सात दशक बाद किसी राज्यपाल का राष्ट्रपति भवन में पहुंचना वह भी दुर्लभ पंडो जनजातियों के लिए- क्या इस समुदाय के लिए मील का पत्थर साबित होगा…?

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7 दशक बाद किसी राज्यपाल का राष्ट्रपति भवन में पहुंचना वह भी दुर्लभ पंडो जनजातियों के लिए क्या इस समुदाय के लिए मील का पत्थर साबित होगा…..?

भुवन वर्मा बिलासपुर 26 मार्च 2022

सुराजरपुर से डॉ प्रताप नारायण सिंह की रिपोर्ट,,,

सूरजपुर। सर्वप्रथम हम छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल अनुसुइया उइके कि संवेदना को सलाम करते हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ में आजादी के पहले से निवासरत दुर्लभ जनजाति पंडो समुदाय को पुनर्जीवित करने उनकी सुध लेने आज 24 मार्च 2022 को देश के द्वितीय राष्ट्रपति भवन में अपने कदम रखे। आज का दिन भी देश तथा प्रदेश के साथ-साथ सूरजपुर जिले के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बन गया। जी हां हम बात कर रहे हैं उसी पंडो जनजातियों की जो आजादी के 75 वर्षों बाद भी समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं कहने के लिए तो यह समुदाय राष्ट्रपति का दत्तक समुदाय माना जाता है किंतु इनके विकास की बातें इनके उत्थान की योजनाएं मात्र कागजों तक सीमित है। आज का ऐतिहासिक क्षण इस समुदाय में एक ऊर्जावान स्पंदन के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि देश के प्रथम राष्ट्रपति महामहिम राजेंद्र प्रसाद के आने के करीब 70 वर्षों बाद किसी राज्यपाल ने इस राष्ट्रपति भवन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई निश्चित ही यह समुदाय महामहिम राज्यपाल अनुसुइया उइके को आज साधुवाद दे रहा है, और समझने की कोशिश कर रहा है कि क्या आज का यह ऐतिहासिक दिन उनकी अस्मिता तथा अस्तित्व को बचाने मील का पत्थर साबित होगा ? यह तो देखने वाली बात होगी।


आज इस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बने सरगुजा संभाग के आयुक्त जिन्होंने जिले के तत्कालीन कलेक्टर रहने के दौरान इस समुदाय के लोगों के लिए काफी कुछ किया था जी हां हम बात कर रहे हैं जीआर चुरेंद्र सर की जिन्होंने सूरजपुर जिले में अपनी पदस्थापना के दौरान अपनी सामाजिक सोच और कार्यशैली से इस जनजाति के लोगों को खासा प्रभावित किया था, आज उन्होंने महामहिम राज्यपाल का अतुलनीय स्वागत किया, इस दौरान जिले के कलेक्टर डॉ गौरव कुमार सिंह भी मौजूद रहे। महामहिम राज्यपाल अनुसुइया उइके का यह प्रवास सूरजपुर जिले के साथ-सथ छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए भी आज के इतिहास में एक स्वर्णिम पल के रूप में निश्चित ही दर्ज हो गया। आपको बता दें कि यह दुर्लभ पंडो जनजाति छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में ही कुल लगभग 4000 की संख्या में ऐतिहासिक रूप से निवास करती है, जो आज भी समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाई है हां वर्तमान में इस समुदाय के कुछ युवा शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ कर अपनी सहभागिता जरूर दिखा रहे हैं। शायद मीडिया के माध्यम से प्रदेश की राज्यपाल महामहिम अनुसुइया उइके ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर इस पंडो जनजाति की उपेक्षा की कहानियां जरूर देखी और सुनी होंगी नतीजा यह हुवा की उन्होंने इस ऐतिहासिक प्रवास के दौरान सबसे पहले सर्व सुविधाओं से युक्त एक एंबुलेंस इस समुदाय के लिए भेंट किया जो शायद एक आस की किरण के रूप में दिखी। आज के ऐतिहासिक दिन का हमारा यह लेख प्रदेश की महामहिम अनुसुइया उइके, संभाग आयुक्त जीआर चुरेंद्र तथा जिले के कलेक्टर डॉ गौरव कुमार सिंह को समर्पित ह।

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