राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा के तहत पुरी शंकराचार्य एक से तीन दिसंबर तक रुद्रपुर (उत्तराखंड) प्रवास पर : जहां प्रतिदिन संगोष्टि , राजधर्म ही राजनीति है – नकली शंकराचार्यों पर लगे प्रतिबंध – पुरी शंकराचार्य
राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा के तहत पुरी शंकराचार्य जी एक से तीन दिसंबर तक रुद्रपुर (उत्तराखंड) प्रवास पर : जहां प्रतिदिन संगोष्टि , राजधर्म ही राजनीति है – नकली शंकराचार्यों पर लगे प्रतिबंध – पुरी शंकराचार्य
भुवन वर्मा बिलासपुर 1 दिसंबर 2021
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नैनीताल – ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज राष्ट्रोत्कर्ष अभियान में हिन्दू राष्ट्र निर्माण हेतु जनजागरण के लिये अनेकों राज्यों के प्रवास पर हैं। प्रवास कार्यक्रम में संगोष्ठी एवं धर्मसभा में उन्होंने उपस्थित भक्तों के जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। उन्होंने राममन्दिर निर्माण के साथ मस्जिद के लिये भूमि देने का विरोध किया और कहा कि इससे भविष्य में काशी एवं मथुरा में भी मस्जिद के लिये भूमि प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा तथा भारत में तीन नये पाकिस्तान बनने का बीजारोपण होगा। हिन्दू राष्ट्र निर्माण के संकल्प के सबंध में पुरी शंकराचार्य जी ने कहा कि भारत निश्चित ही हिन्दू राष्ट्र है तथा शीघ्र ही इसकी उद्घोषणा भी होगी। हिन्दू राष्ट्र निर्माण सम्पूर्ण विश्व में मानवता के हित में है। हिन्दू राष्ट्र का तात्पर्य राम राज्य की स्थापना और सनातन संविधान के अनुसार शासन व्यवस्था का संचालन है जहाँ सभी वर्ण व्यवस्था का पालन करते हुये एक दूसरे के हित का पोषण करें सबके आजीविका की समुचित व्यवस्था हो। देश में बढ़ते नकली शंकराचार्यो के प्रकरण पर आक्रोश व्यक्त करते हुये कहा कि देश में सिर्फ चार मान्य शंकराचार्य पीठ हैं , अन्य सभी नकली शंकराचार्यो पर सरकार को तुरंत कार्यवाही करने चाहिये। जब देश में नकली मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनकर कोई व्यक्ति नहीं घूम सकता तो व्यासपीठ के साथ भी यह नियम लागू होना चाहिये और नकली शंकराचार्यो पर प्रतिबंध होना चाहिये। धर्म के क्षेत्र में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि राजधर्म ही राजनीति है , राजनीति को शास्त्र सम्मत विचार से परिभाषित करने की आवश्यकता है। धर्मनियन्त्रित पक्षपातविहीन शोषणविनिर्मुक्त सर्वहितप्रद शासन तन्त्र की स्थापना ही राजनीति की विश्वस्तर पर स्वस्थ परिभाषा होना चाहिये। मंत्र में बहुत शक्ति होती है इसका जाप अधिकृत व्यक्ति के द्वारा ही फलीभूत हो सकता है। यन्त्रों के सीमित उपयोग की आवश्यकता है क्योंकि महायन्त्रों प्रचुर प्रयोग सम्पूर्ण मानव के लिये घातक सिद्ध हो रहा है तथा इससे दिव्य वस्तु एवं व्यक्तियों का विलोप हो रहा है। बताते चलें
राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा के तहत पुरी शंकराचार्य जी एक दिसंबर से तीन दिसंबर तक रुद्रपुर (उत्तराखंड) प्रवास पर रहेंगे। जहां प्रतिदिन 11:30 बजे से संगोष्ठी , दीक्षा का कार्यक्रम होगा वहीं , शाम पांच बजे महाराजश्री का उद्बोधन होगा।