अनूठा है दूजराम का देश प्रेम के साथ पर्यावरण प्रेम : हमने मनमे ठानी है, धरती में हरियाली लानी है- आओ पेड़ लगाएं हम…पांच साल पहले शुरु की मुहिम, अब छाया और फल दे रहे पांच सौ से ज्यादा वृक्ष
अनूठा है दूजराम का देश प्रेम के साथ पर्यावरण प्रेम : हमने मनमे ठानी है, धरती में हरियाली लानी है- आओ पेड़ लगाएं हम…पांच साल पहले शुरु की मुहिम, अब छाया और फल दे रहे पांच सौ से ज्यादा वृक्ष
भुवन वर्मा बिलासपुर 19 अगस्त 2021
बिलासपुर । पौधरोपण व पौधा प्रेम का पर्याय दूज राम आज परिचय के मोहताज नहीं है । अंचल में पौधा प्रेमी के नाम से रोपण करने वाले सभी लोग जानते हैं. हर छोटी-छोटी समस्याओं के निदान के लिए यह जरूरी नहीं कि सरकार के भरोसे रहें. देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सबका फर्ज है कि हम खुद से पहले करें. आज के प्रदूषित वातावरण में सांस लेना मुश्किल हो रहा है ऐसे में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पौधरोपण जरूरी कदम है. धरती पर हरियाली लाकर, पर्यावरण को सुरक्षित बनाकर भी हम अपने देश के प्रति कर्तव्य पूरा कर सकते हैं.
यह कहना है सेंदरी के पौधा प्रेमी युवा दूजराम भेंडपाल का. राष्ट्र प्रेम के साथ ही पर्यावरण प्रेम का जज्बा लिए दूजराज ने पांच साल में
एक हजार से ज्यादा पौधे लगा दिया है. आज की दुनिया में अपने मतलब के लिए लोग समय निकाल लेंगे पर समाज या देश की सेवा के लिए समय देने वाले बिरले लोगों में से है दूजराम. समाज और देश के प्रति कुछ कर गुजरने की इच्छा लिए दूजराज ने साल 2016 में गांव के मुक्तिधाम, तालाब की सफाई अभियान से सेवा की शुरुआत की. धीरे-धीरे इनके इस नेक काम से प्रभावित होकर गांव के और युवा भी साथ हो लिए. गर्मी में पक्षियों, जानवरों, इंसानों को छाया मिल सके, नदी में जल स्तर बना रहे इसके लिए अगला कदम पौधरोपण के लिए उठाया. अरपा तट पर कटाव रोकने और राहगीरों की छाया के लिए पौधरोपण की शुरुआत की. यह सिलसिला अभी तक चल रहा है. गांव के क्रिकेट मैदान, मेन्टल हॉस्पिटल परिसर,तालाब पार, मुक्तिधाम के साथ अब नाले के किनारे पौधे लगाए. अब तक अपने हाथों से 500 से अधिक पौधे लगा चुका है. वहीं इनके प्रयास और मौजूदगी में 1000 से अधिक फलदार छायादार व देव पौधे लगाए जा चुके हैं. सैकड़ों पौधे अब वृक्ष बनकर छाया और फल दे रहे हैं.
भगत सिंह से मिली पे्ररणा
दूजराज भेंडपाल ने बताया कि वह 2016 में मित्रों के साथ घूमने के लिए अमृतसर गया था. वहां उनको शहीद भगत सिंह पर किताब हाथ लगी. उनकी जीवनी पढ़कर इनको लगा कि मुझे भी अपने देश, समाज के लिए कुछ करना चाहिए. बस यहीं से इनको देशप्रेम के साथ पर्यावरण प्रेम का जुनून सवार हुआ. गांव आते ही इस अभियान में लग गया. भगत सिंह को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं. वे भगत सिंह की तस्वीर वाले टी-शर्ट पहनने लगे. इतना ही नहीं खुद के खर्च पर लगभग 10 टी शर्ट खरीदकर उन पर भगत सिंह की तस्वीर छपवाई और युवाओं में बांट दिया.
पौधे के साथ सभी राष्ट्रीय पर्व वापिस त्यौहार मनाते हैं दूज राम
‘सेवा मातृ भूमि का एक प्रयास धरती में हरियाली लाने का’ थीम के साथ वे पौधरोपण अभियान चला रहे हैं. जय हिंद, जय भारत वंदे मातरम् के घोष के साथ ही पौधे लगाते हैं. वे अपने फेसबुक, यू-ट्यूब चैनल पर भी हमने मनमे ठानी है, धरती में हरियाली लानी है. मातृ भूमि की हैं ललकार आओ पेड़ लगाये अपार जैसे स्लोगन के साथ युवाओं को पौधरोपण के लिए प्रेरित करते हैं. पौधाप्रेमी दूजराम स्वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व भी पौधों के बीच मनाता है. इतना ही नहीं होली, दीपावली, हरियाली जैसे त्योहार भी पौधों के बीच सेलिब्रेट करते हैं.
हर दिन 2 घंटे पौधों को
दूजराम का पौधों के प्रति अगाथ प्रेम अनुकरणीय है. वह हर रोज कम से दो घंटा पौधों को देते हैं. पौधों पानी देने से लेकर उनकी देखभाल इनकी दिनचर्या में शामिल है. यहां तक गर्मी में रात-रात को अपने साथ एक आदमी लेकर 20 से 30 लीटर के जेरिकेन में ढ़ाबो, बोर से पानी भरकर पौधों को सींचने का काम करते हैं. पेशे से किराना व्यवसायी दूजराम ने बताया कि उनके इस काम में परिवार विशेषकर धर्मपत्नी सपोर्ट रहता है. पेड़ लगाने, उनकी देखभाल के दौरान घर वाले व्यवसाय संभालते हैं. इनका कहना है कि मैं फोटो खिंचाने या प्रचार का प्रयास कभी नहीं किया.