहासिक कारण यह भी
भुवन वर्मा बिलासपुर 14 अप्रेल 2022
बैसाखी के दिन पड़ी थी खालसा पंथ की नीव सिख धर्म में बैसाखी का त्यौहार मनाने को लेकर ऐतिहासिक कारण यह भी है कि 13 अप्रैल 1699 सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर की धरती पर पंच प्यारों को अमृत छका कर खालसा पंथ की नींव रखी थी। दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने भक्ति और शक्ति का मेल करते हुए सन 1699 को बैसाखी वाले दिन खालसा पंथ की सिरजना कर सहमें, हताश और निराश समाज में नई उमंग भर दी उन्होंने खालसा को एक अलग पहचान दी ताकि कोई भी व्यक्ति सहायता के लिए खालसा को दूर से पहचान कर उसे मदद मांग सके और फरमान किया
” चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं,
गिदडो को मैं शेर बनाऊ ,
सवा लाख से एक लड़ाऊं
तबै गोविंद सिंह नाम कहाऊ।”
क्यों मनाई जाती है बैशाखी क्या है इसका महत्व अप्रैल माह में मनाई जाने वाली सिख धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है वैसे तो पूरे भारतवर्ष में बैसाखी का पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन पंजाब में इस त्यौहार को लेकर एक अलग ही धूम देखने को मिलती है, खेतों में रवि की फसल पककर जब लहरआती है तो अपनी खुशी का इजहार बैसाखी के पर्व को मना कर करते हैं। गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा दयालबंद ने धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया। इसके लिए विशेष तौर से जालंधर से आए भाई साहब भाई संतोख सिंह जी पिछले 4 दिन से कीर्तन भी हाजिरी भर रहे थे।14 अप्रैल 2022 को साजना दिवस के उपलक्ष में दोपहर ढाई बजे तक विशेष दीवान सजाया गया और उसके उपरांत गुरु का लंगर प्रसाद बांटा गया जिसमें करीबन 3000 लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसमें विशेष तौर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष नरेंद्र पाल सिंह गांधी, जोगिंदर सिंह गंभीर ,अमरजीत सिंह दुआ,सुरेंद्र सिंह छाबड़ा, परमजीत सिंह सलूजा ,सुरजीत सिंह सलूजा, गुरभेज सिंह छाबड़ा,महेंद्र सिंह गंभीर,अंकित गुंबर,अमोलक सिंह टुटेजा,गुरभेज सिंह चावला, नरेंद्र पाल सिंह होरा, रोमिंदर सिंह अजमानी ,सुरेंद्र सिंह अजमानी, अमोलक सिंह सलूजा, जसवीर सिंह गांधी ,रंजीत सिंह राजपाल, अजीत सिंह सलूजा, जसपाल सिंह छाबड़ा, अंशुल गुंबर,अमनदीप होरा , बलजीत सिंह गंभीर ,गुरवीन सिंह गंभीर, महेंद्र सिंह छाबड़ा, सतपाल सिंह होरा का सहयोग रहा।
यह जानकारी गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा दयालबंद के सचिव सरदार मनदीप सिंह गंभीर ने दी।
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