गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने विधानसभा घेराव आज : गौ सेवा संगठन – कामधेनु सेना व विभिन्न हिन्दूवादी संगठनों के तत्वावधान में

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गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने विधानसभा घेराव आज : गौ सेवा संगठन – कामधेनु सेना व विभिन्न हिन्दूवादी संगठनों के तत्वावधान में

भुवन वर्मा बिलासपुर 3 मार्च 2022

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जयपुर – गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करवाने हेतु कई राज्यों के गोभक्त , विश्व की सबसे बड़ी राष्ट्रीय स्तर की गो सेवा संगठन कामधेनु सेना व विभिन्न हिन्दूवादी संगठनों के तत्वावधान में विधानसभा का शांतिपूर्ण घेराव व प्रदेश स्तरीय विशाल धर्मसभा का आयोजन आज 03 मार्च गुरूवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में किया जायेगा। आज विधानसभा घेराव से पहले जयपुर 22 गोदाम पेट्रोल पंप के पीछे विशाल धर्मसभा होगी , जिसमें गोचर पर अतिक्रमण सहित कई मुद्दों पर चर्चा के साथ गौमाता को न्याय दिलाने के लिये सरकार से मांग की जायेगी। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये कामधेनु सेना के छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने बताया कि विधानसभा में घेराव को लेकर 03 मार्च को होने वाली इस धर्मसभा का आयोजन कामधेनु सेना के संस्थापक स्वामी कुशाल गिरी महाराज के सानिध्य में होगा। जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह राठौड़ , उपाध्यक्ष ललित पालीवाल , सचिव अचलसिंह राजपुरोहित व जिला अध्यक्ष कालूराम प्रजापत व कार्यकर्त्ता शामिल होंगे। कामधेनु सेना ने सभी गोभक्तो को इसमें भाग लेने का आह्वान किया है कि आप सभी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुये ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर गौमाता की आवाज बनें।

गौशालाओं में बजट का अभाव – तिवारी

जयपुर में आयोजित धर्मसभा एवं विधानसभा घेराव की जानकारी देने के अलावा फर्जी गौशाला के बारे में छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने कहा कि कागजों में संचालित हो रही गोशालाओं की जांच कराने तथा गोशाला के नाम पर अपनी दुकानदारी चलाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा उन्होंने गोवंशों की दुर्दशा पर गहरा दुख जताते हुये कहा कि आज देश भर में गोवंशो की स्थिति दयनीय है , जिसके लिये राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि गौ माता के नाम पर मिल रहा बजट गौशालाओं तक नहीं पहुंच रहा है , जिसके चलते इनका संचालन करना बड़ा मुश्किल हो रहा है।

ये रहेगी आज की मुख्य मांगें

राजस्थान में अलग से गौ मंत्रालय की स्थापना , गौ माता को राष्ट्रमाता माता का दर्जा मिले , समस्त गौचारण भूमि अतिक्रमण मुक्त हो , प्रत्येक तहसील स्तर पर एक नंदीशाला और प्रत्येक ग्राम स्तर पर एक गौशाला का निर्माण हो , कत्लखाने जा रहे गौवंश को छुड़ाने वाले गौ भक्तों के लिये सुरक्षा प्रदान की जाये , गोमूत्र व गाय के गोबर की खरीद के लिये नीति बने , देशी गोवंश का दूध का समुचित भाव निर्धारित हो। इन विभिन्न मांगों को लेकर कामधेनु सेना के संस्थापक श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कुशालगिरी जी महाराज व अन्य संतों के सानिध्य में सभी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के सामने रखा जायेगा।

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  1. Сверление глубинных источников на чистую воду — это начальный этап в проектировании самостоятельного обеспечения снабжения водой частного дома. Этот этап включает подготовительные работы, геологическое изучение и исследование водных ресурсов территории, чтобы найти наиболее удачное место для бурения. Глубина скважины зависит от грунтовых особенностей, что устанавливает её категорию: абиссинский колодец, песчаный водозабор или подземная – https://techno-voda.ru/poverhnostnyj-nasos-aquario-ajs-60a-fc-idealnoe/ . Хорошо оборудованная водозаборная скважина предоставляет качественную и стабильную добычу воды в любое время года, исключая шанс исчезновения водного ресурса и попадания примесей. Новые методы позволяют настроить автоматический режим подачу воды, облегчая её применение для бытовых нужд.

    По завершении бурильных работ необходимо устроить водопровод, чтобы она оставалась надёжной и устойчивой. Настройка включает установку насосного оборудования, монтаж системы фильтрации и проведение трубопровода. Также важно продумать систему автоматизации, которая будет обеспечивать давление и потребление ресурса. Сохранение тепла и защита от перебоев в холодное время года также остаются необходимыми. С грамотно выполненными работами к бурению и монтажу можно обеспечить жилище бесперебойной водой, гарантируя комфорт насыщенной и комфортной.

  2. Ленинградская область выделяется многослойной геологической конфигурацией, что делает процесс сверления скважин на воду неповторимым в каждом месте. Область имеет различие основ и водоносных структур, которые нуждаются в специализированный подход при выборе места и слоя пробивки. Источник воды может залегать как на низкой глубине, так и быть на нескольких глубоких метров, что формирует трудоемкость работ.

    Одним из основных факторов, определяющих тип источника (http://ctoday.ru/kak-obmanyvayut-na-burenii-skvazhin/ ), служит грунтовые слои и уровень водного горизонта. В Ленинградской области чаще всего сверлят артезианские источники, которые дают доступ к незагрязненной и постоянной воде из скрытых пластов. Такие скважины известны длительным сроком функционирования и качественным качеством водоносных ресурсов, однако их постройка нуждается существенных вложений и профессионального оборудования.

    Методы создания в регионе предполагает использование инновационных машин и инструментов, которые могут работать с плотными породами и защищать от возможные обрушения стенок скважины. Важно, что необходимо учитывать экологически безопасные требования и правила, так как вблизи отдельных населённых пунктов существуют охраняемые водные зоны и природные комплексы, что заставляет особый подход к буровым мероприятиям.

    Водные запасы из глубоких источников в Ленинградской области известна чистотой, так как она не подвержена от вредных веществ и наполнена оптимальный состав микроэлементов. Это считает такие водоносные горизонты востребованными для частных домовладений и заводов, которые выбирают стабильность и стабильное качество систем водоснабжения.

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