ग्लोकोमा – काँचबिंद अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण है : जानकारी ही बचाव – डॉ. एल. सी. मढ़रिया, विश्व ग्लोकोमा सप्ताह 6 -12 मार्च पर विशेष

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ग्लोकोमा – काँचबिंद अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण है :
जानकारी ही बचाव – डॉ. एल. सी. मढ़रिया, विश्व ग्लोकोमा सप्ताह 6 -12 मार्च पर विशेष

भुवन वर्मा बिलासपुर 10 मार्च 2022

बिलासपुर – वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ लेजर, फेको सर्जन व आशीर्वाद नेत्र चिकित्सालय के डायरेक्टर डॉ. एल.सी. मढ़रिया ने बताया पूरे विश्व में 6 मार्च से 12 मार्च तक विश्व ग्लोकोमा (काँचबिंद) सप्ताह मनाया जा रहा है । इसका मुख्य उद्देश्य ग्लोकोमा के बारे में जानकारी व बचाव के उपाय व उचित निदान है ।
हमारे देश में मोतियाबिंद के बाद अंधत्व का मुख्य कारण काँचबिंद या ग्लोकोमा है । यह हमारे देश में अंधत्व का दूसरा कारण है । हमारे देश में लगभग 1.25 करोड़ लोगों को काँचबिंद की बीमारी है । ग्लोकोमा से होने वाली अंघत्व परमानेंट होता है । एक बार दृष्टि चली जाय तो वापस नहीं आती है। लेकिन मोतियाबिंद से गई रोशनी फेको ऑपरेशन के बाद पूर्ण रूप से वापस आ जाती है, क्योंकि ग्लोकोमा के बारे में अभी भी लोगों में जागरूकता नहीं है । इसलिये पूरे विश्व में विश्व ग्लोकोमा सप्ताह 6 से 12 मार्च तक मनाया जा रहा है । उपरोक्त जानकारी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एल. सी. मढरिया ने दी ।
विश्व ग्लोकोमा सप्ताह मनाने का उद्देश्य यह है कि ग्लोकोमा (काँचबिंद) के बारे में लोगों को जानना चाहिए, क्योंकि यह विश्व में अंधत्व का दूसरा कारण है । पूरे विश्व में 6.5 करोड़ लोगों को काँचबिंद है और मरीज अपनी रोशनी धीरे-धीरे खोते जा रहे हैं और अगर वे उचित इलाज नहीं लेंगे तो इनकी आँखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाएगी ।
ग्लोकोमा (काँचबिंद) को दृष्टि का “धीमे दृष्टि चोर” कहा जाता है । यह धीरे- धीरे दृष्टि को खत्म कर देती है और मरीज को जब पता लगता है तब तक बहुत देरी हो गई होती है । अतः कांचबिंद के मरीज को और 40 वर्ष के उपर के मरीज को नियमित आंख जांच करवाना चाहिए। जिससे उनकी रोशनी को काँचबिंद से बचाया जा सकता है। क्योंकि कांचविंद से गई रोशनी वापस नहीं आती है
ग्लोकोमा या कांचबिंद किसे हो सकता है –

  1. परिवार में होने से – जिसके परिवार में काचबिंद का मरीज हो उनके बच्चे को कांचबिंद होने की संभावना अधिक होती है ।
  2. आंख का टेंशन ज्यादा होने से – जिनके आंख का प्रेशर ज्यादा होता है, उसे काचबिंद की संभावना अधिक होती है ।
  3. ज्यादा उम्र होने से – वैसे कांचविंद बचपन में भी हो सकता है। लेकिन 40 वर्ष के बाद होने की संभावना अधिक होती है।
  4. डायबिटिज व ब्लड प्रेशर – इन दोनों मरीजों को कांचबिंद होने की संभावना ज्यादा होती है । अतः डायबिटिज व ब्लड प्रेशर के मरीज को हमेशा आंख के प्रेशर की जांच करवाना चाहिए, जिससे वे कांचबिंद होने व अंधत्व से बच सकते हैं।
  5. स्टेरॉयड दवाई लेने वाले मरीज – जो मरीज लंबे समय स्टेरॉयड गोली लेते हैं, बीमारी जैसे किडनी
    ट्रांसप्लाट, दमा, स्किन एलर्जी के लिये लेते हैं, उसे हमेशा आंख का प्रेशर जांच करवाना चाहिए, जिससे काचबिंद अंधत्व से बच सकें ।
  6. आंख में चोट से – आंख में चोट लगने से भी कांचविंद हो जाता है। कांचबिंद के लिए आंख में चोट के बाद अवश्य नेत्र जांच करावें ।

लक्षण- शुरू कोई लक्षण नहीं होता है। मरीज पहले कम दिखाई देता है, जिसे आम आदमी नहीं समझ पाते और जब धुंधलापन ज्यादा बढ़ जाता तब नेत्र चिकित्सक के पास जाता है। लगभग 50 प्रतिशत आंख की नस सूख चुकी रहती है। काचबिंद की सबसे खतरनाक बात यह होती कि जितनी रोशनी चली रहती वह वापस नहीं आती। इसलिये नियमित जांच से ही इस बीमारी को पकड़ा जा सकता है।

  • नेरो एंगल काचबिंद में आंख दर्द, सिरदर्द, आंख लाल हो जाती है। इसकी संख्या कम होती है। इसमें मरीज को लाइट के बल्ब के चारों ओर लाल, नीले, पीले रंग दिखाई देते हैं। कई मरीज में कोई लक्षण नहीं होते, केवल कम दिखाई देता है। अतः जैसे ही नजर कम हो तो काँचबिंद के लिए अवश्य जांच करावें ।
  • कांचविंद कैसे पता चलता है – नेत्र चिकित्सक के पास आंख का प्रेशर, आंख की फील्ड की जांच, आंख के नस (आप्टिक नर्व) की जांच ओ.सी.टी. द्वारा करने से इस बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाता और आंख की रोशनी को बचाया जा सकता ।
  • काँचबिंद का इलाज – काँचबिंद का इलाज पहले दवाई, आई ड्राप्स देते है, जिससे आंख का प्रेशर कम हो जाता है और आंख की नस सूखने से बच जाती है। अगर आईं ड्रॉप्स से आंख का टेंशन कम नहीं होता है, तब आपरेशन से ठीक हो जाता है। लेकिन जो मरीज बहुत देरी से इलाज लेते हैं उनके सूखे हुए नस को वापस नहीं पाया जा सकता l जो रोशनी बची है, उसे बचाया जा सकता है l इसलिये 40 वर्ष बाद नियमित जांच बहुत जरूरी है।
    डॉ.एल.सी.मढ़रिया
    बिलासपुर (छ.ग.) नेत्र रोग विशेषज्ञ
    डायरेक्टर
    आशीर्वाद लेज़र, फेको नेत्र चिकित्सालय
    नेहरू चौक, बिलासपुर (छ.ग.)

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