छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े छठ घाट कीअदभुत नजारा : महाआरती के साथ पर्व की शुरुआत, दीये-लाइट से रोशन हुए घाट; अरपा को संवारने का संकल्प ,दिवाली सा नजारा है रात में अरपा छठघाट का

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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े छठ घाट कीअदभुत नजारा : महाआरती के साथ पर्व की शुरुआत, दीये-लाइट से रोशन हुए घाट; अरपा को संवारने का संकल्प ,दिवाली सा नजारा है रात में अरपा छठघाट का

भुवन वर्मा बिलासपुर 9 नवंबर 2021

बिलासपुर । छठ पर्व की भव्यता बिलासपुर में भी दिखाई दी। सोमवार की शाम अरपा मईया की आरती से छठ पर्व की शुरूआत हो गई है। इस दौरान दीयों और आकर्षक लाइटिंग से अरपा रोशन हो उठी। आयोजन में नेताओं ने बदहाल अरपा को संवारने का संकल्प भी लिया।

छठ पर्व यूं तो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन, अब यह पूरे देश का हो गया है। सभी जगह इसे हर्षोल्लास से मनाने लगे हैं। ऐसा ही नजारा बिलासपुर में छठ पर्व पर देखने को मिलता है। सोमवार को नहाय खाय के साथ छठ पर्व का शुभारंभ हो गया। छठ पर्व की पूर्व संध्या पर छठ घाट में अरपा मईया की महाआरती की गई।

मां अरपा की आरती में मुख्य अतिथि के में रूप में प्रेमदास महाराज ( ब्रह्मबाबा) के साथ ही अतिथि के रूप में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक मौजूद रहे। इसके साथ ही संसदीय सचिव रश्मि सिंह, लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह, शहर विधायक शैलेश पांडेय, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, महापौर रामशरण यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान, सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक भी मौजूद रहे। आयोजन में नेताओं ने अरपा को शुद्ध रखने व संवारने का संकल्प लिया।

आज खरना, कल डूबते सूर्य को देंगे अर्घ्य चार दिनी इस उत्सव में सोमवार को नहाय खाय के साथ मंगलवार को खरना किया जाएगा। इसके साथ ही व्रती महिलाएं 36 घंटे का व्रत शुरू करेंगी। सूर्य आराधना के इस पर्व में सूर्य देव की पूजा अर्चना कर छठी मईया की भी पूजा की जाती है। खरना के अगले दिन यानि की 10 नवंबर की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दौरान व्रती महिलाएं नदी में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देंगी।

11 को होगा समापन 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महिलाएं रात में घर में छठी मईया की पूजा करेगी। पूरी रात जागरण के बाद 11 नवंबर को तड़के पांच बजे सूर्योदय से पूर्व छठघाट पहुंचेगी। यहां उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद पूजा का समापन होगा और व्रती महिलाएं पारणा करेंगी।

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