सावधान …बिजली उत्पादन में सबसे ग्रहणी छत्तीसगढ़ की कोयला संकट के बीच सरकार की चिंताएं बढ़ाई : समीक्षा में सामने आया कि हालात है गंभीर , 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है प्रतिदिन लेकिन अभी
सावधान …बिजली उत्पादन में सबसे ग्रहणी छत्तीसगढ़ की कोयला संकट के बीच छत्तीसगढ़ सरकार की चिंताएं बढ़ाई : समीक्षा में सामने आया कि हालात है गंभीर , 29 हजार 500
मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है प्रतिदिन
लेकिन अभी
भुवन वर्मा बिलासपुर 12 अक्टूबर 2021
रायपुर । विद्युत उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ देश में सदैव अग्रणी रहा है ।लेकिन कोयला संकट में अब हमे भी अंधाधुन उपयोग पर सोचने मजबूर कर दिया है । आप सभी से भी विनम्र अनुरोध बिजली पावर की खपत को गम्भीरता से ले । बेवजह चलने वाली लाइट पंखों को आवश्यकता ना होने पर बंद कर हम राष्ट्र में अपनी सहयोग और सहभागिता दर्ज कर सकते हैं ।
आज देश-दुनिया को कोयले की आपूर्ति करने
वाले छत्तीसगढ़ में भी कोयला संकट खड़ा
हो गया है। सामने आया है कि प्रदेश के
ताप बिजली घरों में केवल तीन से चार
दिन के कोयले का स्टॉक बचा है। इन
बिजली घरों को रोजाना 29 हजार 500
मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है,
लेकिन उन्हें 23 हजार 290 मीट्रिक टन
की आपूर्ति ही हो पा रही है। मुख्यमंत्री ने
सोमवार को हालात की समीक्षा के बाद
SECL के CMD को पर्याप्त कोयला
आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में राज्य
विद्युत कंपनियों के अध्यक्ष एवं ऊर्जा
विभाग के विशेष सचिव अंकित आनंद ने
बताया, अभी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
ताप विद्युत संयंत्र कोरबा ईस्ट में 3 दिन
और 8 घंटे का कोयला उपलब्ध है। इसी
तरह हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा
वेस्ट में 3 दिन और 2 घंटे का कोयला है।
केवल मड़वा ताप विद्युत संयंत्र में 7 दिनों
की आवश्यकता भर का कोयला उपलब्ध
है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण मानक
के अनुसार 5 दिनों की आवश्यकता से
कम कोयले की उपलब्धता को क्रिटिकल
स्थिति माना जाता है। बताया गया, प्रदेश
के ताप बिजली घरों को रोजाना 29 हजार
500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत
होती है। साउथ-इस्टर्न कोलफिल्ड्स लि.
(SECL) के CMD अंबिका प्रसाद पांडा
ने बताया, अभी छत्तीसगढ़ को SECL से
23 हजार 290 मीट्रिक टन कोयला दिया
जा रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर कड़ी
आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, यहां की
खदानों से निकला कोयला देश-विदेश
की जरूरत पूरी कर रहा है। यहां कोयले
का उत्पादन होता है, ऐसे में यहां के ताप
बिजली घरों की जरूरत का गुणवत्ता
वाला कोयला तुरंत मिलना चाहिए । बैठक
में SECL के CMD ने अब से 29 हजार
500 मीट्रिक टन कोयला देना मंजूर
किया। हालांकि उन्होंने यह कहा, बरसात
के दिनों में कोयले की गुणवत्ता प्रभावित
होती है। मतलब फिलहाल ताप बिजली
घरों को उच्च गुणवत्ता वाला कोयला नहीं
दिया जा सकता। इस बैठक में मुख्य
सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर
मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के
सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी और
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक
आलोक कुमार सहित राज्य विद्युत
कंपनियों के प्रबंध निदेशक भी शामिल
हुए।